जबलपुर। हाई कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ सिर्फ सामान्य वर्ग को दिए जाने के खिलाफ याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. याचिका में कहा गया है कि ओबीसी, एसटी-एससी वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इससे वंचित किया जाना असंवैधानिक है. जस्टिस सुजय पाल व जस्टिस डीडी बसंल की युगलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी.
ओबीसी, एससी, एसटी लाभ से वंचित क्यों
एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की तरफ से दायर याचिका में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण की अधिसूचना 2 जुलाई 2019 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि उक्त पॉलिसी में ओबीसी, एससी, एसटी को लाभ से वंचित किया गया है. संविधान में ईडब्ल्यूएस का लाभ समाज के सभी वर्गों को दिए जाने का प्रावधान 103 वें संविधान संशोधन में किया गया है.
याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई में दिए ये तर्क
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) में उक्त व्यवस्था की गयी है, परंतु मध्यप्रदेश शासन ने उक्त पॉलिसी में ओबीसी, एससी, एसटी को क्लॉज 2 के अनुसार वंचित कर दिया है. ईडब्ल्यूएस के फार्मेट में भी उल्लेखित किया गया है कि जो ओबीसी, एससी, एसटी में नहीं आते केवल उन्हीं को ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगे हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पैरवी की.
पिछले साल भी कोर्ट ने सुनाया था फैसला
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके के लिए लागू 10 फीसदी EWS आरक्षण पर जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश सुनाया था. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वो आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके को फिलहाल EWS आरक्षण तो दे सकती है लेकिन इस आरक्षण पर होने वाली नियुक्तियां हाईकोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेंगी. 10% ईडब्लूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट ने ये अंतरिम आदेश सुनाया था.
(EWS reservation issue in High court) ( Why benefit of EWS reservation only general)