झाबुआ। कोविड-19 कोरोना वायरस के उपचार में कारगर साबित माने जाने वाली जिस हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवाई को लेकर अमेरिका ने भारत को धमकी दी थी, उसी दवाई को लेकर झाबुआ में कांग्रेस-भाजपा में राजनीति शुरू हो गई है. 11 अप्रैल को जिला अस्पताल को महात्मा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर से 7 हजार हाइड्रोक्लोरोक्वीन क्वीन की टैबलेट मिली थी. इस दवाई उपलब्धता में झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया के बेटे डॉ विक्रांत भूरिया ने अपनी अहम भूमिका बताते हुए मीडिया और सोशल मीडिया में कई पोस्ट शेयर की थी जो भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर को नागवार गुजरी.
झाबुआ स्वास्थ्य विभाग के सीएचएमओ डॉ बीएस बारिया ने 11 अप्रैल को महात्मा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के डीन को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने हाइड्रोक्लोरोक्वीन टैबलेट की मांग की थी. उसी दिन झाबुआ को यह टैबलेट की आपूर्ति भी की गई थी.
सोशल मीडिया पर डॉ विक्रांत भूरिया ने सिविल सर्जन और जिला अस्पताल के अन्य डॉक्टरों को दवाई के बॉक्स भेंट करते हुए तस्वीर शेयर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी भूमिका के चलते जिला अस्पताल को यह दवाई उपलब्ध हुई. इधर भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर का कहना है कि सरकारी दवाई सरकारी अस्पताल को मिली इसमें किसकी क्या भूमिका हो सकती है. कांग्रेस और कांग्रेस के नेता इस संकट की घड़ी में भी झूठी वाहवाही लूटने से बाज नहीं आ रहे.
रतलाम से भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर ने कांग्रेस नेताओं पर कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 40 सालों से क्षेत्र की जनता को गुमराह करती आई है. इधर सीएचएमओ डॉ बीएस बारिया ने सांसद को एक पत्र लिखकर आश्वस्त किया है कि जो दवाई उपलब्ध हुई है उसमें विधायक पुत्र का कोई संबंध नहीं है. यह दवाई उनकी मांग पर उपलब्ध कराई गई हैं.