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झाबुआ में भगोरिया पर्व की धूम, आदिवासी संस्कृति की दिखेगी झलक - झाबुआ भगोरिया पर्व

गुरुवार से झाबुआ जिले में 7 दिनों तक भगोरिया पर्व मनाया जाएगा. भगोरिया पर्व के दौरान जिले के सभी बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजार मेलों का रूप लेंगे. आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुसार स्थानीय पुरुष धोती, झुलड़ी, पगड़ी के साथ हाथों में ढोल और मांदर लेकर और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा और चांदी के आभूषणों से सज धज कर मेले में पहुंचेगी.

bhagoriya festival in jhabua
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Published : Mar 13, 2019, 7:56 PM IST

झाबुआ| गुरुवार से झाबुआ जिले में 7 दिनों तक भगोरिया पर्व मनाया जाएगा. भगोरिया पर्व के दौरान जिले के सभी बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजार मेलों का रूप लेंगे. आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुसार स्थानीय पुरुष धोती, झुलड़ी, पगड़ी के साथ हाथों में ढोल और मांदर लेकर और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा और चांदी के आभूषणों से सज धज कर मेले में पहुंचेगी.

bhagoriya festival in jhabua

झाबुआ जिले के भगोरिया पर्व को लेकर बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं. आदिवासी जनजाति समुदाय के हर वर्ग की महिलाएं और पुरुष भगोरिया पर्व में शिरकत करते हैं. होली पर्व के 7 दिन पहले शहर और गांव में लगने वाले हाट बाजारों में हजारों लोग एक साथ खरीदारी करते हैं, पूरे उत्साह के साथ नाच-गाना करते हुए इस पर्व का मजा लेते हैं.

जनजाति लोगों की परंपराओं और नृत्यों को देखने बड़े शहरों से लोग भगोरिया देखने झाबुआ आते हैं. इन मेलों में भारत के गांव की संस्कृति साफ तौर पर देखी जा सकती है.

झाबुआ| गुरुवार से झाबुआ जिले में 7 दिनों तक भगोरिया पर्व मनाया जाएगा. भगोरिया पर्व के दौरान जिले के सभी बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजार मेलों का रूप लेंगे. आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुसार स्थानीय पुरुष धोती, झुलड़ी, पगड़ी के साथ हाथों में ढोल और मांदर लेकर और महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा और चांदी के आभूषणों से सज धज कर मेले में पहुंचेगी.

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झाबुआ जिले के भगोरिया पर्व को लेकर बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं. आदिवासी जनजाति समुदाय के हर वर्ग की महिलाएं और पुरुष भगोरिया पर्व में शिरकत करते हैं. होली पर्व के 7 दिन पहले शहर और गांव में लगने वाले हाट बाजारों में हजारों लोग एक साथ खरीदारी करते हैं, पूरे उत्साह के साथ नाच-गाना करते हुए इस पर्व का मजा लेते हैं.

जनजाति लोगों की परंपराओं और नृत्यों को देखने बड़े शहरों से लोग भगोरिया देखने झाबुआ आते हैं. इन मेलों में भारत के गांव की संस्कृति साफ तौर पर देखी जा सकती है.

Intro:झाबुआ : गुरुवार से झाबुआ जिले में आगामी 7 दिनों तक भगोरिया पर्व का उत्साह देखने को मिलेगा। इस दौरान जिले के सभी बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजार मेलों का रूप लेंगे। जहा ग्रामीण सज धज कर इन मेलों का लुफ्त उठाने पहुचेंगे। आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुसार स्थानीय पुरुष धोती, झुलडी, पगड़ी के साथ हाथों में ढोल और मांदर लेकर आएंगे तो महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा और चांदी के आभूषणों से सज धज पहुंचेगी। इन मेलों में मनोरंजन के लिए झूले चकरी और खाने पीने की दुकान पर्व का उल्लास को ओर बढ़ाएंगे ।


Body:आदिवासी जनजाति समुदाय के हर वर्ग के महिला पुरुष भगोरिया में शिरकत करते हैं । यह सामाजिक रुप से एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर कई प्रकार की कहानियां और की क़िवंदतियां प्रचलित है। होली पर्व के 7 दिनों के पहले शहर और गांव में लगने वाले हाट बाजारों के बड़े स्वरूप को भगोरिया कहा जाता है। इसमें हजारों लोग एक साथ खरीदारी करते हैं ,मौज करते हैं ,और पूरे उत्साह के साथ एक साथ नाच गाना करते हुए इस पर्व का मज़ा लेते है।


Conclusion:जनजाति लोगों की अपनी भाषा है ,अपने गीत है ,और अपना नृत्य है ।इसी के चलते बड़े शहरों और अन्य प्रांतों से सेलानी
भगोरिया देखने के लिए झाबुआ आते हैं । इन मेलों में भारत के गांव की संस्कृति साफ तौर पर देखी जा सकती है। मेलों में युवाओं में हुल्लड़बाजी तो युवतियों में यौवन की मस्ती भी भगोरिया पर्व ओर सुखद बना देती है। एक जैसा पहनावा, ढोल मांदल की थाप और बांसुरी की तान के साथ साथ पान की मस्ती से सराबोर यह पर उल्लास का पर्व कहलाता है ।
बाइट : गुमान सिंह डामोर , विधायक झाबुआ
नोट : शॉट ओर बाइट के 3 मेल किये कृपया केरी करे
पीटीसी: राजेन्द्र सिंह सोनगरा , रिपोर्टर
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