झाबुआ। मध्य प्रदेश की पिटोल बॉर्डर पर गुजरात से आने वाले मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य छोड़ने के लिए झाबुआ जिला प्रशासन ने जिले में चलने वाली निजी बसों का अधिग्रहण किया है. इन बसों के जरिए वहां मौजूद मजदूरों को उनके गृह राज्य और गृह जिले भेजा जा रहा है. लेकिन रविवार को पिटोल बॉर्डर पर तैनात निजी बस चालकों से झाबुआ SDM डॉ अभयसिंह खरारी की बहस हो गई, जिस वजह से बस चालकों ने SDM पर अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय में जमकर हंगामा किया.
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बस चालकों ने SDM के व्यवहार को गलत बताते हुए कलेक्टर से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. वहीं बस मालिकों ने कलेक्टर से मुलाकात कर दूसरे राज्यों में भेजी जाने वाली बसों के किराए के एवज में प्रशासन द्वारा दिए जा रहे चैक क्लियर न होने पर भी नाराजगी जताई है. फिलहाल मामले की जानकारी मिलने के बाद RTO राजेश गुप्ता ने चालकों को समझाइश दी, जिसके बाद बस मालिक और ड्राइवर कलेक्टर कार्यालय से पुणे-पिटोल बॉर्डर लौटे.
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बस चालकों का कहना है कि वे संकट की इस घड़ी में प्रशासन के कहने पर हजारों किलोमीटर दूर प्रवासी मजदूरों को छोड़ने के लिए जा रहे हैं, लेकिन पिटोल बॉर्डर पर उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था तक नहीं की गई है. इसके अलावा उन्हें डरा-धमका कर अपमानित भी किया जा रहा है, जो कि बिल्कुल ठीक नहीं है.
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बता दें, बस चालकों के साथ दुर्व्यवहार को BJP प्रदेश कार्यसमिति सदस्य दौलत भावसार ने भी निंदनीय बताते हुए कलेक्टर से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.