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ठंड से बचने दुकानों के बाहर सो रहीं थी महिलाएं, छज्जा गिरने से दो की मौत - Two women died due to roof collapse

जबलपुर के घंटाघर इलाके में दुकानों का छज्जा गिर गया, जिससे मलबे में दबकर दो महिलाओं की मौत हो गई.

House floor fell
दुकानों का छज्जा गिरा
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Published : Dec 22, 2020, 3:30 PM IST

Updated : Dec 22, 2020, 4:22 PM IST

जबलपुर: ठंड से बचने के लिए दो महिलाएं नगर निगम की दुकानों के नीचे बैठी हुई थीं, तभी अचानक दुकानों का छज्जा भरभरा कर गिर गया. इस घटना में दो महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गई. महिलाओं की उम्र 55 से 60 वर्ष बताई जा रही है. हादसा उस वक्त हुआ, जब दोनों महिलाएं कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए नगर निगम की बनी दुकानों के छज्जे के नीचे बैठी थीं. घटना घंटाघर की है. जानकारी के मुताबिक दोनों महिलाएं बेघर थीं. हादसे में एक व्यक्ति भी घायल हुआ है.

छज्जा गिरने से दो की मौत

निगम की दुकान नंबर 25 व 26 का गिरा छज्जा

नगर निगम मार्केट की दुकान नंबर 25 व 26 का छज्जा गिरा था, निगम इन दुकानों को तोड़ने की भी तैयारी कर रही थी, जानकारी के अनुसार घंटाघर के सामने नगर निगम की दोनों दुकाने 25-26 संजय जैन के नाम पर आवंटित है, मृतक दो महिलाएं व एक पुरुष जब दुकान के नीचे बैठे थे तभी अचानक जर्जर हो चुका दुकान का छज्जा भरभरा कर गिर गया.

सूचना मिलने पर पहुंची ओमती पुलिस

घटना की सूचना के बाद ओमती थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों महिलाओं को मलबे से निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. जबकि पुरुष का इलजा जारी है.

बेघर थीं दोनों महिलाएं

बताया जा रहा है महिलाओं में एक की उम्र 55 तो दूसरी की उम्र करीब 60 वर्ष है. दोनों बाजारों में घूमकर दिन में भीख मांगती थीं और रात में फुटपाथ पर या दुकानों के छज्जे के नीचे सो जाती थीं. दोनों की पहचान नहीं हो पाई है. पोस्टमार्टम के बाद दोनों को लावारिस हालत में ही दफना दिया गया.

सड़क में घूमने वालों को नहीं मिलता रैन बसेरा

भीख मांगकर गुजर बसर करने वाली दोनों महिलाओं की मौत ने नगर निगम और प्रशासन पर भी सवाल उठाया है, जहां हादसा हुआ है वहां से थोड़ी दूर पर ही रैन बसेरा था, इसके बाद भी महिलाओं पर किसी प्रशासनिक अधिकारी की नजर नहीं पड़ती थी. जबकि शहर में नगर निगम के करीब 14 रैन बसेरे हैं.

निगम दुकानों को तोड़ने की कर रहा था आदेश

घंटाघर स्थित नगर निगम मार्केट बहुत पुराना है, जिसकी हालत जर्जर हो चुकी थी. मार्केट को तोड़ने के आदेश भी हो चुके हैं, लेकिन व्यापारियों के विरोध और प्रशासन के लचर रवैये की वजह से इसे तोड़ने की कार्रवाई नहीं की पाई है. मार्केट की दुकानें बंद होने के बाद यहां दर्जनों की संख्या में बेघर रात गुजारते हैं, और सुबह यहां से चले जाते हैं.

जबलपुर: ठंड से बचने के लिए दो महिलाएं नगर निगम की दुकानों के नीचे बैठी हुई थीं, तभी अचानक दुकानों का छज्जा भरभरा कर गिर गया. इस घटना में दो महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गई. महिलाओं की उम्र 55 से 60 वर्ष बताई जा रही है. हादसा उस वक्त हुआ, जब दोनों महिलाएं कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए नगर निगम की बनी दुकानों के छज्जे के नीचे बैठी थीं. घटना घंटाघर की है. जानकारी के मुताबिक दोनों महिलाएं बेघर थीं. हादसे में एक व्यक्ति भी घायल हुआ है.

छज्जा गिरने से दो की मौत

निगम की दुकान नंबर 25 व 26 का गिरा छज्जा

नगर निगम मार्केट की दुकान नंबर 25 व 26 का छज्जा गिरा था, निगम इन दुकानों को तोड़ने की भी तैयारी कर रही थी, जानकारी के अनुसार घंटाघर के सामने नगर निगम की दोनों दुकाने 25-26 संजय जैन के नाम पर आवंटित है, मृतक दो महिलाएं व एक पुरुष जब दुकान के नीचे बैठे थे तभी अचानक जर्जर हो चुका दुकान का छज्जा भरभरा कर गिर गया.

सूचना मिलने पर पहुंची ओमती पुलिस

घटना की सूचना के बाद ओमती थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों महिलाओं को मलबे से निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. जबकि पुरुष का इलजा जारी है.

बेघर थीं दोनों महिलाएं

बताया जा रहा है महिलाओं में एक की उम्र 55 तो दूसरी की उम्र करीब 60 वर्ष है. दोनों बाजारों में घूमकर दिन में भीख मांगती थीं और रात में फुटपाथ पर या दुकानों के छज्जे के नीचे सो जाती थीं. दोनों की पहचान नहीं हो पाई है. पोस्टमार्टम के बाद दोनों को लावारिस हालत में ही दफना दिया गया.

सड़क में घूमने वालों को नहीं मिलता रैन बसेरा

भीख मांगकर गुजर बसर करने वाली दोनों महिलाओं की मौत ने नगर निगम और प्रशासन पर भी सवाल उठाया है, जहां हादसा हुआ है वहां से थोड़ी दूर पर ही रैन बसेरा था, इसके बाद भी महिलाओं पर किसी प्रशासनिक अधिकारी की नजर नहीं पड़ती थी. जबकि शहर में नगर निगम के करीब 14 रैन बसेरे हैं.

निगम दुकानों को तोड़ने की कर रहा था आदेश

घंटाघर स्थित नगर निगम मार्केट बहुत पुराना है, जिसकी हालत जर्जर हो चुकी थी. मार्केट को तोड़ने के आदेश भी हो चुके हैं, लेकिन व्यापारियों के विरोध और प्रशासन के लचर रवैये की वजह से इसे तोड़ने की कार्रवाई नहीं की पाई है. मार्केट की दुकानें बंद होने के बाद यहां दर्जनों की संख्या में बेघर रात गुजारते हैं, और सुबह यहां से चले जाते हैं.

Last Updated : Dec 22, 2020, 4:22 PM IST
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