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Jhabua News: भगोरिया उत्सव की तर्ज पर अब साप्ताहिक हाट बाजार में होगी सिकलसेल मरीजों की जांच

भगोरिया उत्सव की तर्ज पर जिले में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों पर सिकललसेल मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी. कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने बताया कि हमारा लक्ष्य झाबुआ जिले की सिकलसेल मुक्त बनाना है.

Jhabua News
साप्ताहिक हाट बाजार में होगी सिकलसेल मरीजों की जांच
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Published : Jun 13, 2023, 10:12 AM IST

झाबुआ। पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ में सिकललसेल मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए एक नई पहल की गई है. इसके तहत लोक संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव भगोरिया की ही तर्ज पर जिले में अलग स्थानों पर लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों को टारगेट किया गया है. अब यहां खरीदारी के लिए आने वाले ग्रामीणों की जांच कर ये पता किया जाएगा कि कहीं वे सिकलसेल से पीड़ित तो नहीं है. इसके आधार पर उन्हें उपचार दिया जाएगा, ताकि वे अपना जीवन यापन सामान्य व्यक्ति की तरह कर सके. सोमवार से इस अभियान की शुरुआत हुई, चूंकि इस दिन बेडावा, कुंदनपुर, रंभापुर और पेटलावद के हाट बाजार का दिन था, लिहाजा यहां ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की गई.

गौरतलब है कि भगोरिया उत्सव के दौरान जिले में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और यहां ग्रामीणों का हुजूम उमड़ता है. इसके अलावा आम दिनों में भी ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जरूरत का सामान लेने के लिए सैकड़ों हजारों की तादाद में साप्ताहिक हाट बाजार का ही रुख करते हैं. चूंकि गांव-गांव कैंप लगाकर जांच करने में लंबा वक्त लग जाता, ऐसे में कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने तय किया कि साप्ताहिक हाट बाजारों को ही सिकेलसेल की जांच का जरिया बनाया जाए. लिहाजा कलेक्टर ने सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर पूरा प्लान तैयार किया और अब इसे मूर्तरूप दिया जा रहा है.

झाबुआ का पायलेट प्रोजेक्ट के तहत हुआ चयनः कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने बताया कि सिकलसेल एनीमिया की स्क्रीनिंग, जांच, उपचार और प्रबंधन के लिए राज्य हिमोग्लोबिन मिशन के अंतर्गत झाबुआ जिले का चयन पायलेट प्रोजेक्ट के तहत हुआ था, जिसके अंतर्गत 6 माह से 18 साल तक के बच्चों और गर्भवती माताओं की सिकलसेल की जांच लक्ष्य के अनुसार निर्धारित समय में पूर्ण की गई. यहां के बेहतर नतीजे देखने के बाद अब प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए प्रदेश के आदिवासी बहुल 89 विकासखंड में लागू किया गया है, इसमें 6 माह से 40 साल तक के लोगों की सिकलसेल स्क्रीनिंग की जा रही है.

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हमारा लक्ष्य सिकलसेल मुक्त जिला बनानाः कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने कहा कि "हमारा लक्ष्य झाबुआ जिले की सिकलसेल मुक्त बनाना है, साथ ही ऐसे मरीजों को बेहतर उपचार देकर उनकी जीवन को आसान बनाना है. चूंकि 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस है, लिहाजा हमने भगोरिया उत्सव की तर्ज पर हाट बाजारों में सिकलसेल की जांच करने का अभियान शुरू किया है, उम्मीद है इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे."

झाबुआ। पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ में सिकललसेल मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए एक नई पहल की गई है. इसके तहत लोक संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव भगोरिया की ही तर्ज पर जिले में अलग स्थानों पर लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों को टारगेट किया गया है. अब यहां खरीदारी के लिए आने वाले ग्रामीणों की जांच कर ये पता किया जाएगा कि कहीं वे सिकलसेल से पीड़ित तो नहीं है. इसके आधार पर उन्हें उपचार दिया जाएगा, ताकि वे अपना जीवन यापन सामान्य व्यक्ति की तरह कर सके. सोमवार से इस अभियान की शुरुआत हुई, चूंकि इस दिन बेडावा, कुंदनपुर, रंभापुर और पेटलावद के हाट बाजार का दिन था, लिहाजा यहां ग्रामीणों की स्क्रीनिंग की गई.

गौरतलब है कि भगोरिया उत्सव के दौरान जिले में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और यहां ग्रामीणों का हुजूम उमड़ता है. इसके अलावा आम दिनों में भी ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जरूरत का सामान लेने के लिए सैकड़ों हजारों की तादाद में साप्ताहिक हाट बाजार का ही रुख करते हैं. चूंकि गांव-गांव कैंप लगाकर जांच करने में लंबा वक्त लग जाता, ऐसे में कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने तय किया कि साप्ताहिक हाट बाजारों को ही सिकेलसेल की जांच का जरिया बनाया जाए. लिहाजा कलेक्टर ने सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर पूरा प्लान तैयार किया और अब इसे मूर्तरूप दिया जा रहा है.

झाबुआ का पायलेट प्रोजेक्ट के तहत हुआ चयनः कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने बताया कि सिकलसेल एनीमिया की स्क्रीनिंग, जांच, उपचार और प्रबंधन के लिए राज्य हिमोग्लोबिन मिशन के अंतर्गत झाबुआ जिले का चयन पायलेट प्रोजेक्ट के तहत हुआ था, जिसके अंतर्गत 6 माह से 18 साल तक के बच्चों और गर्भवती माताओं की सिकलसेल की जांच लक्ष्य के अनुसार निर्धारित समय में पूर्ण की गई. यहां के बेहतर नतीजे देखने के बाद अब प्रोजेक्ट को विस्तार देते हुए प्रदेश के आदिवासी बहुल 89 विकासखंड में लागू किया गया है, इसमें 6 माह से 40 साल तक के लोगों की सिकलसेल स्क्रीनिंग की जा रही है.

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हमारा लक्ष्य सिकलसेल मुक्त जिला बनानाः कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने कहा कि "हमारा लक्ष्य झाबुआ जिले की सिकलसेल मुक्त बनाना है, साथ ही ऐसे मरीजों को बेहतर उपचार देकर उनकी जीवन को आसान बनाना है. चूंकि 19 जून को विश्व सिकलसेल दिवस है, लिहाजा हमने भगोरिया उत्सव की तर्ज पर हाट बाजारों में सिकलसेल की जांच करने का अभियान शुरू किया है, उम्मीद है इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे."

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