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शिवराज मंत्रिमंडल में महाकौशल की उपेक्षा, नहीं मिला प्रतिनिधित्वः तरुण भनोत - जबलपुर न्यूज

प्रदेश के पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि कमलनाथ सरकार के दौरान महाकौशल को प्राथमिकता मिलती थी, प्रदेश के मुख्यमंत्री व विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी महाकौशल से ही थे. लगभग हर जिले से एक मंत्री था, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में महाकौशल के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है.

Former Minister Tarun Bhanot
पूर्व मंत्री तरुण भनोत
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Published : Jul 2, 2020, 5:12 PM IST

जबलपुर। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जबलपुर और महाकौशल को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है. प्रदेश के पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि कमलनाथ सरकार के दौरान महाकौशल को प्राथमिकता मिलती थी, प्रदेश के मुख्यमंत्री व विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी महाकौशल से ही थे. लगभग हर जिले से एक मंत्री था, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में महाकौशल के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है.

पूर्व मंत्री तरुण भनोत

तरुण भनोत का कहना है कि इस इलाके से गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे पुराने अनुभवी नेता भी हैं, यदि इन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाती तो महाकौशल के विकास की गति नहीं रुकती, लेकिन अब ऐसा लगता है कि जिन योजनाओं पर कमलनाथ सरकार के दौरान अनुमति मिल गई थी, उन पर अब विराम लग जाएगा क्योंकि महाकौशल की चिंता करने वाला अब शिवराज मंत्रिमंडल में कोई भी नहीं है और एक बार फिर महाकौशल हाशिए पर चला गया है.

जाहिर सी बात है कि इतने बड़े इलाके से एक भी मंत्री का नहीं होना इस पूरे इलाके में असंतुलन पैदा करेगा. ये भारतीय जनता पार्टी के लिए भी नुकसानदेह है. अब इस चुनौती से शिवराज सिंह कैसे निपटेंगे, ये वक्त ही बताएगा.

जबलपुर। शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जबलपुर और महाकौशल को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है. प्रदेश के पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि कमलनाथ सरकार के दौरान महाकौशल को प्राथमिकता मिलती थी, प्रदेश के मुख्यमंत्री व विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी महाकौशल से ही थे. लगभग हर जिले से एक मंत्री था, लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में महाकौशल के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है.

पूर्व मंत्री तरुण भनोत

तरुण भनोत का कहना है कि इस इलाके से गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे पुराने अनुभवी नेता भी हैं, यदि इन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाती तो महाकौशल के विकास की गति नहीं रुकती, लेकिन अब ऐसा लगता है कि जिन योजनाओं पर कमलनाथ सरकार के दौरान अनुमति मिल गई थी, उन पर अब विराम लग जाएगा क्योंकि महाकौशल की चिंता करने वाला अब शिवराज मंत्रिमंडल में कोई भी नहीं है और एक बार फिर महाकौशल हाशिए पर चला गया है.

जाहिर सी बात है कि इतने बड़े इलाके से एक भी मंत्री का नहीं होना इस पूरे इलाके में असंतुलन पैदा करेगा. ये भारतीय जनता पार्टी के लिए भी नुकसानदेह है. अब इस चुनौती से शिवराज सिंह कैसे निपटेंगे, ये वक्त ही बताएगा.

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