जबलपुर। पूरी दुनिया में अपना कहर बरपा रहा कोरोना महामारी से बचाव के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं. देशभर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन किया गया है, जिस कारण सब कुछ थम-सा गया है. इस दौरान स्कूल-कॉलेज सब बंद हैं. ऐसे में जबलपुर के शिक्षक एक मिसाल पेश कर रहे हैं. शहपुरा ब्लॉक के धर्मपुरा प्राथमिक स्कूल में पदस्थ दिनेश मिश्रा, लॉकडाउन के दौरान गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
आदिवासी इलाकों में बच्चों के अभिभावक के पास नहीं हैं स्मॉर्टफोन
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों के बंद होने पर डीजी-लैप एप्लीकेशन की मदद से स्कूली बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था की है, लेकिन जबलपुर के आदिवासी बहुल शहपुरा ब्लॉक में बच्चों या उनके माता-पिता के पास एंड्राइड मोबाइल ही नहीं है. जिस वजह से वे लॉकडाउन के दौरान अपनी पढ़ाई से वंचित हो रहे थे. ये सब देख शासकीय शिक्षक दिनेश मिश्रा ने लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने का प्लान बनाया.
ग्रामीणों को कर रहे जागरूक
दिनेश हर सप्ताह धर्मपुरा प्राथमिक स्कूल से लगे गांवों में जाते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए बच्चों को पढ़ाते हैं. इस दौरान उन्होंने गांव में एंड्राइड फोन रखने वालों को भी चिन्हित किया है. साथ ही उन्हें इस बात के लिए मना लिया कि वो कुछ देर के लिए बच्चों को ऑनलाइन पढ़ने के लिए अपना मोबाइल उपयोग करने दें.
ये भी पढ़ें- कोरोना काल ने बदल दिया शिक्षा का पैटर्न, बच्चों की पढ़ाई से लेकर शिक्षकों की ट्रेनिंग भी ऑनलाइन
बता दें, शिक्षक दिनेश हफ्ते में एक दिन गांवों में बच्चों के परिजनों और स्थानीय लोगों से मिलकर बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए जागरुक करते हैं और बाकी दिनों में उन्हें पढ़ाकर अपना कर्तव्य निभाते हैं. साथ ही वे आदिवासी बहुल इलाकों के गांवों में जाकर अपनी तन्ख्वाह से बच्चों को मुफ्त मास्क, सैनिटाइजर और साबुन भी बांटते हैं.
आत्मसंतुष्टि के लिए कर रहे काम
शिक्षक दिनेश मिश्रा ने बताया कि एक शिक्षक होने के नाते उन्हें हर हालात में बच्चों को शिक्षा देना है. वे कोरोना संकटकाल में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए और अपना शिक्षक धर्म को निभाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. उन्हें इस काम से अंदरुनी खुशी और आत्मसंतुष्टि मिलती है.