जबलपुर। एक बार फिर देश में कोविड की दूसरी पीक ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है, पिछले करीब 20 दिनों से जबलपुर में लॉकडाउन के चलते अब उद्योग जगत के पहिए भी धीरे-धीरे थमने लगे हैं. औद्योगिक इकाइयों में कच्चे माल, मशीनरी के पार्ट्स और श्रमिकों की कमी के चलते लगभग 50 फीसदी उत्पादन प्रभावित हुआ है. यदि आने वाले समय में हालात इसी तरह रहे तो उत्पादन इससे भी नीचे जा सकता है. जबलपुर सहित प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले रिछाई औद्योगिक क्षेत्र के पास संकट से उबरने के लिए फिलहाल ना तो व्यापारियों के पास कोई योजना है, ना जिम्मेदारों के पास. कुल मिलाकर उद्योगपति का जिम्मेदार विभाग को रोको और देखो की स्थिति में है.
बीते साल की आने लगी याद-उत्पादन हुआ धीमा
महाकौशल का औद्योगिक क्षेत्र अधारताल-रिछाई के उधोगो में बीते कुछ माह से काम ने रफ्तार पकड़ी थी पर फिर लगे लॉक डाउन ने पुनः उत्पादन को धीमा कर दिया है,उद्योग में कच्चे माल की कमी के कारण निर्माण इकाइयों में उत्पादन धीमा हो गया है. वहीं औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की संख्या भी कम होने लगी है. जिसके चलते उत्पादन 50% पहुंच गया है. रेडीमेड गारमेंट कलस्टर में तैयार माल बिक ना पाने के कारण घाटे में पहुंच गया हैं, तैयार माल बिक नहीं या गोदामों में भरा पड़ा, निर्माण इकाइयों में तैयार खाद सामग्री, हैंडलूम आइटम, रेडीमेड गारमेंट, हार्डवेयर मैटेरियल, लोहे- कांच के तैयार मैटेरियल गोदामों में भरे पड़े हैं, बाजार बंद होने के कारण फुटकर व्यापारी दुकान नहीं खोल पा रहे हैं, वहीं थोक व्यापारी भी उन्हें लॉकडाउन के कारण नहीं पहुंचा पा रहे हैं, अन्य राज्यों में जाने वाली सामग्री में भी यही स्थिति है, लॉकडाउन के कारण व्यापारी सामग्री मंगवाने से बच रहे हैं.
औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें तो पिछले लॉकडाउन में उद्योग जगत पूरी तरह से टूट चुका था. साल 2020 में लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे औद्योगिक संस्थानों को चालू किया तो उम्मीद जगी थी कि एक बार दोबारा उद्योग जगत पटरी में आएगा, लेकिन करीब 20 दिन पहले अचानक लगे फिर लॉकडाउन ने उद्योग जगत की कमर तोड़ कर रख दी है. महाकौशल उधोग संघ के अध्यक्ष जेआर जैसवानी ने भले ही उत्पादन बंद हो लेकिन सरकार को टैक्स बिजली वाहन कर तो देनी होगा, सरकार को चाहिए कि इस समय राहत मिले लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से इस तरह की कुछ भी रियायत उद्योग जगत को नहीं मिली है.
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मजदूर में अस्थिरता का माहौल
जबलपुर में बीते दिनों 20 दिनों से लॉकडाउन है और इस पाबंदी से मजदूर वर्ग परेशान है. उद्योग बंद हो गए हैं और मजदूरों के सामने उनकी रोजगार की समस्या एक बार फिर सामने खड़ी हो गई है. जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि संकट काल में मजदूरों की आर्थिक रूप से मदद के लिए सरकार को आगे आना चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि अगर चेंबर ऑफ कॉमर्स से प्रदेश सरकार मदद मांगती है, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं.
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इस वजह से घटे हैं श्रमिक
कोरोना संक्रमण के कारण कुछ मजदूर बीमार हो गए, तो कुछ उद्योग उत्पादन करना बंद कर दिए. तैयार माल भी उद्योगों में रखा हुआ है. इस वजह से श्रमिकों की संख्या में 50 फीसदी कम कर दी गई. जबलपुर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 900 से ज्यादा उद्योग हैं. जहां 50 फीसदी श्रमिक स्थानीय और आसपास के क्षेत्रों से हैं. बसे बंद होने से रायपुर-छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र के श्रमिक नहीं आ पा रहे हैं. वहीं अन्य राज्यों में रहने वाली श्रमिक अपने घरों की ओर किसी तरह रवाना हो रहे हैं.
'लॉक' हुए औद्योगिक क्षेत्र
जबलपुर के हरगढ़-उमरिया-डूंगरिया-मनेरी औद्योगिक क्षेत्र भी अब कोविड-19 से अछूता नहीं है, कच्चे माल की कमी के साथ ही श्रमिकों की समस्या भी बढ़ने लगी है. महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़- रायपुर में लगे लॉकडाउन के कारण जहां कच्चा माल नहीं आ पा रहा है. वहीं काम करने वाले श्रमिकों की संख्या भी आधी हो गई है.