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कोरोना वॉरियर को 50 लाख रूपए क्यों नहीं दिए जा रहेः हाईकोर्ट - Jabalpur News

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जबलपुर कलेक्ट्रेट के दिवंगत कोरोना वॉरियर राजीव उपाध्याय की पत्नी अंजु मूर्ति उपाध्याय की याचिका पर राज्य शासन, राजस्व विभाग व कलेक्टर जबलपुर से जवाब-तलब कर लिया है.

High Court
हाईकोर्ट
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Published : Jan 6, 2021, 10:09 PM IST

जबलपुर। मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का लाभ नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए पीड़ित विधवा महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

ग्वारीघाट रोड जबलपुर निवासी विधवा महिला अंजू मूर्ति उपाध्याय की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसके पति राजीव उपाध्याय कलेक्टर कार्यालय में ग्रेड-3 के पद पर कार्यारत थे. कोविड महामारी के दौरान उनकी ड्यूटी बस व एम्बुलेंस का अधिग्रहण करने तथा प्रवासी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था और जरूरत के मुताबिक एम्बुलेंस उपलब्ध करवाने में लगी हुई थी.

कोराना महामारी के दौरान उन्होने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देश अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन किया. स्वास्थ खराब होने के कारण उनकी मृत्यु 10 जुलाई 2020 को उपचार के दौरान अस्पताल में हो गयी थी.

इस योजना के तहत उन्होंने 50 लाख रूपये की राशि के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन किया था. जिला कलेक्टर ने आवश्यक दस्तावेज के साथ कार्यावाही के लिए आवेदन को प्रदेश सरकार को भेज दिया था. प्रदेश सरकार ने उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि कोविड-19 के कारण जीवन की हानि व कोविड -19 से संबंधित सेवा के दौरान दुर्घटना में आकस्मिक मौत होने को योजना के तहत पात्र माना गया है. कर्मचारी की मौत का कारण हार्ट अटैक है, इसलिए वह योजना की पात्रता श्रेणी में नहीं आता है.

याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संजय वर्मा ने एकलपीठ को बताया कि 17 अप्रैल 2020 को सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आवेदिका के पति कोरोना वॉयरियर्स के तहत कार्य कर रहे थे.इसलिए उन्होने योजना के लाभ देते हुए 50 लाख रूपये की राशि प्रदान की जाये. याचिका में राज्य सरकार व जिला कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये.

जबलपुर। मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का लाभ नहीं दिये जाने को चुनौती देते हुए पीड़ित विधवा महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

ग्वारीघाट रोड जबलपुर निवासी विधवा महिला अंजू मूर्ति उपाध्याय की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उसके पति राजीव उपाध्याय कलेक्टर कार्यालय में ग्रेड-3 के पद पर कार्यारत थे. कोविड महामारी के दौरान उनकी ड्यूटी बस व एम्बुलेंस का अधिग्रहण करने तथा प्रवासी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था और जरूरत के मुताबिक एम्बुलेंस उपलब्ध करवाने में लगी हुई थी.

कोराना महामारी के दौरान उन्होने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देश अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन किया. स्वास्थ खराब होने के कारण उनकी मृत्यु 10 जुलाई 2020 को उपचार के दौरान अस्पताल में हो गयी थी.

इस योजना के तहत उन्होंने 50 लाख रूपये की राशि के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन किया था. जिला कलेक्टर ने आवश्यक दस्तावेज के साथ कार्यावाही के लिए आवेदन को प्रदेश सरकार को भेज दिया था. प्रदेश सरकार ने उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि कोविड-19 के कारण जीवन की हानि व कोविड -19 से संबंधित सेवा के दौरान दुर्घटना में आकस्मिक मौत होने को योजना के तहत पात्र माना गया है. कर्मचारी की मौत का कारण हार्ट अटैक है, इसलिए वह योजना की पात्रता श्रेणी में नहीं आता है.

याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संजय वर्मा ने एकलपीठ को बताया कि 17 अप्रैल 2020 को सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आवेदिका के पति कोरोना वॉयरियर्स के तहत कार्य कर रहे थे.इसलिए उन्होने योजना के लाभ देते हुए 50 लाख रूपये की राशि प्रदान की जाये. याचिका में राज्य सरकार व जिला कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये.

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