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9 करोड़ की लागत से बने ITI भवन में नहीं पेयजल व्यवस्था, प्रशिक्षण भी है अभाव - मेघनगर

झाबुआ के आदिवासी बहुल मेघनगर में 9 करोड़ रुपए की लागत से बने नए ITI भवन में छात्र- छात्राओं के पास न तो प्रैक्टिकल के लिए बिजली के कनेक्शन है न ही पीने के पानी के लिए पानी.

ITI भवन में नहीं प्रशिक्षण के लिए अध्यापक, न ही पीने का पानी
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Published : Aug 22, 2019, 3:28 PM IST

झाबुआ। मेघनगर विकासखंड के गांव फुट तलाब में 9 करोड़ रुपए की लागत से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाया गया था. पिछले 1 साल से ITI में छात्र-छात्राएं को न तो प्रशिक्षण देने के लिए किसी की नियुक्ति की गई है, और न ही उन्हें आवश्यक संसाधन ही उपलब्ध करवाए गए हैं. इतना ही नहीं आईटीआई परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है. छात्र- छात्राएं अपने साथ पानी लेकर आते हैं.

ITI भवन में नहीं प्रशिक्षण के लिए अध्यापक, न ही पीने का पानी


नए ITI भवन में विभाग ने छात्रों के प्रवेश के पहले ही लाखों की मशीने खरीदी जा चुकी है पर प्रैक्टिकल नहीं कराया जाता है. छात्र- छात्राओं के लिए 120 सीटर हॉस्टल और प्राचार्य के साथ सिक्योरिटी रूम भी बनाया गया हैं, जो कि खाली पड़ा है. वर्तमान में यहां आलम ये है कि इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में 15 बच्चों को एक ट्रेनिंग ऑफिसर और दो अतिथि शिक्षकों के भरोसे प्रशिक्षित किया जा रहा है. ITI भवन में अभी तक मशीन चलाने के लिए बिजली के कनेक्शन का लोड भी नहीं बढ़ाया गया है.


वर्ष 2015 में आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के युवाओं को कौशल और तकनीकी शिक्षा के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मेघनगर विकासखंड के फुट तलाब में 9 करोड़ से अधिक की लागत से 6 ट्रेड वाले ITI भवन और 120 सीटर छात्र- छात्राओं के लिए हॉस्टल निर्माण की स्वीकृति को मंजूर किया था. 2017 में बनकर तैयार होने वाले ITI भवन को 2019 में हैंड ओवर किया गया, जिसके चलते तकनीकी शिक्षा विभाग ने यहां प्रस्तावित ट्रेड खोलने की अनुमति नहीं दी. विभाग और अफसरशाही के ढुलमुल रवैए की वजह से पिछले 2 सालों से तकनीकी शिक्षा लेने वाले सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.

झाबुआ। मेघनगर विकासखंड के गांव फुट तलाब में 9 करोड़ रुपए की लागत से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाया गया था. पिछले 1 साल से ITI में छात्र-छात्राएं को न तो प्रशिक्षण देने के लिए किसी की नियुक्ति की गई है, और न ही उन्हें आवश्यक संसाधन ही उपलब्ध करवाए गए हैं. इतना ही नहीं आईटीआई परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है. छात्र- छात्राएं अपने साथ पानी लेकर आते हैं.

ITI भवन में नहीं प्रशिक्षण के लिए अध्यापक, न ही पीने का पानी


नए ITI भवन में विभाग ने छात्रों के प्रवेश के पहले ही लाखों की मशीने खरीदी जा चुकी है पर प्रैक्टिकल नहीं कराया जाता है. छात्र- छात्राओं के लिए 120 सीटर हॉस्टल और प्राचार्य के साथ सिक्योरिटी रूम भी बनाया गया हैं, जो कि खाली पड़ा है. वर्तमान में यहां आलम ये है कि इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में 15 बच्चों को एक ट्रेनिंग ऑफिसर और दो अतिथि शिक्षकों के भरोसे प्रशिक्षित किया जा रहा है. ITI भवन में अभी तक मशीन चलाने के लिए बिजली के कनेक्शन का लोड भी नहीं बढ़ाया गया है.


वर्ष 2015 में आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के युवाओं को कौशल और तकनीकी शिक्षा के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मेघनगर विकासखंड के फुट तलाब में 9 करोड़ से अधिक की लागत से 6 ट्रेड वाले ITI भवन और 120 सीटर छात्र- छात्राओं के लिए हॉस्टल निर्माण की स्वीकृति को मंजूर किया था. 2017 में बनकर तैयार होने वाले ITI भवन को 2019 में हैंड ओवर किया गया, जिसके चलते तकनीकी शिक्षा विभाग ने यहां प्रस्तावित ट्रेड खोलने की अनुमति नहीं दी. विभाग और अफसरशाही के ढुलमुल रवैए की वजह से पिछले 2 सालों से तकनीकी शिक्षा लेने वाले सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.

Intro:झाबुआ : मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्या हाल है उसकी तस्वीर आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में देखी जा सकती है। मेघनगर विकासखंड के ग्राम फुट तलाव में 9 करोड रुपए की लागत से बना औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान पिछले 1 साल से प्रशिक्षणार्थियों की राह तक रहा है। करोड़ो की इस बिल्डिंग में छात्र- छात्राओं के लिए 60-60 सीटर होस्टल ओर प्राचार्य के साथ चौकीदार के कक्ष बने है जो खाली पड़े है। वर्तमान में यहाँ इलेक्ट्रिशियन ट्रेड में 15 बच्चों को एक ट्रेनिंग ऑफिसर और दो अतिथि शिक्षकों के भरोसे प्रशिक्षित कर सुनहरे मध्य प्रदेश का भविष्य तराशा जा रहा है ।


Body:वर्ष 2015 में आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के युवाओं को कौशल और तकनीकी शिक्षा के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने मेघनगर विकासखंड के फुट तलाव में 9 करोड़ से अधिक की लागत से 6 ट्रेड( अलग अलग विषय) आईटीआई भवन और 120 सीटर छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल निर्माण की स्वीकृति को मंजूर किया था। 2017 में बनकर तैयार होने वाला आईटीआई विभाग को 2019 में हैंड ओवर किया गया जिसके चलते तकनीकी शिक्षा विभाग ने यहां प्रस्तावित ट्रेड खोलने की अनुमति नही दी थी । विभाग और अफसरशाही की ढुलमुल नीतियों के चलते पिछले 2 सालों से तकनीकी शिक्षा लेने वाले सैकड़ों छात्रों को इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है ।


Conclusion:हैरानी की बात यह है कि करोड़ो के इन भवनों में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते पास के मंदिर से बच्चों को पानी की केन भरकर लाना पड़ती है। नए आईटीआई भवन में विभाग ने बच्चो के प्रवेश के पहले ही लाखों की मशीने खरीदी ली। जो बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं उन्हें प्रैक्टिकल नही कराया जाता। आईटीआई भवन में अभी तक मशीन चलाने के लिए बिजली का कनेक्शन का लोड(क्षमता) नही बड़ाई जा रही, ऐसे में कैसे प्रशिक्षणार्थी तकनीकी शिक्षा लेगा उसकी कल्पना की जा सकती है।
बाइट छात्र : विनोद वसुनिया
बाइट छात्रा :
बाइट प्रभारी: नर सिंह परमार, प्रभारी अधिकारी ,औद्योगिक प्रशिक्षण मेघननगर
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