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क्या कांतिलाल की राह में फिर रोड़ा बनेंगे मेड़ा, कांग्रेस ने कहा-इस बार नहीं कोई विवाद - जेवियर मेढ़ा

झाबुआ उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा के बीच एक बार फिर विवाद की चर्चा चल रही है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि मेड़ा की सहमति से ही कांतिलाल भूरिया को टिकट दिया गया है.

कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेढ़ा
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Published : Sep 28, 2019, 9:13 PM IST

भोपाल। झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर दांव लगाया है. लेकिन इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद भी कांग्रेस की मुसीबतें कम नहीं हुई है. बगावत कांग्रेस के लिए यहां बड़ा खतरा साबित हो सकती है. क्योंकि कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा भी इस सीट से दावेदार थे. लेकिन पार्टी ने कांतिलाल भूरिया पर दांव लगाया है. ऐसे में अगर मेड़ा ने बगावत की तो यहां कांग्रेस का खेल एक बार फिर बिगड़ सकता है.

कांग्रेस को है भरोसा मेड़ा के दम पर होगी जीत

मेड़ा की बगावत से विधानसभा चुनाव में मिली थी कांग्रेस को हार
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम फिर से इस सीट पर दोहराया जा सकता है. क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा अपनों की वगावत ने हराया था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया को टिकट दिया था. जिससे नाराज होकर मेड़ा निर्दलीय मैदान में उतर गए. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी प्रत्याशी गुमान सिंह डामौर ने यहां जीत का डंका बजा दिया.

विधानसभा चुनाव में विक्रात भूरिया दस हजार वोटों से चुनाव हारे थे जबकी कांग्रेस के बागी प्रत्याशी जेवियर मेड़ा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 35 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब हुए थे. जो विक्रांत की हार की सबसे बड़ी वजह बनी थी. जेवियर मेड़ा ने भले ही विधानसभा चुनाव में वगावत की थी. लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उनका निष्कासन वापस लेते हुए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया था. ऐसे में मेड़ा अब उपचुनाव में अपना दावा ठोक रहे थे.

लोकसभा में भितरघात बनी थी कांतिलाल भूरिया के हार की वजह
राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि रतलाम-झाबुआ सीट पर लोकसभा चुनाव में भी जेवियर मेडा के भितरघात से कांतिलाल भूरिया को हार का सामना करना पड़ा था. भूरिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी जीएस डामोर से हार गए थे. क्योंकि कांग्रेस के ही जेवियर मेढ़ा कांतिलाल भूरिया की राह में रोड़े अटका रहे थे.

भूरिया-मेड़ा विवाद पर कांग्रेस की सफाई
हालांकि कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा के विवाद पर कांग्रेस ने सफाई दी है. कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह कहना है कि दोनों नेताओं के बीच किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है. कांतिलाल भूरिया को टिकट जेवियर मेड़ा की सहमति के बाद ही दिया गया है. दोनों नेता मिलकर झाबुआ में कांग्रेस को जीत दिलाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि जेवियर मेड़ा पूरी ताकत से कांतिलाल भूरिया को जिताने में सहयोग करेंगे. उन्होंने बताया कि जेवियर मेडा ने पार्टी से कहा है कि इस बार कांग्रेस झाबुआ में भारी मतों से जीत दर्ज करेगी.

भले ही कांग्रेस भूरिया और मेड़ा के विवाद को अफवाह बता रही हो. लेकिन अगर यह सही साबित होता है. तो फिर कांग्रेस के लिए यहां परेशानियां हो सकती है. हालांकि राजनीति में पल-पल परस्थितियां बदलती रहती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बाप-बेटे की हार का कारण बने जेवियर मेड़ा इस बार क्या गुल खिलाएंगे.

भोपाल। झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर दांव लगाया है. लेकिन इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने के बाद भी कांग्रेस की मुसीबतें कम नहीं हुई है. बगावत कांग्रेस के लिए यहां बड़ा खतरा साबित हो सकती है. क्योंकि कांग्रेस के पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा भी इस सीट से दावेदार थे. लेकिन पार्टी ने कांतिलाल भूरिया पर दांव लगाया है. ऐसे में अगर मेड़ा ने बगावत की तो यहां कांग्रेस का खेल एक बार फिर बिगड़ सकता है.

कांग्रेस को है भरोसा मेड़ा के दम पर होगी जीत

मेड़ा की बगावत से विधानसभा चुनाव में मिली थी कांग्रेस को हार
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम फिर से इस सीट पर दोहराया जा सकता है. क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा अपनों की वगावत ने हराया था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया को टिकट दिया था. जिससे नाराज होकर मेड़ा निर्दलीय मैदान में उतर गए. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला और बीजेपी प्रत्याशी गुमान सिंह डामौर ने यहां जीत का डंका बजा दिया.

विधानसभा चुनाव में विक्रात भूरिया दस हजार वोटों से चुनाव हारे थे जबकी कांग्रेस के बागी प्रत्याशी जेवियर मेड़ा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 35 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब हुए थे. जो विक्रांत की हार की सबसे बड़ी वजह बनी थी. जेवियर मेड़ा ने भले ही विधानसभा चुनाव में वगावत की थी. लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उनका निष्कासन वापस लेते हुए उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया था. ऐसे में मेड़ा अब उपचुनाव में अपना दावा ठोक रहे थे.

लोकसभा में भितरघात बनी थी कांतिलाल भूरिया के हार की वजह
राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि रतलाम-झाबुआ सीट पर लोकसभा चुनाव में भी जेवियर मेडा के भितरघात से कांतिलाल भूरिया को हार का सामना करना पड़ा था. भूरिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी जीएस डामोर से हार गए थे. क्योंकि कांग्रेस के ही जेवियर मेढ़ा कांतिलाल भूरिया की राह में रोड़े अटका रहे थे.

भूरिया-मेड़ा विवाद पर कांग्रेस की सफाई
हालांकि कांतिलाल भूरिया और जेवियर मेड़ा के विवाद पर कांग्रेस ने सफाई दी है. कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह कहना है कि दोनों नेताओं के बीच किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है. कांतिलाल भूरिया को टिकट जेवियर मेड़ा की सहमति के बाद ही दिया गया है. दोनों नेता मिलकर झाबुआ में कांग्रेस को जीत दिलाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि जेवियर मेड़ा पूरी ताकत से कांतिलाल भूरिया को जिताने में सहयोग करेंगे. उन्होंने बताया कि जेवियर मेडा ने पार्टी से कहा है कि इस बार कांग्रेस झाबुआ में भारी मतों से जीत दर्ज करेगी.

भले ही कांग्रेस भूरिया और मेड़ा के विवाद को अफवाह बता रही हो. लेकिन अगर यह सही साबित होता है. तो फिर कांग्रेस के लिए यहां परेशानियां हो सकती है. हालांकि राजनीति में पल-पल परस्थितियां बदलती रहती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बाप-बेटे की हार का कारण बने जेवियर मेड़ा इस बार क्या गुल खिलाएंगे.

Intro:भोपाल। झाबुआ उपचुनाव के लिए एक कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर दांव लगाया है। कांतिलाल भूरिया हाल ही में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी जीएस डामोर से हार गए थे। हालांकि कांग्रेस को टिकट तय करना काफी मुश्किल था क्योंकि कांग्रेस के ही जेवियर मेढ़ा कांतिलाल भूरिया की राह में रोड़े अटका रहे थे। हालांकि कांग्रेस की माने तो जेवियर मेड़ा की सलाह और उनके प्रस्ताव पर कांतिलाल भूरिया को टिकट दिया गया है। लेकिन राजनैतिक हलकों में जेवियर मेड़ा को लेकर अविश्वास की स्थिति बन रही है। चर्चा है कि जिस तरह विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया की हार का कारण जेवियर मेड़ा बागी होकर बने थे,कहीं ऐसा ना हो कि वह चुनाव में भितरघात कर पिता की हार का कारण बने।


Body:दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 की बात करें, तो कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया को टिकट दिया था। इस बात से नाराज होकर जेवियर मेड़ा बागी हो गए थे और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। जेवियर मेडा चुनाव तो नहीं जीत पाए, लेकर विक्रम भूरिया की हार का कारण बने।विक्रम भूरिया मात्र 10 हजार वोटों से चुनाव हारे और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी जेवियर मेड़ा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 35 हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब रहे। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद उनका निष्कासन पार्टी ने वापस ले लिया और लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांतिलाल भूरिया के लिए काम भी किया । लेकिन जब झाबुआ में उपचुनाव की स्थिति बनी तो जेवियर मेड़ा ने फिर से अपनी दावेदारी ठोकी। दोनों को मनाने में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को भारी मेहनत करनी पड़ी।आखिरकार कमलनाथ जेवियर मेडा को मनाने में कामयाब रहे और कांतिलाल भूरिया को टिकट दिया गया। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी में रहते हुए जेवियर मेडा कहीं भीतर घात ना कर दें और जिस तरह विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रम भूरिया की हार का कारण बागी होकर बने थे, उसी तरह उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया को ना हरवा दें।


Conclusion:इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री और झाबुआ उपचुनाव के प्रभारी राजीव सिंह का कहना है कि इस तरह की बातें बिल्कुल गलत है। मैं यह सोचता हूं कि ऐसा सोचना भी गलत है। क्योंकि जेवियर मेड़ा कांग्रेस के सम्मानित साथी हैं। कांग्रेस से विधायक भी रह चुके हैं। अभी चयन प्रक्रिया में भी उनकी पूरी भागीदारी थी। उन्हीं की सहमति और उनके प्रस्ताव पर ही कांतिलाल भूरिया को उम्मीदवार बनाया गया है।मैं समझता हूं कि जेवियर मेड़ा बहुत ताकत से कांतिलाल भूरिया को जिताने में सहयोग करेंगे। जैसा सहयोग उन्होंने लोकसभा चुनाव में किया था, जहां जेवियर मेडा रहते थे,वहां पर कांतिलाल भूरिया भारी मतों से चुनाव जीते। जेवियर मेडा ने पार्टी से कहा है कि इस बार और ज्यादा मतों से जीतेंगे। यह सब केवल मीडिया का प्रचार है. जबकि हकीकत यह है कि मैं भी अभी झाबुआ गया था।तो वहां भूरिया जी और जेवियर मेड़ा दोनों साथ रहते थे और हम लोग साथ घूमते थे। ऐसा कहीं कुछ नहीं है,किसी के मन में कुछ नहीं है। जेवियर मेडा निष्ठा के साथ कांग्रेस प्रत्याश को जिताने का काम कर रहे हैं।
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