जबलपुर। जबलपुर के बहुचर्चित एससी खटुआ हत्याकांड में पुलिस की एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है. एससी खटुआ जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री के जूनियर वर्क्स मैनेजर थे, जो धनुष तोप में चायनीज़ कलपुर्जे लगाने की सीबीआई जांच में आरोपी थे. सीबीआई जांच के दायरे में आए खटुआ 17 जनवरी 2019 को अचानक लापता हो गए थे. इसके बाद उनका शव 5 फरवरी 2019 को पाटबाबा की पहाड़ियों में मिला था.
एसआईटी ने तीन माह की जांच : वारदात के रीक्रिएशन के साथ करीब 3 माह तक मामले की जांच करने वाली एसआईटी फिलहाल अपनी जांच के नतीजे का खुलासा नहीं कर रही है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने इसे हत्या नहीं, आत्महत्या का मामला माना है. एसआईटी की मांग पर जांच में सहयोग के लिए पहले जबलपुर पहुंचे जाने-माने फॉरेंसिंक एक्सपर्ट डीके सतपथी ने इसे आत्महत्या का ही मामला बताया था. जांच में खुलासा हुआ है कि अपनी मौत से पहले एससी खटुआ इंटरनेट पर ये सर्च कर रहे थे कि उनकी मौत के बाद उनकी पत्नि को कितनी पेंशन मिलेगी और इंश्योरेंस का क्लेम कितना मिलेगा. जबलपुर पुलिस की एसआईटी प्रमुख एडीशनल एसपी संजय अग्रवाल का कहना है कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है. इसीलिए वो एसपी के ज़रिए अपनी रिपोर्ट पहले हाईकोर्ट में पेश करेंगे. एसआईटी प्रमुख का दावा है कि जल्द ही इस पूरे मामला का औपचारिक खुलासा कर दिया जाएगा.
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यह था पूरा मामला : गन कैरिज फैक्ट्री में पदस्थ जूनियर मैनेजर एससी खटुआ धनुष तोप मामले में संदेही थे. इसकी जांच सीबीआई कर रही थी. 17 जनवरी 2019 को जब खटुआ घर से निकले तो लौटकर वापस नहीं आए. परिजनों ने काफी तलाश किया. लेकिन वह लापता रहे. बाद में 5 फरवरी 2019 को खटुआ का शव जंगल से बरामद हुआ था. जीसीएफ फैक्ट्री द्वारा निर्मित धनुष आर्टलरी गन 155mm में चायनीज वायर लैस रोलिंग बैरिंग का इस्तेमाल किया गया था. डिफेंस सेक्टर में चीन के माल का उपयोग किया जाना प्रतिबंधित है. इस मामले में दिल्ली सीबीआई ने जून 2017 में प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी. शुरुआती जांच में वायरलेस रोलिंग बेरिंग का ठेका दिल्ली की सिद्धि सेल्स कंपनी को दिया गया था. इस कंपनी ने चाइना मेड बैरिंग पर मेड इन जर्मन की सील लगाकर सप्लाई कर दिया. इसकी जांच को लेकर सीबीआई ने खटुआ को दिल्ली भी बुलाया था. (Suspect in Dhanush cannon case) (SC Khatua not murdered)