जबलपुर। कोरोनावायरस का संकट काल चल रहा है और अभी भी कोरोना जबलपुर के लोगों को संक्रमित कर रहा है, यहां ब्रिटेन से आए हुए लोग भी पहुंच रहे हैं. पहले भी जबलपुर में कोरोनावायरस की एंट्री हवाई अड्डे से हुई थी जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे से ही दुबई से आई अग्रवाल फैमिली ने जबलपुर में कोरोनावायरस फैलाया था. अभी भी जबलपुर में ब्रिटेन से आने वाले लोग हवाई अड्डे के जरिए ही जबलपुर पहुंचे हैं. इसके बावजूद भी शहर के एयरपोर्ट पर लापरवाही देखी जा रही है. यहां एयरपोर्ट के बाहर यात्रियों द्वारा उपयोग किए गए पीपीई किट और फेटशिल्ड खुले में ही फेंके जा रहा है और एयरपोर्ट प्रबंधन के पास इन्हें नष्ट करने का कोई साधन नहीं है.
खुले में नहीं फेंक सकते पीपीटी किट
हवाई यात्रा करने वाले लोगों को एक पीपीई किट दी जाती है और फेसशील्ड दी जाती है, ताकि यह किसी संक्रमण का खतरा कम है और लोग खुद भी अपना बचाव कर सके, लेकिन इस पीपीई किट और फेसशील्ड के साथ दिए जाने वाले पैकेट में स्पष्ट लिखा रहता है कि यह मेडिकल वेस्ट हैं और इसे खुले में ना फेंका जाए और इंसुलेटर में ही खत्म किया जाए, क्योंकि कोरोनावायरस का कचरा अभी लोगों तक वायरस पहुंचा सकता है, इसलिए इसमें सावधानी बरतना बहुत जरूरी है और बाहर से आने वाले यात्रियों में कुर्मी के संक्रमण होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है, इसलिए बहुत जरूरी है कि इनके इस्तेमाल किए हुए पीपीई कीट और दूसरे सामान इंसुलेटर में ही खत्म किए जाएं.
पार्किंग एरिया के पास पूरे में फैली हुई है यात्रियों की पीपीई किट
लेकिन जबलपुर के डुमना हवाई अड्डे पर आपको चारों तरफ ऐसी पैकेट्स खुले में पड़े हुए दिख जाएंगे जिनका इस्तेमाल यात्रियों ने किया और जिनमें कुछ में इस वायरस के होने की संभावना है. वहीं एयरपोर्ट के आसपास चारों तरफ मास्क और दूसरी गंदगी पड़ी हुई है.
मुंह छुपाते अधिकारी
इस मामले में जब एयरपोर्ट अथॉरिटी की एडमिनिस्ट्रेटर से सवाल पूछा गया तो वे भागती हुई नजर आई और उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से ही मना कर दिया.
कोरोनावायरस ने अब तक जबलपुर में ही तीन सैकड़ा लोगों की जान ली है, लेकिन इसके बावजूद जबलपुर जिला प्रशासन इस मामले में सतर्क नहीं है और ना ही एयरपोर्ट अथॉरिटी. ऐसे में यदि इस कचरे के संपर्क में कोई भी आता है तो वह कोरोनावायरस का शिकार हो सकता है.