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बदहाली के आंसू रो रहा ऐतिहासिक बहादुर सागर तालाब, जिम्मेदारों ने मूंदी आंखें

सत्रहवीं शताब्दी में जनता की सेवा के लिए बना बहादुर सागर तालाब आज पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है. तालाब में साफ पानी के बजाय सीवरेज का पानी और गंदगी देखने को मिलती है, जिसके चलते तालाब आज अपना अस्तित्व खो रहा है.

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Published : Jun 21, 2019, 3:30 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 6:51 PM IST

बदहाल बहादुर सागर तालाब

झाबुआ। रियासत काल के राजा बहादुर सिंह ने सागर तालाब का निर्माण कराया था, ताकि आने वाले समय में लोगों को पानी की समस्या से जूझना ना पड़े, लेकिन वो तालाब आज बदहाली के आंसू रो रहा है. इस अमूल्य धरोहर को लालची लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और यहां चारों ओर गंदगी का आलम है. इसके चलते तालाब सिकुड़ा जा रहा है.

बदहाल बहादुर सागर तालाब

1766 ईस्वी में ढाई हजार की आबादी के लिए 68.7 बीघा जमीन पर बहादुर सागर तालाब का निर्माण कराया गया था. राजा ने उस समय तालाब में 12 घाट भी बनवाए थे, ताकि भविष्य में लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद ना करना पड़े. अब हालात ये है कि तालाब के एक दर्जन घाट में से अब 4 ही घाट दिखाई देते हैं.

झाबुआ की रियासत के इतिहास में इस तालाब का जिक्र भी है, लेकिन नगर पालिका और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों ने इस तालाब को गंदगी का स्टोरेज बना दिया है. शहर की नामी कॉलोनी, यहां तक कि विश्राम गृह के सीवरेज का पानी भी इसी तालाब में मिलता है.

सौंदर्यीकरण के नाम पर कई बार शासन से करोड़ों की राशि नगरपालिका को मिल चुकी है, लेकिन तालाब की ना सफाई हो रही है और ना तो जीर्णोद्धार. पहले भी तालाब में नाव चलाने और सौंदर्यीकरण के नाम पर नगरपालिका परिषद को लाखों की राशि दी गई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.

आज यह तालाब गंदगी और कीचड़ से भर गया है, बावजूद इसके जिम्मेदार सिर्फ मामले को आगे देखने की बात कर रहे हैं. बदतर हालात होने के बावजूद कोई भी जिम्मेदार इसकी सफाई या रखरखाव की बात नहीं करता है.

झाबुआ। रियासत काल के राजा बहादुर सिंह ने सागर तालाब का निर्माण कराया था, ताकि आने वाले समय में लोगों को पानी की समस्या से जूझना ना पड़े, लेकिन वो तालाब आज बदहाली के आंसू रो रहा है. इस अमूल्य धरोहर को लालची लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और यहां चारों ओर गंदगी का आलम है. इसके चलते तालाब सिकुड़ा जा रहा है.

बदहाल बहादुर सागर तालाब

1766 ईस्वी में ढाई हजार की आबादी के लिए 68.7 बीघा जमीन पर बहादुर सागर तालाब का निर्माण कराया गया था. राजा ने उस समय तालाब में 12 घाट भी बनवाए थे, ताकि भविष्य में लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद ना करना पड़े. अब हालात ये है कि तालाब के एक दर्जन घाट में से अब 4 ही घाट दिखाई देते हैं.

झाबुआ की रियासत के इतिहास में इस तालाब का जिक्र भी है, लेकिन नगर पालिका और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों ने इस तालाब को गंदगी का स्टोरेज बना दिया है. शहर की नामी कॉलोनी, यहां तक कि विश्राम गृह के सीवरेज का पानी भी इसी तालाब में मिलता है.

सौंदर्यीकरण के नाम पर कई बार शासन से करोड़ों की राशि नगरपालिका को मिल चुकी है, लेकिन तालाब की ना सफाई हो रही है और ना तो जीर्णोद्धार. पहले भी तालाब में नाव चलाने और सौंदर्यीकरण के नाम पर नगरपालिका परिषद को लाखों की राशि दी गई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.

आज यह तालाब गंदगी और कीचड़ से भर गया है, बावजूद इसके जिम्मेदार सिर्फ मामले को आगे देखने की बात कर रहे हैं. बदतर हालात होने के बावजूद कोई भी जिम्मेदार इसकी सफाई या रखरखाव की बात नहीं करता है.

Intro:झाबुआ: रियासत काल के दौरान जिस बहादुर सागर तालाब का निर्माण तत्कालीन राजा बहादुर सिंह ने कराया था ,आज वह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है । 1766 ईस्वी में तत्कालीन ढाई हजार की आबादी के लिए 68.7 बीघा जमीन पर बहादुर सागर तालाब का निर्माण कराया गया था। राजा ने उस समय तालाब में 12 घाट और 10 में भी बनवाए थे ताकि भविष्य में लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद ना करना पड़े । इतिहास की इस अमूल्य धरोहर को लालची लोगों ने येन केन अतिक्रमण ओर गंदगी से पाट दिया।


Body:तालाब में निर्मित एक दर्जन घाट में से आज केवल चार ही घाट दिखाई देते हैं ,अधिकांश कुँए मरणासन्न स्थिति में है । झाबुआ रियासत के इस तालाब का जिक्र इतिहास में भी दर्ज है। नगर पालिका और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों ने इस तालाब को गंदगी का स्टोरेज बना दिया गया है । शहर की कई नामी कॉलोनियों और यहाँ तक कि सरकारी विश्राम गृह की( गंदगी) सीवरेज का पानी इसी तालाब में मिलाया जा रहा है । जो सरकार चीख- चीख स्वच्छता का ढिंढोरा पीट रही है उसी सरकार के नुमाइंदे गंदगी फैलाने में अव्वल आ रहे है ।


Conclusion:ऐतिहासिक महत्व के इस तालाब में कभी जलकुंभी तो कभी कमल की अधोषित खेती होती है। 68 बीघा से ज्यादा क्षेत्र में फैले तालाब के घाटों पर अतिक्रमण के चलते इस सिकुडा जा रहा है । सौंदर्यीकरण के नाम पर कई बार शासन से करोड़ों की राशि नगरपालिका को मिल चुकी है मगर इस तालाब ना सफाई हो रहा और ना जीर्णोद्धार। पूर्व परिषद ने इस तालाब में नाव चलाने के नाम पर भी लाखों की खरीदी कर जनता के धन को बर्बाद कर चुकी मगर उन नाव की सवारी का लाभ कभी जनता को नहीं मिला । आज तालाब गंदगी और जलकुंभी के साथ-साथ कमल के पत्तो के साथ गाद से पट चुका है बावजूद अधिकारी मामला दिखाने की बात करे है । ईटीवी द्वारा कमलनाथ केबिनेट के मंत्री सुखदेव पांसे से तालाब की गंदगी के संबंध में सवाल पूछने पर मंत्री ने इस मामले को दिखाने की बात कही है
बाइट : जितेंद्र सिंह राठौड़, स्थानीय रहवासी
बाइट : ऑफिस पानेरी ,वार्ड पार्षद
बाइट : एलएस डोडिया, सीएमओ, नगरपालिका झाबुआ
बाइट : सुखदेव पासी ,पीएचई मंत्री
Last Updated : Jun 21, 2019, 6:51 PM IST
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