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शादी करने जा रहे हैं तो पहले कराएं HbA2 टेस्ट, थैलेसीमिया से पड़ सकता है पाला - Thalassemia is a genetic disease

थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग की पहचान बच्चे में तीन महीने बाद ही हो पाती है. यही वजह है कि लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने बहुत जरूरत है. देखिए हमारी यह खास रिपोर्ट..

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Published : Mar 14, 2021, 6:46 PM IST

जबलपुर। थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो अब भारत में अपनी जड़ बना चुकी है, यही वजह है कि दुनिया भर के देशों में भारत इस बीमारी का कैपिटल बन गया है. लेकिन बात अगर मध्यप्रदेश के शहरों की जाएं तो अब जबलपुर में इस बीमारी के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग की पहचान बच्चे में तीन महीने बाद ही हो पाती है. यही वजह है कि लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने बहुत जरूरत है. माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना यह है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता है. हंसने-खेलने और मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों के ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा. लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं.

क्यों जरुरी है HbA2 टेस्ट, जानें कैसे थैलेसीमिया की बिमारी पता लगाने में

जबलपुर में मिली 128 मरीज

बात जबलपुर की की जाए तो जबलपुर में थैलेसेमिया के अब 20 या 30 नहीं बल्कि 128 मरीज हो चुके हैं. यही वजह है कि इस गंभीर बीमारी ने स्वास्थ्य महकमे के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है. तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए जिले के CMHO द्वारा इसको लेकर विशेष कमेटी गठित की है. जो अब इस बीमारी पर सतत निगरानी और आंकड़ों में कमी लाने का प्रयास कर रही है.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

अब शादी से पहले कराएं Hba2 टेस्ट

स्वास्थ्य विभाग के साथ भारत सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था भी लोगों को इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है. संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विवेक जैन के अनुसार जिस तरह से शादी से पहले कुंडली मिलने की एक परंपरा बन गयी है, उस तरह दोनों जोड़ें HbA2 टेस्ट कराते हैं तो समय से पहले ही इस बीमारी की संभावनाओं पर विराम लगाया जा सकता है.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बचाव
थैलेसीमिया आखिर है क्या

यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है. तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है. जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है. खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है. थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है, जो दो प्रकार का होता है, यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है. पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता. अतः जरूरी यह है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें.

नोनिहाल की जिंदगी से कर सकते हैं खिलवाड़

थैलेसीमिया के बारे में कुछ अहम तथ्य जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि यदि इसे आप नजरअंदाज करते हैं तो आप अपने नोनिहाल की जिंदगी से बड़ा खिलवाड़ कर सकते हैं. आप को जानकार बड़ी हैरानी होगी कि थैलेसीमिया पीड़ित के इलाज में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है. इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते है. जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है. सही इलाज करने पर 25 वर्ष और इससे अधिक जीने की उम्मीद होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है. अत: सही समय पर ध्यान रखकर बीमारी की पहचान कर लेना उचित होता है. अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन (एक किस्म का ऑपरेशन) है, यह काफी हद तक फायदेमंद होता है, लेकिन इसका खर्च काफी ज्यादा होता है. देशभर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, सिकलथेल, हिमोफेलिया आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते हैं. ऐसे में इस गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने ही होंगे.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

आइए अब आपको अवगत कराते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में

थैलेसीमिया के लक्षण:-

  • बार-बार बीमारी होना
  • सर्दी, जुकाम बने रहना
  • कमजोरी और उदासी रहना
  • आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना
  • शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • कई तरह के संक्रमण होना
    Doctors give information about Thalassemia
    थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

थैलेसीमिया से बचाव

* विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं.
* गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं.
* मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें.
* समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें.

जबलपुर। थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो अब भारत में अपनी जड़ बना चुकी है, यही वजह है कि दुनिया भर के देशों में भारत इस बीमारी का कैपिटल बन गया है. लेकिन बात अगर मध्यप्रदेश के शहरों की जाएं तो अब जबलपुर में इस बीमारी के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. थैलेसीमिया बच्चों को उनके माता-पिता से मिलने वाला आनुवांशिक रक्त रोग है. इस रोग की पहचान बच्चे में तीन महीने बाद ही हो पाती है. यही वजह है कि लोगों को रक्त संबंधित इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करने बहुत जरूरत है. माता-पिता से अनुवांशिकता के तौर पर मिलने वाली इस बीमारी की विडंबना यह है कि इसके कारणों का पता लगाकर भी इससे बचा नहीं जा सकता है. हंसने-खेलने और मस्ती करने की उम्र में बच्चों को लगातार अस्पतालों के ब्लड बैंक के चक्कर काटने पड़ें तो सोचिए उनका और उनके परिजनों का क्या हाल होगा. लगातार बीमार रहना, सूखता चेहरा, वजन ना बढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थैलेसीमिया रोग होने पर दिखाई देते हैं.

क्यों जरुरी है HbA2 टेस्ट, जानें कैसे थैलेसीमिया की बिमारी पता लगाने में

जबलपुर में मिली 128 मरीज

बात जबलपुर की की जाए तो जबलपुर में थैलेसेमिया के अब 20 या 30 नहीं बल्कि 128 मरीज हो चुके हैं. यही वजह है कि इस गंभीर बीमारी ने स्वास्थ्य महकमे के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है. तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए जिले के CMHO द्वारा इसको लेकर विशेष कमेटी गठित की है. जो अब इस बीमारी पर सतत निगरानी और आंकड़ों में कमी लाने का प्रयास कर रही है.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

अब शादी से पहले कराएं Hba2 टेस्ट

स्वास्थ्य विभाग के साथ भारत सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था भी लोगों को इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है. संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विवेक जैन के अनुसार जिस तरह से शादी से पहले कुंडली मिलने की एक परंपरा बन गयी है, उस तरह दोनों जोड़ें HbA2 टेस्ट कराते हैं तो समय से पहले ही इस बीमारी की संभावनाओं पर विराम लगाया जा सकता है.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बचाव
थैलेसीमिया आखिर है क्या

यह एक ऐसा रोग है जो बच्चों में जन्म से ही मौजूद रहता है. तीन माह की उम्र के बाद ही इसकी पहचान होती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इसमें बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है. जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून की जरूरत होती है. खून की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय में पहुंच कर प्राणघातक साबित होता है. थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है, जो दो प्रकार का होता है, यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है. पालकों में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता. अतः जरूरी यह है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों अपनी जांच करा लें.

नोनिहाल की जिंदगी से कर सकते हैं खिलवाड़

थैलेसीमिया के बारे में कुछ अहम तथ्य जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है. क्योंकि यदि इसे आप नजरअंदाज करते हैं तो आप अपने नोनिहाल की जिंदगी से बड़ा खिलवाड़ कर सकते हैं. आप को जानकार बड़ी हैरानी होगी कि थैलेसीमिया पीड़ित के इलाज में काफी खून और दवाइयों की जरूरत होती है. इस कारण सभी इसका इलाज नहीं करवा पाते है. जिससे 12 से 15 वर्ष की आयु में बच्चों की मौत हो जाती है. सही इलाज करने पर 25 वर्ष और इससे अधिक जीने की उम्मीद होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, खून की जरूरत भी बढ़ती जाती है. अत: सही समय पर ध्यान रखकर बीमारी की पहचान कर लेना उचित होता है. अस्थि मंजा ट्रांसप्लांटेशन (एक किस्म का ऑपरेशन) है, यह काफी हद तक फायदेमंद होता है, लेकिन इसका खर्च काफी ज्यादा होता है. देशभर में थैलेसीमिया, सिकल सेल, सिकलथेल, हिमोफेलिया आदि से पीड़ित अधिकांश गरीब बच्चे 8-10 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाते हैं. ऐसे में इस गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने ही होंगे.

Doctors give information about Thalassemia
थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

आइए अब आपको अवगत कराते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में

थैलेसीमिया के लक्षण:-

  • बार-बार बीमारी होना
  • सर्दी, जुकाम बने रहना
  • कमजोरी और उदासी रहना
  • आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना
  • शरीर में पीलापन बना रहना व दांत बाहर की ओर निकल आना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • कई तरह के संक्रमण होना
    Doctors give information about Thalassemia
    थैलेसीमिया के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

थैलेसीमिया से बचाव

* विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं.
* गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं.
* मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें.
* समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें.

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