भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी तो 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा. विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट पीछे चल रही कांग्रेस के लिए अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए एक बेहतर मौका है. अगर कांग्रेस गुटबाजी और भितरघात पर अंकुश लगा लेती है तो इस सीट के समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने झाबुआ विधायक जीएस डामोर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था, जिन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल की थी. जिसके चलते वह विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चले गए. जिससे झाबुआ सीट खाली थी.
आपसी अंतरकलह से झाबुआ में मिली थी कांग्रेस को हार
विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस की अंतरकलह का फायदा उठाते हुए इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने यहां से कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को चुनाव मैदान में उतारा था. जिससे नाराज होकर कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा निर्दलीय मैदान में उतर गए. ऐसे में कांग्रेस की इस आपसी लड़ाई का फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी के जीएस डामोर ने इस सीट पर बाजी मार ली. कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को इस सीट पर दस हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था.
भले ही विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट पर कांग्रेस हार गई हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर बढ़त बनाई थी. ऐसे में उसे यहां फिर उम्मीद नजर आ रही है. बात अगर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार की जाए तो यहां कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया उनके बेटे विक्रांत भूरिया और जेवियर मेड़ा ही अब तक प्रत्याशी की रेस में नजर आ रहे हैं. लेकिन सीएम कमलनाथ के सामने भूरिया परिवार और जेवियर मेड़ा के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती होगी.
झाबुआ उपचुनाव पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार है. कमलनाथ की सरकार की जो कल्याणकारी योजनाएं हैं. उससे जनता को सीधा फायदा मिला है. दूसरी तरफ केंद्र की सरकार जिस तरह से आदिवासी समाज के उत्थान मे अड़गे लगा रही है. इन सब चीजों को देखते हुए कांग्रेस सीट को फतेह करेगी और जो विपक्ष की उत्कंठा है, उसका यहीं से बैंड बजेगा और कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी.
चुनाव में जयस का भी रहेगा बढ़ा रोल
झाबुआ उपचुनाव में जय आदिवासी संगठन जयस का भी बड़ा रोल रहेगा. क्योंकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां जयस प्रभावी भूमिका में रहेगा. हालांकि जयस के मुखिया और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा अगर यहां कांग्रेस के लिए समर्थन करते हैं तो फिर कांग्रेस के लिए आसानी होगी. अगर कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी तो वह विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के एक कदम और पास पहुंचेगी.