झाबुआ। 10 लाख से अधिक की आबादी वाले झाबुआ जिले में औसतन 1 साल में 30000 महिलाएं संस्थागत प्रसव करवाती हैं. राष्ट्रीय जननी सुरक्षा योजना एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है. जिसका उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों के माध्यम से सुरक्षित प्रसव सुविधा उपलब्ध कराना है, ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके. इस योजना के प्रभावी रूप से लागू होने से यहां की आदिवासी महिलाओं और जिले की बड़ी आबादी को लाभ हो रहा है.
मातृ और शिशु मृत्यु दर में आई कमी
मध्यप्रदेश के इंदौर संभाग में शामिल झाबुआ में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2004 से 2006 में 254 प्रति लाख मातृत्व मृत्यु दर थी, जबकि 2007 से 2009 में आंकड़ा 212 प्रति लाख था. लेकिन अब मातृ मृत्यु दर 164 प्रति लाख है. वहीं एएचएस 2012-13 में प्रदेश में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 83 थी, जो वर्तमान में 64 प्रति हजार है.
बेहतर हुए आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिले में 2007-08 से लेकर 2017-18 तक 3735 शिशु की जान गई थी और इसी दौरान 277 गर्भवती महिलाओं की भी मौत हुई थी. हालांकि जननी सुरक्षा योजना के कारगर साबित होने के चलते मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी देखी जा रही है.
झाबुआ में जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को कई तरह की मदद सरकार पहुंचा रही है. गर्भवती महिलाओं की जानकारी के बाद उन्हें आशा कार्यकर्ता का मार्ग दर्शन मिलता है. महिलाओं को अस्पताओं में आयरन, कैल्शियम और टिटनेस के टीके के साथ ही जरूरी परामर्श भी दिया जाता है, ताकि बच्चे की सुरक्षित डिलीवरी हो सके.
अस्पताल आने-जाने के लिए निशुल्क वाहन
इस काम में महिला बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का उपयोग टीकाकरण, पौस्टिक आहार, वितरण और सर्वे के लिए किया जाता है. ग्रामीण सरकार द्वारा अंचल से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल तक लाने और प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को उनके घर तक छोड़ने के लिए निशुल्क वाहन उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसका लाभ ग्रामीण अंचल के ग्रामीणों को भी उठा रहे हैं.
जननी सुरक्षा वाहन की बदौलत क्षेत्र के दूरस्थ इलाकों से महिलाओं को अस्पताल तक लाना आसान होता जा रहा है. प्रसव के दौरान अस्पताल में भर्ती रहने पर भोजन, नाश्ते आदि की व्यवस्था के साथ-साथ 14 सौ रुपए की आर्थिक मदद की जाती है.
जननी सुरक्षा योजना के तहत ये हैं प्रावधान
सरकार ने सुरक्षित और संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत भी बड़ी राहत दी है. इस योजना के तहत मिलने वाली राशि से गर्भवती महिलाएं प्रसव के बाद अपने शरीर को हष्ट पुष्ट बनाए रखने के लिए अच्छी खुराक लें इसके लिए बड़ी राशि का प्रावधान किया गया है.
गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को उत्तम बनाने के लिए केंद्र सरकार पहले संतान के जन्म के बाद महिला के खाते में 14 हजार और दूसरी संतान के जन्म के बाद 16 हजार रूपए की राशि भरण पोषण के तौर पर देती हैं. ताकि गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य का उत्तम ढंग से ध्यान रखे सकें.
संस्थागत प्रसव के दौरान सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपचार और सर्जरी होने से सरकारी अस्पतालों की ओर झाबुआ की ग्रामीण महिलाओं का रुझान बढ़ा है, जिसके चलते जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर महीने औसतन 200 से 250 प्रसव होने लगे हैं. जननी सुरक्षा योजना के दौरान जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाती है.
लिहाजा महिलाओं के गर्भवती होने से लेकर बच्चों की 5 साल की उम्र तक यह योजना कारगर साबित हो रही है. इस योजना में सही समय पर टीकाकरण होने के चलते 0 से 5 साल की उम्र के बच्चों की मृत्यु दर भी जिले में तेजी से कम हुई है वहीं गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में भी कमी देखी जा रही है.