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समाज में स्त्री को मिले बराबर का दर्जा, नुक्कड़ नाटक के जरिए युवाओं की पहल

जबलपुर के युवाओं के एक ग्रुप ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया. समाज में स्त्री के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए युवाओं ने नुक्कड़ नाटक के जरिए यह पहल की है.

नुक्कड़ नाटक का आयोजन
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Published : Aug 25, 2019, 10:06 AM IST

जबलपुर। हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है, चाहे वो जीने का अधिकार हो या फिर विकास के लिए अवसर प्राप्त करने का अधिकार. 26 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस हैं जिसे लेकर जबलपुर के युवाओं के एक ग्रुप ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया.

नुक्कड़ नाटक का आयोजन


अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस पर महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिलाने के लिए बनाया गया है. इसी मुद्दे को ध्यान में रखकर जबलपुर के 12वीं और फर्स्ट ईयर के इन बच्चों ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जिसमें नाटक के जरिए लोगों को समझाया कि परिवार, समाज, ऑफिस से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में किस तरीके से महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है.


इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव की वजह से महिलाएं इन अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. समाज के इस भेदभाव को नाट्क का रूपांतरण और मंचन बच्चों ने खुद ही किया है. बच्चों का कहना है कि वह इस नुक्कड़ नाटक को जबलपुर के कई इलाकों में कर रहे हैं ताकि समाज में स्त्री के प्रति लोगों की सोच बदल सकें.

जबलपुर। हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है, चाहे वो जीने का अधिकार हो या फिर विकास के लिए अवसर प्राप्त करने का अधिकार. 26 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस हैं जिसे लेकर जबलपुर के युवाओं के एक ग्रुप ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया.

नुक्कड़ नाटक का आयोजन


अंतर्राष्ट्रीय समानता दिवस पर महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिलाने के लिए बनाया गया है. इसी मुद्दे को ध्यान में रखकर जबलपुर के 12वीं और फर्स्ट ईयर के इन बच्चों ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जिसमें नाटक के जरिए लोगों को समझाया कि परिवार, समाज, ऑफिस से लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में किस तरीके से महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है.


इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव की वजह से महिलाएं इन अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. समाज के इस भेदभाव को नाट्क का रूपांतरण और मंचन बच्चों ने खुद ही किया है. बच्चों का कहना है कि वह इस नुक्कड़ नाटक को जबलपुर के कई इलाकों में कर रहे हैं ताकि समाज में स्त्री के प्रति लोगों की सोच बदल सकें.

Intro:जबलपुर की महापौर डॉक्टर स्वाति गोडबोले का कहना की स्त्री समानता की बातें झूठी महिलाओं को अब तक मन के कपड़े पहनने तक का अधिकार नहीं


Body:जबलपुर की महापौर स्वाति सदानंद गोडबोले का कहना है की आधुनिकता के इस दौर में भी अभी तक लड़कियों और महिलाओं को अपनी पसंद के कपड़े पहनने तक का अधिकार नहीं मिला है लोगों की सोच नहीं बदल रही है और आज भी समझौता करने का दबाव लड़कियों युवतियों और महिलाओं पर ही होता है

26 अगस्त को अंतराष्ट्रीय समानता दिवस हैं यह दिन महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिलाने के लिए बनाया गया है इसी मुद्दे को ध्यान में रखकर आज जबलपुर युवाओं के एक समूह ने एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जिसमें परिवार समाज ऑफिस से लेकर अलग अलग क्षेत्रों में किस तरीके से महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है इसको अपने नाटक के जरिए लोगों को समझाया

गौरतलब बात यह है 12वीं और फर्स्ट ईयर के इन बच्चों ने खुद ही इस नाटक को लिखा और इसका नाट्य रूपांतरण किया और मंचन किया इन बच्चों का कहना है कि वह इस नुक्कड़ नाटक को जबलपुर के कई इलाकों में कर रहे हैं ताकि लोगों मैं स्त्री समाज के प्रति लोगों की सोच बदल सकें


Conclusion:बाइक महुआ नुक्कड़ नाटक कलाकार
बाइट डॉ स्वाति सदानंद गोडबोले महापौर जबलपुर
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