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क्या इस बार झाबुआ में कांग्रेस को मिलेगी जीत, या भूरिया-मेड़ा के अंतरकलह से फिर बदलेगा समीकरण - Jayas in Jhabua by-election

निर्वाचन आयोग ने झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. झाबुआ विधानसभा सीट के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव संपन्न होगा और 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा. कांग्रेस का कहना है कि इस बार इस सीट पर जीत हमारी होगी.

सीएम कमलनाथ
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Published : Sep 21, 2019, 7:02 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 9:48 PM IST

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी तो 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा. विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट पीछे चल रही कांग्रेस के लिए अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए एक बेहतर मौका है. अगर कांग्रेस गुटबाजी और भितरघात पर अंकुश लगा लेती है तो इस सीट के समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं.

झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने झाबुआ विधायक जीएस डामोर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था, जिन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल की थी. जिसके चलते वह विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चले गए. जिससे झाबुआ सीट खाली थी.

आपसी अंतरकलह से झाबुआ में मिली थी कांग्रेस को हार
विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस की अंतरकलह का फायदा उठाते हुए इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने यहां से कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को चुनाव मैदान में उतारा था. जिससे नाराज होकर कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा निर्दलीय मैदान में उतर गए. ऐसे में कांग्रेस की इस आपसी लड़ाई का फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी के जीएस डामोर ने इस सीट पर बाजी मार ली. कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को इस सीट पर दस हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था.

भले ही विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट पर कांग्रेस हार गई हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर बढ़त बनाई थी. ऐसे में उसे यहां फिर उम्मीद नजर आ रही है. बात अगर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार की जाए तो यहां कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया उनके बेटे विक्रांत भूरिया और जेवियर मेड़ा ही अब तक प्रत्याशी की रेस में नजर आ रहे हैं. लेकिन सीएम कमलनाथ के सामने भूरिया परिवार और जेवियर मेड़ा के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती होगी.

झाबुआ उपचुनाव पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार है. कमलनाथ की सरकार की जो कल्याणकारी योजनाएं हैं. उससे जनता को सीधा फायदा मिला है. दूसरी तरफ केंद्र की सरकार जिस तरह से आदिवासी समाज के उत्थान मे अड़गे लगा रही है. इन सब चीजों को देखते हुए कांग्रेस सीट को फतेह करेगी और जो विपक्ष की उत्कंठा है, उसका यहीं से बैंड बजेगा और कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी.

चुनाव में जयस का भी रहेगा बढ़ा रोल
झाबुआ उपचुनाव में जय आदिवासी संगठन जयस का भी बड़ा रोल रहेगा. क्योंकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां जयस प्रभावी भूमिका में रहेगा. हालांकि जयस के मुखिया और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा अगर यहां कांग्रेस के लिए समर्थन करते हैं तो फिर कांग्रेस के लिए आसानी होगी. अगर कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी तो वह विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के एक कदम और पास पहुंचेगी.

भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी तो 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा. विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट पीछे चल रही कांग्रेस के लिए अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए एक बेहतर मौका है. अगर कांग्रेस गुटबाजी और भितरघात पर अंकुश लगा लेती है तो इस सीट के समीकरण कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं.

झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने झाबुआ विधायक जीएस डामोर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था, जिन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल की थी. जिसके चलते वह विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चले गए. जिससे झाबुआ सीट खाली थी.

आपसी अंतरकलह से झाबुआ में मिली थी कांग्रेस को हार
विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने कांग्रेस की अंतरकलह का फायदा उठाते हुए इस सीट पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने यहां से कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को चुनाव मैदान में उतारा था. जिससे नाराज होकर कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा निर्दलीय मैदान में उतर गए. ऐसे में कांग्रेस की इस आपसी लड़ाई का फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी के जीएस डामोर ने इस सीट पर बाजी मार ली. कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को इस सीट पर दस हजार वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था.

भले ही विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट पर कांग्रेस हार गई हो. लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर बढ़त बनाई थी. ऐसे में उसे यहां फिर उम्मीद नजर आ रही है. बात अगर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार की जाए तो यहां कांग्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया उनके बेटे विक्रांत भूरिया और जेवियर मेड़ा ही अब तक प्रत्याशी की रेस में नजर आ रहे हैं. लेकिन सीएम कमलनाथ के सामने भूरिया परिवार और जेवियर मेड़ा के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती होगी.

झाबुआ उपचुनाव पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार है. कमलनाथ की सरकार की जो कल्याणकारी योजनाएं हैं. उससे जनता को सीधा फायदा मिला है. दूसरी तरफ केंद्र की सरकार जिस तरह से आदिवासी समाज के उत्थान मे अड़गे लगा रही है. इन सब चीजों को देखते हुए कांग्रेस सीट को फतेह करेगी और जो विपक्ष की उत्कंठा है, उसका यहीं से बैंड बजेगा और कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी.

चुनाव में जयस का भी रहेगा बढ़ा रोल
झाबुआ उपचुनाव में जय आदिवासी संगठन जयस का भी बड़ा रोल रहेगा. क्योंकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते यहां जयस प्रभावी भूमिका में रहेगा. हालांकि जयस के मुखिया और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा अगर यहां कांग्रेस के लिए समर्थन करते हैं तो फिर कांग्रेस के लिए आसानी होगी. अगर कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब होगी तो वह विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के एक कदम और पास पहुंचेगी.

Intro:भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग ने झाबुआ उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। झाबुआ विधानसभा सीट के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव संपन्न होगा और 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा। बहुमत के आंकड़े से महज 2 सीट पीछे चल रही कांग्रेस के लिए अपनी एक सीट बढ़ाने के लिए एक बेहतर मौका है। झाबुआ सीट के समीकरण भी कांग्रेस के पक्ष में नजर आते हैं,अगर कांग्रेस गुटबाजी और भितरघात पर अंकुश लगा ले। विधानसभा चुनाव में कांग्रेश सिर्फ बागी उम्मीद के कारण यह जीती जितायी सीट हार गई थी। उपचुनाव के पहले भी झाबुआ सीट को लेकर घमासान की स्थिति है। एक तरफ जहां कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा के बीच विधानसभा चुनाव की तरह घमासान देखने को मिल रहा है। तो युवाओं का आदिवासी संगठन जयस भी ताल ठोकता नजर आ रहा है। ऐसे में पूरा दारोमदार मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के ऊपर है। कि वह झाबुआ की सीट जीतकर कैसे बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंचते हैं।


Body:दरअसल झाबुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के हालात इसलिए बने। क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने झाबुआ विधायक जी एस डामोर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया था।जी एस डामोर ने लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को हराकर जीत हासिल की चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और सांसद बनना मंजूर किया। ऐसे में झाबुआ में दोबारा विधानसभा चुनाव की स्थिति बन गई। भले ही इन दोनों चुनावों में इस सीट से कांग्रेस की हार हुई है। लेकिन समीकरणों पर गौर किया जाए तो यह विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट नजर आती है।

जहां तक विधानसभा चुनाव की बात करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया को चुनाव मैदान में उतारा गया था। इस बात से नाराज होकर जेवियर मेडा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था और 35 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे। जेवियर मेड़ा के बागी होने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी 10 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनाव के परिणाम को भी देखें,तो झाबुआ रतलाम सीट में कांग्रेस की हार भले हुई थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम में झाबुआ विधानसभा सीट में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। ऐसी परिस्थिति में साफ जाहिर है कि अगर कांग्रेस अपनी गुटबाजी और भीतरघात पर अंकुश लगाने में कामयाब रहती है। तो कांग्रेस आसानी से झाबुआ उपचुनाव जीत सकती है

मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के लिए बड़ी चुनौती है कि वह कांतिलाल भूरिया परिवार और जेवियर मेड़ा के बीच के विवाद को सुलझाएं। साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे आदिवासी युवा संगठन जयस को मनाने का काम करें। अगर कमलनाथ इन दोनों मुश्किलों को हल करने में कामयाब रहे, तो वह अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने में भी कामयाब रहेंगे।


Conclusion:झाबुआ उपचुनाव को लेकर मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार है। कमलनाथ की सरकार की जो कल्याणकारी योजनाएं हैं, कमलनाथ की सरकार जिस तरह जनता के बीच सक्रिय और सजग है और उन्हें लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ केंद्र की सरकार जिस तरह से आदिवासी समाज के उत्थान मे अड़गे लगा रही है। इन सब चीजों को देखते हुए कांग्रेस सीट को फतेह करेगी और जो विपक्ष की उत्कंठा है, उसका यहीं से बैंड बजेगा और कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी।

झाबुआ में चली आ रही भूरिया और मेढ़ा विवाद और जयस की तैयारी को लेकर कांग्रेस का कहना है कि ऐसा कोई विवाद नहीं है। राजनीतिक दलों में प्रतिस्पर्धा होती है। इसका भी निराकरण कर लिया जाएगा। जो सर्व स्वीकार नाम होगा वह सामने आएगा।
Last Updated : Sep 21, 2019, 9:48 PM IST
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