जबलपुर। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लोग सदियों से संघर्ष कर रहे हैं, कुछ कानूनी दांवपेंच से इस जंग को जीतना चाहते थे तो कुछ अपने आराध्य की कृपा से रामलला को 'राजमहल' में विराजमान कराना चाहते थे. उन्हीं में से एक हैं जबलपुर की उर्मिला चतुर्वेदी. 81 वर्षीय उर्मिला 27 साल से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रही हैं, यानि की विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद से ही उर्मिला सौहार्दपूर्वक मंदिर निर्माण के लिए राम का व्रत कर रही हैं, जो अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण पूरा होने के साथ ही पूरा होगा.
1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया था. तब उर्मिला चतुर्वेदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प लिया था. जिसके बाद उन्होनें अन्न त्याग दिया और बीते 27 सालों वे केवल फलाहार के भरोसे जिंदा हैं. लोगों ने उनके इस व्रत का मजाक भी उड़ाया. साथ ही समझाइश भी दी कि आपके व्रत करने से मंदिर नहीं बन जाएगा, इसके बावजूद उर्मिला ने अपना व्रत नहीं तोड़ा. 9 नवंबर को जब सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना न रहा. फैसला आने के बाद परिजनों ने उन्हें व्रत तोड़ने के लिए कहा. पर उनका कहना है कि जब राम मंदिर में भगवान राम विराजमान हो जाएंगे, तब वे अयोध्या पहुंचकर अपना व्रत तोड़ेंगी.
उर्मिला ने हिंदी साहित्य में एमए किया है और वे संस्कृत की शिक्षिका भी रह चुकी हैं. उर्मिला का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है. इस फैसले की वजह से देश में हिंदू मुस्लिम सद्भाव भी बना रहेगा.