झाबुआ। मध्यप्रदेश की तीन हस्तियों को बुधवार को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. जिसमें जबलपुर के डॉक्टर एमसी डावर के अलावा झाबुआ के जनजातीय संस्कृति के सरंक्षण व संवर्धन रमेश और शांति परमार भी हैं. इन्होंने अपनी कला द्वारा जनजातीय संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तीन हस्तियों को पद्मश्री सम्मान पाने के बाद से ही एमपी में खुशी की लहर है. वहीं जनजातीय क्षेत्र झाबुआ में लोग खुशी से फूले से नहीं समा रहे हैं.
कला के क्षेत्र में संयुक्त रूप से मिला पद्मश्री: दरअसल, कला के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के झाबुआ में रहने वाले रमेश और शांति परमार को संयुक्त रुप से पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया है. हस्तशिल्प कलाकार रमेश परमार और शांति परमार बीते 30 साल से जनजातीय गुड़िया बनाते हैं. जिसे पारंपरिक जनजातीय पोशाक से तैयार करते हैं. इसी तरह से जनजातीय खिलौनों का निर्माण करते हैं. देश भर के कई हस्तशिल्प मेलों में इन खिलौनों और जनजातीय गुड़िया के जरिए रमेश और उनकी पत्नि शांति परमार जनजातीय कला संस्कृति और परंपरा को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. पद्मश्री से सम्मानित इस युगल ने अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मेलों में भाग लिया है. कई अंतर्राष्ट्रीय मेलों में भी शिरकत कर चुके हैं.
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मोबाइल से मिली थी सम्मान मिलने की सूचना: बता दें जनजातीय परियोजना के तहत आदिवासी गुड़िया बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था. उन्होंने बताया कि ससुर और परिजनों के सहयोग से उन्होंने यह विधा सीखी थी. बाद में यही विधा परिवार की आजीविका का साधन बन गई. अपनी कला को निखारने और उसे लगातार आगे बढ़ाने में ही दोनों लगे हुए हैं. इन्होंने बताया कि उन्हें सरकारी विभागों से मोबाइल पर पद्मश्री मिलने की सूचना मिली थी. जिसके बाद परिवार और पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल था.