जबलपुर। करीब डेढ़ सौ साल पहले गोवा से विक्टर परिवार जबलपुर आया और जो यहीं पर बस गया. जीविका चलाने के लिए परंपरागत (Jabalpur Wine Cake for christmas) तरीके से केक बनाने का काम शुरू किया, जिसके स्वाद के लोग दीवाने हैं. वाइन से बनने वाले इस केक के मुरीद छत्तीसगढ़ के दिवंगत मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को भी ये केक बेहद पसंद है. इस केक के लिए लोग महीनों पहले से बुकिंग कराते हैं. हालांकि, इनकी कोई दुकान नहीं है, लेकिन लोग घर पर ही इनसे केक बनवाने के लिए सामान लेकर पहुंचते हैं.
150 सालों से वाइन केक बना रहा ये परिवार
प्रभु ईशा मसीह के जन्मदिवस यानि क्रिसमस के चलते केक की अहमियत और मांग बढ़ जाती है. क्रिसमस के दिन को खास बनाने के लिए ईसाई समुदाय के लोग विशेष तरह का केक बनवाते हैं, जिसे वाइन केक कहा जाता है. इस वाइन केक को बनाने का काम अंग्रेजों के समय से एक ही परिवार करता आ रहा है. यह केक खास तौर पर क्रिसमस के लिए ही तैयार किया जाता है. इस केक को यदि कोई खास बनाता है तो वह है वाइन. आम केक की ही तरह बनने वाले इस केक में वाइन यानि शराब (Story of Jabalpur Wine Cake) मिलाई जाती है, जो केक को कई दिनों तक खराब होने से बचाती है.
वाइन केक का दीवाना है जोगी परिवार
क्रिसमस पर बनने वाला वाइन केक प्रदेश ही नहीं पूरे देश में प्रसिद्ध है. यही वजह है कि क्रिसमस पर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार से लोग वाइन केक लेने जबलपुर आते हैं. छत्तीसगढ़ से भी केक की बड़ी डिमांड आती है. दिवंगत मुख्यमंत्री अजीत जोगी का परिवार आज भी इस केक का दीवाना है. सबसे खास बात यह है कि क्रिसमस के लिए बनाया जाने वाले केक आज भी पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है, यहां इलेक्ट्रिक ओवन की जगह देसी भट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, जो केक के स्वाद को दुगना कर देता है. वाइन केक के साथ ही यहां पर 12 फ्लेवर यानि प्रकार के केक बनाए जाते हैं.
वाइन केक की बढ़ जाती है डिमांड
वाइन केक बनाने के लिए ड्राई फ्रूट्स को पानी में डुबोकर रखा जाता है, जबकि फ्रूट्स को शराब में डुबाकर रखा जाता है. इसके बाद इन्हें केक में डाल दिया जाता है. विक्टर कहते हैं कि वह एक बहुत अच्छा प्रिजर्वेटिव है और वाइन केक को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. लोग शौक से यह केक बनवाते हैं. जबलपुर के अलावा आसपास के शहरों से भी स्पेशल केक बनवाने के लिए लोग यहां आते हैं और इस लजीज स्वाद को महसूस करते हैं.
देसी भट्टी में बनता है केक
यूं तो बाजार में गैस से चलने वाली बिजली से चलने वाली और तेल से चलने वाली कई भटियां आ गई है, ऑटोमेटिक ओवन आ गए हैं, लेकिन इसके बावजूद जबलपुर के सिविल लाइन इलाके में देसी भट्टी में ही केक पकाया जाता है. देसी ओवन को ईंट की दीवार से बनाया जाता है, नीचे पत्थर लगाए जाते हैं. पूरे ओवन में पहले आग जलाई जाती है. जब अंदर पत्थर और ईंट गर्म हो जाती है. तब इसमें केक को पकने के लिए रखा जाता है. यह केक लगभग ढाई घंटे तक पकता है, इसलिए इसका स्वाद बाजार के दूसरे नरम केक से अलग होता है.
लोग घरों से लाते हैं सामान
क्रिसमस पर यीशु मसीह को मानने वाले केक काटते हैं और परिवार और रिश्तेदारों में यह केक बांटा जाता है. इसलिए लोगों को ज्यादा केक की जरूरत पड़ती है, यही वजह है कि विक्टर के ओवन में इन दिनों में जगह नहीं रहती. लोग मैदा, ड्राई फ्रूट्स, शक्कर और मक्खन लेकर विक्टर के घर पहुंचते हैं. जिसे विक्टर एक खूबसूरत केक में बदल देता है.