जबलपुर। एक तरफ प्रदेश सरकार दावा कर रही है कि, दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की मदद के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही खुद मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि, तीन लाख के अधिक मजदूरों को बसों और ट्रेनों की मदद से वापस लाया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही. जबलपुर के बरगी इलाके का रहने वाला एक युवक काफी वक्त से सोशल मीडिया के जरिए प्रदेश सरकार ने गुहार लगा रहा है, कि उसे किसी तरह घर पहुंचा दिया जाए, लेकिन प्रदेश सरकार के तमाम अधिकारी उसे सिर्फ और सिर्फ कोरा आश्वासन देते रहे, मजबूरी में उसने अपने घर पहुंचने के लिए पैदल ही चलना शुरू कर दिया.
जबलपुर के बरगी का रहने वाला उमा शंकर जॉब की तलाश में बेंगलरू गया था. युवक को वहां जॉब तो नहीं मिली लॉकडाउन के चलते वह वहीं फंस गया. युवक ने कुछ दिन तो जैसे- तैसे काट लिए, लेकिन आर्थिक स्थिति बिगड़ने के बाद उसने मदद के लिए राज्य सरकार से गुहार लगाई, पर कोई मदद नहीं की गई.
ऑनलाइन आवेदन भी भरे
लॉकडाउन के समय बेंगलुरू मे फंसे युवक उमा शंकर ने 3 मई 2020 को वापस जबलपुर आने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को ऑनलाइन आवेदन किया, पर उसे वहां से हमेशा एक ही जवाब मिलता रहा कि, 'आपको मैसेज किया जाएगा,आप जहां हैं, वहीं रहें.' युवक ने इस दौरान कई बार प्रदेश के कोरोना कंट्रोल रूम में अपनी आर्थिक स्थिति को बताया, लेकिन वहां से भी उसे मदद नहीं सिर्फ आश्वशन ही मिला.
पैदल ही जबलपुर के लिए निकल पड़ा उमा शंकर
रोजगार की तलाश में बेंगलरू गए उमा शंकर ने 13 मई तक मध्य प्रदेश सरकार को लगातार आवेदन किया, पर कुछ हासिल नहीं होने पर, पैदल ही जबलपुर जाने का निश्चय किया. उमा शंकर पैदल चलते-चलते कोल्हापूर पहुंचा चुका है. हालांकि इस दौरान कुछ समाजसेवियों ने उसकी मदद की.