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डैम पूरा बनने के बाद भी किसानों नहीं मिला मुआवजा, पानी की सप्लाई भी बंद - डूब क्षेत्र में किसानों की जमीन

मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के तहत बने डैम को अभी तक पूरा नहीं भरा गया है, जिस वजह से शहरवासियों को पानी की किल्लत से रुबरु होना पड़ सकता है. डैम को पूरा नहीं भरने की वजह डूब में आने वाले किसानों की जमीन है, जिसका उन्हें अभी तक जमीन का मुआवजा नहीं मिला है.

Not full dam
नहीं भरा डैम
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Published : Jul 1, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 11:19 AM IST

झाबुआ । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ जिले के लिए 44 करोड़ की मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत झाबुआ से सात किमी दूर अनास नदी पर सितंबर 2019 में 30 करोड़ रुपए की लागत से डैम बनकर तैयार हो गया है. शहर में परियोजना के तहत 14 करोड़ की रकम पाइपलाइन बिछाने सहित इंटरवेल और टंकियों के निर्माण में होना है. इस योजना को 2016 में शुरू किया गया था. सितंबर 2019 में डैम का काम भी पूरा हो गया, लेकिन अब तक इस डैम को उसकी पूरी क्षमता से नहीं भरा जा सका है. डैम पूरा नहीं भरने की वजह से डूब क्षेत्र में किसानों की आने वाली जमीन है.

किसानों को नहीं मिला मुआवजा

नहीं मिला किसानों को मुआवजा

डैम के आसपास पांच गांवों के किसानों को डूब क्षेत्र में गई उनकी जमीनों का मुआवजा अब तक नहीं मिला है. ये किसान पिछले 4 सालों से नगरपालिका और जिला कलेक्टर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा है. साल 2019 में जिले में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन डैम को पूरा नहीं भरा जा सका, जिसके चलते इस साल गर्मी में झाबुआ के लोगों को हर साल की तरह इस साल भी पानी की परेशानी से जूझना पड़ सकता है. यदि डैम को पूरा भरा जाए तो डैम के आसपास के 5 गांवों के 135 किसानों की जमीन डूब में चली जाएगी. पीथनपुर गांव के किसान बताते हैं कि इस साल उनके ऊपर दोहरी मार पड़ी है, डूब क्षेत्र के चलते वे अपनी जमीन पर ना तो खेती कर पा रहे हैं और ना ही सरकार उन्हें मुआवजा दे रही है. एक ओर कोरोना के चलते रोजगार नहीं मिल रहा तो दूसरी ओर उनके परिवार के पालन-पोषण में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

नगर पालिका का क्या कहना है

क्षेत्र के 135 किसानों को 2 करोड़ 70 लाख का मुआवजा देना बाकी है. नगरपालिका के सीएमओ का कहना है कि मुआवजे के लिए उनके पास रकम नहीं है. मुआवजे के लिए शासन से अनुदान मांगा गया है. जैसे ही राशि मिलती है, किसानों को बांटी जाएगी. झाबुआ उपचुनाव के दौरान भी यह मुद्दा खूब गर्माया था. तब तत्कालीन नगरी प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने किसानों को उनका मुआवजा जल्द दिए जाने की बात कही थी, लेकिन किसानों के हाथ कुछ नहीं आया. अब सरकार बदल चुकी है किसानों को मुआवजा देने और शहरवासियों को इस डैम से पानी पहुंचाने के लिए जिम्मेदारी शिवराज सरकार पर आ गई है. जब तक किसानों को जमीनों का मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक 30 करोड़ की लागत से बनाए गए इस विशालकाय डैम का उपयोग हो पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है.

झाबुआ । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ जिले के लिए 44 करोड़ की मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना की घोषणा की थी. इस योजना के तहत झाबुआ से सात किमी दूर अनास नदी पर सितंबर 2019 में 30 करोड़ रुपए की लागत से डैम बनकर तैयार हो गया है. शहर में परियोजना के तहत 14 करोड़ की रकम पाइपलाइन बिछाने सहित इंटरवेल और टंकियों के निर्माण में होना है. इस योजना को 2016 में शुरू किया गया था. सितंबर 2019 में डैम का काम भी पूरा हो गया, लेकिन अब तक इस डैम को उसकी पूरी क्षमता से नहीं भरा जा सका है. डैम पूरा नहीं भरने की वजह से डूब क्षेत्र में किसानों की आने वाली जमीन है.

किसानों को नहीं मिला मुआवजा

नहीं मिला किसानों को मुआवजा

डैम के आसपास पांच गांवों के किसानों को डूब क्षेत्र में गई उनकी जमीनों का मुआवजा अब तक नहीं मिला है. ये किसान पिछले 4 सालों से नगरपालिका और जिला कलेक्टर के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा है. साल 2019 में जिले में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन डैम को पूरा नहीं भरा जा सका, जिसके चलते इस साल गर्मी में झाबुआ के लोगों को हर साल की तरह इस साल भी पानी की परेशानी से जूझना पड़ सकता है. यदि डैम को पूरा भरा जाए तो डैम के आसपास के 5 गांवों के 135 किसानों की जमीन डूब में चली जाएगी. पीथनपुर गांव के किसान बताते हैं कि इस साल उनके ऊपर दोहरी मार पड़ी है, डूब क्षेत्र के चलते वे अपनी जमीन पर ना तो खेती कर पा रहे हैं और ना ही सरकार उन्हें मुआवजा दे रही है. एक ओर कोरोना के चलते रोजगार नहीं मिल रहा तो दूसरी ओर उनके परिवार के पालन-पोषण में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

नगर पालिका का क्या कहना है

क्षेत्र के 135 किसानों को 2 करोड़ 70 लाख का मुआवजा देना बाकी है. नगरपालिका के सीएमओ का कहना है कि मुआवजे के लिए उनके पास रकम नहीं है. मुआवजे के लिए शासन से अनुदान मांगा गया है. जैसे ही राशि मिलती है, किसानों को बांटी जाएगी. झाबुआ उपचुनाव के दौरान भी यह मुद्दा खूब गर्माया था. तब तत्कालीन नगरी प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने किसानों को उनका मुआवजा जल्द दिए जाने की बात कही थी, लेकिन किसानों के हाथ कुछ नहीं आया. अब सरकार बदल चुकी है किसानों को मुआवजा देने और शहरवासियों को इस डैम से पानी पहुंचाने के लिए जिम्मेदारी शिवराज सरकार पर आ गई है. जब तक किसानों को जमीनों का मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक 30 करोड़ की लागत से बनाए गए इस विशालकाय डैम का उपयोग हो पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है.

Last Updated : Jul 3, 2020, 11:19 AM IST
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