जबलपुर। प्रदेश में शनिवार सुबह से शाम तक परस्पर सहमति से 94 हजार से अधिक विवाद निराकृत कर दिए गए. इस प्रक्रिया में तीन अरब से अधिक का मुआवजा वितरण हुआ. निराकृत विवादों में से 33 हजार से अधिक न्यायालयों में लंबित मामले शामिल रहे. जबकि प्री-लिटिगेशन प्रकरणों की संख्या 60 हजार से अधिक रही. यह जानकारी मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव राजीव कर्महे व अतिरिक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने दी.
हाईकोर्ट में कुल लंबित मामलों में आई कमीः राजीव और मनोज कुमार ने बताया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर व खंडपीठ इंदौर व ग्वालियर में 483 मामलों को समझौते के जरिए निराकरण करने में सफलता मिली. इस तरह हाईकोर्ट में कुल लंबित मामलों की संख्या में कुछ कमी आई. इस वर्ष की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निराकरण के लिए कुल सात लाख हजार 877 मामले निर्धारित किए गए थे. जिनमें से 94 हजार से अधिक विवाद निराकृत करते हुए तीन अरब से अधिक का मुआवजा वितरित किया गया. प्री-लिटिगेशन यानि मुकदमा पूर्व स्थिति के चार लाख 78 हजार 404 मामले सुनवाई के लिए लगाए गए थे. जिनमें से 60 हजार 272 का दोनों पक्षों की सहमति से पटाक्षेप कर दिया गया. इस प्रक्रिया में 89 करोड़ से अधिक का अवार्ड पारित हुआ. न्यायालयों में लंबित जो मामले राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनवाई के लिए स्थानांतरित हुए थे, उनकी कुल संख्या दो लाख 36 हजार 473 थी. इनमें से 33 हजार 343 सुबह से शाम तक दी गई समझाइश दोनों पक्षों की सहमति के बाद निपटा दिए गए.