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झाबुआ उपचुनाव जीत के बाद कांतिलाल भूरिया कांग्रेस में बने पावर सेंटर, मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद कांतिलाल भूरिया पार्टी में एक पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं. ऐसे में अब माना जा रहा है कि कांतिलाल भूरिया को जल्द ही बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.

कांतिलाल भूरिया को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
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Published : Nov 8, 2019, 8:44 PM IST

झाबुआ। विधानसभा उपचुनाव में 28 हजार वोटों से ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद कांतिलाल भूरिया पूरे प्रदेश में पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं. ऐसा माना जाता है कि वह हमेशा ही कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं. भूरिया राज्य सरकार में मंत्री रहे तो केंद्र में सांसद,और केंद्रीय मंत्री भी रहे चुके हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे कर कांतिलाल भूरिया को बड़ा तोहफा दे सकती है.

कांतिलाल भूरिया को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी


कांतिलाल भूरिया दिग्विजय सिंह के भी खासे करीबी हैं. सूत्रों की माने तो दिग्विजय सिंह आदिवासी नेता के बहाने प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और मंत्री बाला बच्चन के नाम का जिक्र किया जा चुका है. ऐसे में दिग्विजय सिंह और सोनिया गांधी के करीबी होने के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ कांतिलाल भूरिया को पीसीसी चीफ का तोहफा दे सकते हैं.


कांतिलाल भूरिया को 40 सालों का राजनीतिक अनुभव है. अब प्रदेश सरकार के विधायक भी उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ लेने की बात कह रहे हैं. कांतिलाल भूरिया को मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात उनके चुनाव से पहले से ही चल रही थी. हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ को करना है. इधर कांतिलाल भूरिया खुद को केवल विधायक बता कर जनता की समस्या विधानसभा में ले जाने की बात कह रहे हैं. भले अभी भूरिया प्रदेश सरकार में ना मंत्री हो और ना ही संगठन में किसी बड़े पद पर मगर पूरे प्रदेश में कांतिलाल भूरिया एक पावर सेंटर के रूप में उभर चुके हैं.

झाबुआ। विधानसभा उपचुनाव में 28 हजार वोटों से ऐतिहासिक जीत मिलने के बाद कांतिलाल भूरिया पूरे प्रदेश में पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं. ऐसा माना जाता है कि वह हमेशा ही कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं. भूरिया राज्य सरकार में मंत्री रहे तो केंद्र में सांसद,और केंद्रीय मंत्री भी रहे चुके हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे कर कांतिलाल भूरिया को बड़ा तोहफा दे सकती है.

कांतिलाल भूरिया को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी


कांतिलाल भूरिया दिग्विजय सिंह के भी खासे करीबी हैं. सूत्रों की माने तो दिग्विजय सिंह आदिवासी नेता के बहाने प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और मंत्री बाला बच्चन के नाम का जिक्र किया जा चुका है. ऐसे में दिग्विजय सिंह और सोनिया गांधी के करीबी होने के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ कांतिलाल भूरिया को पीसीसी चीफ का तोहफा दे सकते हैं.


कांतिलाल भूरिया को 40 सालों का राजनीतिक अनुभव है. अब प्रदेश सरकार के विधायक भी उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ लेने की बात कह रहे हैं. कांतिलाल भूरिया को मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात उनके चुनाव से पहले से ही चल रही थी. हालांकि इस मामले में आखिरी फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ को करना है. इधर कांतिलाल भूरिया खुद को केवल विधायक बता कर जनता की समस्या विधानसभा में ले जाने की बात कह रहे हैं. भले अभी भूरिया प्रदेश सरकार में ना मंत्री हो और ना ही संगठन में किसी बड़े पद पर मगर पूरे प्रदेश में कांतिलाल भूरिया एक पावर सेंटर के रूप में उभर चुके हैं.

Intro:झाबुआ : झाबुआ विधानसभा के उपचुनाव में 28000 वोटों की ऐतिहासिक जीत के बाद कांतिलाल भूरिया पूरे प्रदेश में पावर सेंटर के रूप में उभरे हैं, हालांकि कांग्रेस में कांतिलाल भूरिया का बढ़ा कद है और वह हमेशा ही 10 जनपद यानी कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी के करीबी रहे हैं।भूरिया राज्य सरकार में मंत्री रहे तो केंद्र में सांसद,ओर केंद्रीय मंत्री भी रहे चुके हैं ऐसे में आने वाले दिनों में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे कर गुड़िया को चुनाव जीत का बड़ा तोहफा दे सकती है।


Body:कांतिलाल भूरिया दिग्विजय सिंह के खासे करीबी है, और दिग्विजय सिंह आदिवासी नेता के बहाने प्रदेश कांग्रेस की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं। प्रदेश सरकार में मंत्री इमरती देवी ज्योतिरादित्य सिंधिया तो सज्जन सिंह वर्मा बाला बच्चन के नाम का जिक्र किया जा चुका है ऐसे दिग्विजय सिंह और सोनिया गांधी के करीबी होने के चलते मुख्यमंत्री कमलनाथ कांतिलाल भूरिया को पीसीसी चीफ का तोहफा भी दे सकते हैं ।


Conclusion:झाबुआ उपचुनाव में प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने मतदाताओं से एक विधायक नहीं बल्कि सरकार और मंत्री के लिए वोट मांगा था। कांतिलाल भूरिया को 40 सालों का राजनीतिक अनुभव है अब प्रदेश सरकार के विधायक भी उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ लेने की बात कहने लगे हैं। कांतिलाल भूरिया को मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात उनके चुनाव से पहले से ही चल रही थी हालांकि इस मामले में आखरी फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ को करना है । इधर कांतिलाल भूरिया खुद को केवल विधायक बता कर जनता की समस्या विधान सभा में ले जाने की बात कह रहे हैं । भले अभी भूरिया प्रदेश सरकार में ना मंत्री हो और ना ही संगठन में किसी बड़े पद पर मगर पूरे प्रदेश में कांतिलाल भूरिया एक पावर सेंटर के रूप में उभर चुके हैं ।
बाइट : कांतिलाल भूरिया ,विधायक ,झाबुआ
121 वीर सिंह भूरिया, विधायक थांदला
फाइल : बाइट -जनसंपर्क मंत्री , पीसी शर्मा
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