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Jhabua Crime News: 500 रुपए दो और पांच मिनट में ले लो जन्म प्रमाण पत्र, पुलिस ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार

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Published : Apr 20, 2023, 6:56 AM IST

झाबुआ पुलिस ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने के गोरखधंधे का खुलासा किया है. पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. मात्र पांच मिनट में 500 रुपए में ये फर्जी जन्म प्रमाण तैयार कर देते थे. दोनों आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है.

Fake birth certificate business in Jhabua
झाबुआ में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का धंधा

झाबुआ। पुलिस को सूचना मिली थी कि शहर में संचालित कॉमन सर्विस सेंटर पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का खेल चल रहा है. पुष्टि के लिए पुलिस ने अपने ही एक जवान को उनकी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए राम मंदिर के सामने स्थित दीपक सोलंकी के सेंटर पर भेजा, पुलिसकर्मी ने उससे बात की. इसके बाद उसने आधार कार्ड लेकर महज 5 मिनट के भीतर जन्म प्रमाण निकालकर दे दिया. इसके लिए 500 रुपए शुल्क लिया गया. पुलिसकर्मी ने बकायदा इसका पूरा वीडियो बनाया. सारे प्रमाण जुटाने के बाद पुलिस टीम ने दबिश देकर दीपक सोलंकी के यहां से 10 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बरामद किए.

इसके साथ ही पुलिस ने अन्य कॉमन सर्विस सेंटर की जांच की. इस दौरान सिद्धेश्वर कॉलोनी में सेंटर चलाने वाले रिंकू राठौर के यहां से भी 11 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जब्त किए गए. रिंकू मूल रूप से आलीराजपुर जिले के ग्राम खट्टाली का रहने वाला है और वर्तमान में झाबुआ में गादिया कॉलोनी में निवास कर रहा है. झाबुआ थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि ''आरोपी दीपक और रिंकू दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. उनके विरुद्ध धारा 420, 464 और 468 में प्रकरण दर्ज किया गया है. दोनों आरोपियों को बुधवार शाम न्यायालय में पेश किया गया.''

सीएसआर पोर्टल से बनाए जाते हैं जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र: जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र भारत सरकार के सीआरएस पोर्टल (सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) के जरिए बनाए जाते हैं. इसके लिए ऑनलाइन सारी जानकारी दर्ज करना होती है. संभवता: कहीं से इसी का यूजर आईडी और पासवर्ड लेकर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे.

बार कोड से हो जाएगा पूरा खुलासा: जन्म प्रमाण पत्र पर एक बार कोड डला होता है. इसे स्कैन कर पता किया जा सकता है कि ये जन्म प्रमाण पत्र कहां से तैयार हो रहे थे और इस काम में कौन कौन शामिल हैं. ये भी हो सकता है कि बार कोड ही नकली हो.

सरकारी योजना का लाभ लेने में मददगार: फर्जी जन्म प्रमाण पत्र में तारीख में हेरफेर कर सरकारी योजना का लाभ लिया जा सकता है. इसके अलावा झाबुआ जिले में कम उम्र में शादी करने की भी कुप्रथा है. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के जरिए लड़के और लड़की की उम्र अधिक बताई जा सकती है.

2 से 3 हजार में मिल जाती है लिंक: इस तरह फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का गोरखधंधा सिर्फ झाबुआ ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में चल रहा है. बताया जाता है कि महज दो से तीन हजार रुपए में एक लिंक मिल जाती है, जिसके जरिए सीएसआर पोर्टल पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की एंट्री कर दी जाती है. फिर ये जन्म प्रमाण पत्र संबंधित को दे देते हैं. यदि पुलिस गंभीरता के साथ मामले की जांच करेगी तो बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है.

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जन्म प्रमाण पत्र के लिए निर्धारित प्रक्रिया: यदि आपको जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना है तो इसके लिए संबंधित नगरीय निकाय और पंचायत में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है. तब जाकर तीन से चार दिन और कभी-कभी सप्ताहभर या उससे भी अधिक समय में प्रमाण पत्र मिल पाता है. यदि आपके परिवार में बच्चे का जन्म हुआ तो संबंधित नगरीय निकाय को 20 दिन के भीतर सूचना देना होती है. यदि बच्चे के जन्म को एक माह से अधिक समय हो गया है तो जिला सांख्यिकी अधिकारी के आदेश से जन्म प्रमाण पत्र बनाया जाता है. वहीं, सालभर या इससे अधिक समय हो गया है और जन्म प्रमाण पत्र तैयार नहीं हुआ है, तो फिर तहसील न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया जाता है. वहां से आदेश जारी होने के बाद संबंधित का जन्म प्रमाण पत्र तैयार हो पाता है.

झाबुआ। पुलिस को सूचना मिली थी कि शहर में संचालित कॉमन सर्विस सेंटर पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने का खेल चल रहा है. पुष्टि के लिए पुलिस ने अपने ही एक जवान को उनकी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए राम मंदिर के सामने स्थित दीपक सोलंकी के सेंटर पर भेजा, पुलिसकर्मी ने उससे बात की. इसके बाद उसने आधार कार्ड लेकर महज 5 मिनट के भीतर जन्म प्रमाण निकालकर दे दिया. इसके लिए 500 रुपए शुल्क लिया गया. पुलिसकर्मी ने बकायदा इसका पूरा वीडियो बनाया. सारे प्रमाण जुटाने के बाद पुलिस टीम ने दबिश देकर दीपक सोलंकी के यहां से 10 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बरामद किए.

इसके साथ ही पुलिस ने अन्य कॉमन सर्विस सेंटर की जांच की. इस दौरान सिद्धेश्वर कॉलोनी में सेंटर चलाने वाले रिंकू राठौर के यहां से भी 11 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जब्त किए गए. रिंकू मूल रूप से आलीराजपुर जिले के ग्राम खट्टाली का रहने वाला है और वर्तमान में झाबुआ में गादिया कॉलोनी में निवास कर रहा है. झाबुआ थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि ''आरोपी दीपक और रिंकू दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. उनके विरुद्ध धारा 420, 464 और 468 में प्रकरण दर्ज किया गया है. दोनों आरोपियों को बुधवार शाम न्यायालय में पेश किया गया.''

सीएसआर पोर्टल से बनाए जाते हैं जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र: जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र भारत सरकार के सीआरएस पोर्टल (सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) के जरिए बनाए जाते हैं. इसके लिए ऑनलाइन सारी जानकारी दर्ज करना होती है. संभवता: कहीं से इसी का यूजर आईडी और पासवर्ड लेकर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे.

बार कोड से हो जाएगा पूरा खुलासा: जन्म प्रमाण पत्र पर एक बार कोड डला होता है. इसे स्कैन कर पता किया जा सकता है कि ये जन्म प्रमाण पत्र कहां से तैयार हो रहे थे और इस काम में कौन कौन शामिल हैं. ये भी हो सकता है कि बार कोड ही नकली हो.

सरकारी योजना का लाभ लेने में मददगार: फर्जी जन्म प्रमाण पत्र में तारीख में हेरफेर कर सरकारी योजना का लाभ लिया जा सकता है. इसके अलावा झाबुआ जिले में कम उम्र में शादी करने की भी कुप्रथा है. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के जरिए लड़के और लड़की की उम्र अधिक बताई जा सकती है.

2 से 3 हजार में मिल जाती है लिंक: इस तरह फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का गोरखधंधा सिर्फ झाबुआ ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में चल रहा है. बताया जाता है कि महज दो से तीन हजार रुपए में एक लिंक मिल जाती है, जिसके जरिए सीएसआर पोर्टल पर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र की एंट्री कर दी जाती है. फिर ये जन्म प्रमाण पत्र संबंधित को दे देते हैं. यदि पुलिस गंभीरता के साथ मामले की जांच करेगी तो बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है.

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जन्म प्रमाण पत्र के लिए निर्धारित प्रक्रिया: यदि आपको जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना है तो इसके लिए संबंधित नगरीय निकाय और पंचायत में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है. तब जाकर तीन से चार दिन और कभी-कभी सप्ताहभर या उससे भी अधिक समय में प्रमाण पत्र मिल पाता है. यदि आपके परिवार में बच्चे का जन्म हुआ तो संबंधित नगरीय निकाय को 20 दिन के भीतर सूचना देना होती है. यदि बच्चे के जन्म को एक माह से अधिक समय हो गया है तो जिला सांख्यिकी अधिकारी के आदेश से जन्म प्रमाण पत्र बनाया जाता है. वहीं, सालभर या इससे अधिक समय हो गया है और जन्म प्रमाण पत्र तैयार नहीं हुआ है, तो फिर तहसील न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया जाता है. वहां से आदेश जारी होने के बाद संबंधित का जन्म प्रमाण पत्र तैयार हो पाता है.

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