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राम के लिए 81 साल की उर्मिला 27 साल से कर रहीं तपस्या, मंदिर निर्माण के बाद पूरा होगा व्रत

देश की शीर्ष अदालत ने विवादित स्थल को रामलला को सौंप दिया है, जिसके बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है. राम मंदिर निर्माण के लिए पिछले 27 सालों से व्रत कर रहीं उर्मिला चतुर्वेदी ने इस फैसले पर खुशी जताई हैं. साथ ही उनका कहना है कि मंदिर निर्माण होने के बाद अयोध्या पहुंचकर ही वह अपना व्रत तोडे़ंगी.

पूरी हुई उर्मिला की तपस्या
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Published : Nov 10, 2019, 7:42 PM IST

Updated : Nov 10, 2019, 8:19 PM IST

जबलपुर। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोग सदियों से संघर्ष कर रहे हैं, कुछ कानूनी दांवपेंच से इस जंग को जीतना चाहते थे तो कुछ अपने आराध्य की कृपा से रामलला को 'राजमहल' में विराजमान कराना चाहते थे. उन्हीं में से एक हैं जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी. 81 वर्षीय उर्मिला 27 साल से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रही हैं, यानि की विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद से ही उर्मिला सौहार्दपूर्वक मंदिर निर्माण के लिए राम का व्रत कर रही हैं, जो अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण पूरा होने के साथ ही पूरा होगा.

राम के लिए उर्मिला 27 साल से कर रहीं तपस्या

1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया था. तब उर्मिला चतुर्वेदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प लिया था. जिसके बाद उन्होनें अन्न त्याग दिया और बीते 27 सालों वे केवल फलाहार के भरोसे जिंदा हैं. लोगों ने उनके इस व्रत का मजाक भी उड़ाया. साथ ही समझाइश भी दी कि आपके व्रत करने से मंदिर नहीं बन जाएगा, इसके बावजूद उर्मिला ने अपना व्रत नहीं तोड़ा. 9 नवंबर को जब सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना न रहा. फैसला आने के बाद परिजनों ने उन्हें व्रत तोड़ने के लिए कहा. पर उनका कहना है कि जब राम मंदिर में भगवान राम विराजमान हो जाएंगे, तब वे अयोध्या पहुंचकर अपना व्रत तोड़ेंगी.

उर्मिला ने हिंदी साहित्य में एमए किया है और वे संस्कृत की शिक्षिका भी रह चुकी हैं. उर्मिला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है. इस फैसले की वजह से देश में हिंदू मुस्लिम सद्भाव भी बना रहेगा.

जबलपुर। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोग सदियों से संघर्ष कर रहे हैं, कुछ कानूनी दांवपेंच से इस जंग को जीतना चाहते थे तो कुछ अपने आराध्य की कृपा से रामलला को 'राजमहल' में विराजमान कराना चाहते थे. उन्हीं में से एक हैं जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी. 81 वर्षीय उर्मिला 27 साल से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रही हैं, यानि की विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद से ही उर्मिला सौहार्दपूर्वक मंदिर निर्माण के लिए राम का व्रत कर रही हैं, जो अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण पूरा होने के साथ ही पूरा होगा.

राम के लिए उर्मिला 27 साल से कर रहीं तपस्या

1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया था. तब उर्मिला चतुर्वेदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प लिया था. जिसके बाद उन्होनें अन्न त्याग दिया और बीते 27 सालों वे केवल फलाहार के भरोसे जिंदा हैं. लोगों ने उनके इस व्रत का मजाक भी उड़ाया. साथ ही समझाइश भी दी कि आपके व्रत करने से मंदिर नहीं बन जाएगा, इसके बावजूद उर्मिला ने अपना व्रत नहीं तोड़ा. 9 नवंबर को जब सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना न रहा. फैसला आने के बाद परिजनों ने उन्हें व्रत तोड़ने के लिए कहा. पर उनका कहना है कि जब राम मंदिर में भगवान राम विराजमान हो जाएंगे, तब वे अयोध्या पहुंचकर अपना व्रत तोड़ेंगी.

उर्मिला ने हिंदी साहित्य में एमए किया है और वे संस्कृत की शिक्षिका भी रह चुकी हैं. उर्मिला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है. इस फैसले की वजह से देश में हिंदू मुस्लिम सद्भाव भी बना रहेगा.

Intro:राम मंदिर के लिए किया 27 साल तक व्रत जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए लिया था संकल्प 81 साल की उम्र में अयोध्या जाकर व्रत तोड़ने की कर रही हैं जिद


Body:जबलपुर उर्मिला का चरित्र भगवान राम के जीवन में उस समय भी था उर्मिला लक्ष्मण की पत्नी थी और उन्होंने भी संकल्प लिया था जब तक लक्ष्मण वनवास पर रहे तब तक वे भी वनवासियों का जीवन ही व्यतीत करती रहेंगी

आज के जमाने की उर्मिला भी आराम की उतनी बड़ी ही भक्त हैं जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी का व्रत भी कुछ ऐसा ही था उर्मिला चतुर्वेदी ने 1992 में जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था तब खबरें सुनने के बाद यह संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में भगवान राम के मंदिर बनने का रास्ता साफ नहीं हो जाता तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी और बीते 27 सालों से उर्मिला चतुर्वेदी केवल फल खा रही हैं और उस दिन के बाद से उन्होंने अन्न ग्रहण नहीं किया लोगों ने उर्मिला केस व्रत का मजाक भी उड़ाया और उनको यह समझाइश भी दी कि आपके व्रत करने से मंदिर नहीं बन जाएगा लेकिन इसके बावजूद उर्मिला ने अपना व्रत नहीं तोड़ा

9 नवंबर को जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला सुनाते हुए मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना ना रहा और परिवार के लोगों ने उर्मिला चतुर्वेदी का व्रत तोड़ने की कोशिश की लेकिन उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि वे अपना उपवास अयोध्या में जाकर ही खत्म करेंगी इसलिए लाख कोशिशों के बाद भी वे अभी भी अन्न ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं है हालांकि इस व्रत की वजह से उनका शरीर बहुत कमजोर हो गया है लेकिन इसके बावजूद उनका संकल्प मजबूत है

उर्मिला हिंदी साहित्य में m.a. तक पढ़ी हुई है और संस्कृत की शिक्षक रही हैं उर्मिला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है वह स्वागत योग्य है और इस फैसले की वजह से देश में हिंदू मुस्लिम सद्भाव भी बना रहेगा उर्मिला के इस रामशंकर की वजह से उन्हें शहर में कई जगह सम्मानित भी किया गया है


Conclusion:बाइट उर्मिला चतुर्वेदी
बाइट रेखा चतुर्वेदी
Last Updated : Nov 10, 2019, 8:19 PM IST
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