झाबुआ। आदिवासी बहुल्य जिला झाबुआ में सार्वजनिक परिवहन का एकमात्र साधन निजी बसें हैं. कोविड-19 के संकट काल के चलते 70 दिनों तक सरकार के निर्देश पर इन बसों के चक्के थमे रहे. वहीं जब 9 जून से इन बसों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ चालू करने के निर्देश दिए गए तो बस ऑपरेटरों ने आर्थिक नुकसान की दुहाई देते हुए बसों का संचालन करने से मना कर दिया था. ऐसे में इन बसों पर आश्रित रहने वाले ड्राइवर, कंडक्टर, क्लीनर, हेल्पर और बस स्टेशनों पर आवाज लगाकर सवारियों को बसों में बैठाने वाले एजेंटों के बारे में किसी ने नहीं सोचा. कोरोना संकट काल में सरकार और प्रशासन ने अपने स्तर पर गरीबों की मदद की लेकिन बसों पर काम करने वाले इस वर्ग के लोगों का ख्याल किसी को नहीं आया. ऐसे में बिना मदद के गुजर-बसर कर रहे इन लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सुनसान हुए बस स्टॉप
जिले में बीते 86 दिनों से कोरोना कहर के चलते बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. 24 मार्च से लगे जनता कर्फ्यू और 25 मार्च से जारी लॉकडाउन का असर शायद इन बसों पर से खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. 86 दिनों से जिले में चलने वाली सैकड़ों निजी यात्री बसों में से एक भी यात्री बस न तो किसी बस स्टेशन पर पहुंची और न ही सवारियों को बिठाती नजर आ रही है. बसों की आवाजाही से गुलजार रहने वाले बस स्टेशन इन दिनों वीरान और सुनसान नजर आ रहे हैं. बस स्टेशन पर न तो बसों की आवाजाही हो रही है और न ही एजेंटों का शोर-शराबा सुनाई दे रहा है.
ये भी पढ़ें- पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलाने की परमिशन के बाद भी थमे हैं बसों के पहिए, लोग हो रहे परेशान
कोरोना के इस कहर ने बस व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों को तो बेरोजगार किया है. साथ ही साथ बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों के बस स्टेशन और उसके आसपास के बाजारों में न पहुंचने से सैकड़ों दुकानदारों का व्यापार-व्यवसाय भी प्रभावित किया है. बस स्टेशन पर कटलरी दुकान लगाने वाले, फलों का ठेला लगाने वाले, होटल संचालक, सहित ज्यादातर दुकानदार इन दिनों ग्राहकों के न पहुंचने से आर्थिक मंदी की मार झेल रहे हैं.
चाहते हैं रोड टैक्स में राहत
झाबुआ में निजी बस ऑपरेटर सरकार से बीते तीन महीनों का रोड टैक्स माफ करने और आने वाले तीन महीनों तक रोड टैक्स में राहत चाहते हैं, जिससे उन्हें होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. वहीं जिले में बसों का परिवहन न होने से लोग जीप और ट्रैक्टर के अलावा दूसरे साधनों से सोशल डिस्टेंसिंग को तार-तार करते हुए यात्रा करने को मजबूर हो रहे हैं.