झाबुआ। जयस के राष्ट्रीय संरक्षक और विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने झाबुआ से अलग भील प्रदेश का गठन किए जाने की मांग उठाई है. इसके लिए उन्होंने पश्चिमी एमपी के साथ गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के आदिवासी जिलों को मिलाने का सुझाव दिया है. दरअसल डॉ. हीरालाल अलावा गुरुवार को आदिवासी अधिकार यात्रा लेकर झाबुआ पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले पेसा कानून के जनक स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. यहां उन्होंने कहा भील प्रदेश की एक बड़ी मांग है और पूरा जयस संगठन जनभावनाओं के अनुसार इस मांग का समर्थन करता है.
भील प्रदेश की मांग: डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि हम चाहते हैं कि आदिवासी बहुल जो जिले हैं उसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के जो आदिवासी बहुल जिले हैं उन्हें मिलाकर भील प्रदेश बनाया जाए. इन क्षेत्रों से लंबे समय से भील प्रदेश की मांग उठती आ रही है. अलावा ने कहा कि आज भी ये इलाके विकास की दृष्टि से सबसे ज्यादा पिछड़े है. आज करोड़ों रुपए आदिवासी क्षेत्रों के विकास के नाम पर आते हैं लेकिन यहां तक पैसा पहुंच ही नहीं रहा है. अलग भील प्रदेश बनें ताकि यहां के आदिवासियों को उनका अधिकार मिले.
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80 सीटों पर चुनाव लड़ेगा जयस: डॉ. हीरालाल अलावा ने बताया जयस मिशन युवा नेतृत्व-2023 के तहत हमने एक स्वतंत्र नारा दिया है. हम किसी राजनीतिक पार्टी या संगठन के दबाव में काम नहीं कर रहा है जयस संगठन एक स्वतंत्र वैचारिक क्रांतिकारी संगठन है. अलावा ने कहा हम नए युवाओं को सड़क से लेकर संसद तक नेतृत्व के लिए प्रेरित करते हैं. 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में नए युवाओं को कैसे आगे लेकर आए, उस दिशा में काम कर रहे हैं. जयस के राष्ट्रीय संरक्षक ने कहा कि प्रदेश की 80 विधानसभा सीटों पर जयस 2023 के चुनाव में मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है.
मुद्दों की लड़ाई: किसी राजनीतिक दल के साथ जाने के सवाल पर डॉ. अलावा ने कहा कि हमारी लड़ाई मुद्दों की लड़ाई है. आज राजनीतिक दलों का पांचवी और छटवी अनुसूची को लेकर, पलायन को लेकर, आदिवासी क्षेत्रों में भुखमरी और कुपोषण को रोकने को लेकर अब तो कोई स्पष्ट विजन नहीं है. जब तक मुद्दों पर किसी राजनीतिक दल से हमारी चर्चा नहीं होगी, हम किसी भी दल को अपना समर्थन नहीं देंगे.
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पेसा कानून पर उठाए सवाल: डॉ. हीरालाल अलावा ने प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए पेसा कानून पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा मध्य प्रदेश सरकार ने मूल पेसा कानून जो 1996 संसद में बना था उसके अनुसार ऐसा एक भी प्रावधान नहीं किया गया है कि ग्राम सभाओं को गांव की सीमाओं के भीतर मौजूद संसाधनों पर उनका अधिकार मिले. ग्राम सभाओं की वित्तीय व्यवस्था हो. ग्राम सभाओं को रूढ़ी और परंपराओं पर संविधान के अनुसार हक मिले. आज जो कानून लागू किया गया है उसमें शिवराज सरकार ने ग्राम सभाओं को कुछ भी अधिकार नहीं दिए हैं. साथ ही अलावा ने पांचवी अनुसूची और छठवीं अनुसूची आदिवासी इलाकों में लागू करने की मांग की.
विकास यात्रा नहीं, विनाश यात्रा: डॉ. हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया कि झाबुआ जिला देश का ऐसा जिला है जहां से सबसे ज्यादा आदिवासी बेटियां गुजरात पलायन करती है और फिर वहां से गायब हो जाती हैं ये सरकार के रिकॉर्ड में है. पिछले 20 सालों से प्रदेश में बैकलॉग पदों पर भर्ती नहीं हुई है. 20 सालों से प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया है. हमारे युवा 2 से 3 डिग्रियां लेकर ओवर एज हो गए, उसके बावजूद लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया. भाजपा जो यात्रा निकाल रही है वह विकास यात्रा नहीं विनाश यात्रा है.