जबलपुर। कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर मामले पर पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने भी सवाल उठाए हैं. जबलपुर में आज मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इतना वीभत्स अपराध करने वाला सहानुभूति का हकदार नहीं है, न पुलिस की कार्यशैली और एनकाउंटर पर सवाल खड़े हो रहे हैं. लिहाजा ये स्पष्ट होना चाहिए कि कुख्यात अपराधी की मदद आखिरकार कौन-कौन कर रहा था.
तरुण भनोत ने कहा कि 8 पुलिसकर्मियों को मारने वाले अपराधी का मरना महत्वपूर्ण विषय भी है, लेकिन इस मामले की जांच भी होनी चाहिए. ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. किसी भी अपराधी के पीछे राजनीतिकरण करना ठीक नहीं है. विकास दुबे को संरक्षण देने वालों को भी बेनकाब करना चाहिए.
गौरतलब है कि गुरूवार की सुबह विकास दुबे के सरेंडर सस्पेंस और सियासत को लेकर दिनभर तमाम बातें होती रहीं. विकास दुबे के उज्जैन मे सरेंडर करने से लेकर उसे यूपी भेजने तक दिन भर सियासी बयानबाजी का दौरा चलता रहा. अब जब विकास का एनकाउंटर हो गया है तो भी राजनीति भी रुकने का नाम नहीं ले रही है.
एनकाउंटर में हुआ ढेर
कानपुर का दुर्दांत अपराधी विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस की गोली का शिकार हो गया और एनकाउंटर में मारा गया. उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार करने के बाद यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर लेकर आ रही थी, लेकिन रास्ते में ही पुलिस की गाड़ी पलटी और उसने भागने की कोशिश की, जिसके बाद उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया.
8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप
विकास दुबे ने 1993 से आपराधिक दुनिया में कदम रखा था. जिसके बाद उसने कई युवकों के साथ अपना खुद का गैंग बनाया और लूट, डकैती, हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने लगा.
शिवली क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे के खिलाफ 52 से ज्यादा मामले यूपी के कई जिलों के थानों में चल रहे हैं. उस पर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप था. उसने दो जुलाई को अपने गुर्गों के साथ मिलकर पुलिस दल पर हमला कर दिया था. उसके बाद वह फरार चल रहा था.