झाबुआ। कोरोना महामारी का ग्रहण धार्मिक त्योहारों के साथ-साथ अब राष्ट्रीय पर्व पर भी छाने लगा है, पिछले 72 सालों से देश के करोड़ों लोग आजादी का जश्न उत्साह, उल्लास और धूमधाम से मनाते आ रहे हैं, लेकिन इस बार संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्वतंत्रता दिवस पर ज्यादातर आयोजन रद्द कर दिए गए हैं, जिससे इस बार आजादी का पर्व फीका नजर आएगा.
जिस आजादी के लिए देश के लाखों लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया, उसी आजादी के जश्न को मनाना मुश्किल होगा, ऐसा कभी किसी ने सोचा नहीं होगा. कोरोना महामारी के चलते झाबुआ में 15 अगस्त पर होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों में आम लोगों की भीड़ को कम करने के लिए सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया गया है. आजादी के महत्व को समझाने के लिए जिन स्कूली बच्चों से जय हिंद के नारे लगवाए जाते थे, वे बच्चे इस बार आजादी के जश्न से दूर रहेंगे. शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उमड़ने वाली विद्यार्थियों की भीड़ पहले की तरह आयोजन स्थलों पर दिखाई नहीं देगी.
जिले से लेकर गांव तक आयोजित होने वाले प्रमुख ध्वजारोहण कार्यक्रम और सांस्कृतिक आयोजनों पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है, जिसके चलते सरकारी और निजी स्थानों पर होने वाले आयोजनों को सीमित और निरस्त किया जा रहा है. सरकारी आदेश के अनुसार सार्वजनिक स्थल पर होने वाले बड़े आयोजनों नहीं होंगे. झाबुआ में हर साल आजादी का जश्न प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में आयोजित होता था. झाबुआ के कॉलेज ग्राउंड डीआरपी लाइन में भारतीयों की आन-बान और शान के प्रतीक तिरंगे को पूरे प्रोटोकॉल के साथ फहराया जाता था. इस दौरान पुलिस का मार्च फास्ट, हर्ष फायर, एनसीसी कैडेट्स की सलामी, विभागों की झाकियां और बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम होते थे.
इस बार कोरोना का प्रकोप है, इसलिए इन सब पर खतरा मंडरा रहा है. जिसके चलते ये कार्यक्रम निरस्त किए गए हैं. इस बार आजादी के जश्न में विद्यार्थी, गणमान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि शामिल नहीं हो पाएंगे. आजादी के जश्न में सहभागी बनने वाले इस बार कोरोना संकट के चलते आजादी के जश्न में शामिल नहीं हो पाएंगे. सरकारी आदेशों के अनुसार संस्था प्रमुख अपनी संस्थाओं पर तिरंगा फहराएंगे. इस दौरान सरकारी कार्यालयों पर हर साल की तरह आकर्षक विद्युत साजो-सज्जा की जाएगी. मगर संस्थाओं में किसी भी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध रहेगा.