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इस सड़क पर अपने आप गिरने लगते हैं पत्थर, ये राज सुनकर आप भी हो जाएंगे दंग - Landslides caused by landslides

जबलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नागा घाटी बारिश के दिनों में बहुत खतरनाक हो जाती है. करीब एक हजार मीटर लंबी नागा घाटी से हर समय बड़े-बड़े पत्थर नीचे गिरते रहते हैं. जिसके चलते यहां से गुजरने वाले लोग दहशत के साए में सड़क पार कर रहे हैं. यही वजह है कि अब ये दहशत की घाटी नाम से मशहूर हो गई है.

Danger increases in Naga valley during rainy days in jabalpur
दहशत की घाटी
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Published : Jul 9, 2020, 5:00 PM IST

जबलपुर। बारिश की शुरूआत होते ही कई जगहों पर खतरा बढ़ जाता है, इन्हीं में से एक है जबलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नागा घाटी. जो बारिश के दिनों में बहुत ही खतरनाक हो जाती है. यहीं वजह है कि इस घाटी से गुजरने वाले लोग हर पल दहशत में रहते हैं. करीब एक हजार मीटर लंबी नागा घाटी से हर समय बड़े-बड़े पत्थर नीचे गिरते रहते हैं. हर वाहन चालक इस घाटी से गुजरते हुए अपने आप को दहशत में महसूस करता है. जिसके बाद वर्तमान में नागा घाटी 'दहशत की घाटी' के नाम से मशहूर हो गई है.

दहशत की घाटी

योजना बनी, लेकिन अब तक नहीं हुआ काम

रायपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क को एमपीआरडीसी ने पहाड़ से काटकर चौड़ा तो कर दिया, लेकिन बारिश के दिनों में सड़क किनारे ये पहाड़ खतरनाक साबित हो रहे हैं. जो बारिश होने के बाद धंस कर सड़क पर गिरने लगते हैं. बता दें कि एमपीआरडीसी द्वारा तैयार किए गए इस हिस्से में दीवार या जाली लगाने की बात शामिल है, लेकिन विभाग ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जबकि छह साल पहले यहां बड़ा हादसा हो चुका है.

राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में बनी हुई है नागा घाटी

जबलपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बरेला के आगे जाने पर नागा घाटी से आपको रूबरू होना पड़ेगा. रायपुर मंडला जाते वक्त अगर आप इस घाटी से गुजरते हैं तो जरा सावधान रहिएगा, क्योंकि हो सकता है कि आप इस घाटी से गुजर रहे हो और आपके वाहन के सामने अचानक ही बड़े-बड़े पत्थर आ गिरे. बारिश के समय ये घाटी और भी खतरनाक हो जाती है. नागा घाटी से लगे गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि इस घाटी में आए दिन हादसे होते रहते हैं. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर सड़कों पर आकर गिरते हैं. जिसके चलते कई बार वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल भी हुए हैं.

बारिश के समय बढ़ जाते हैं हादसे

स्थानीय लोगों का कहना है कि नागा घाटी में पत्थरों के सड़क पर गिरने से हादसे होते ही रहते हैं, लेकिन बारिश के समय इस घाटी से गिरने वाले पत्थर बहुत ही खतरनाक साबित होते हैं. अचानक ही इस घाटी से बड़े-बड़े पत्थर धसकने लगते हैं और सीधे सड़कों पर आकर गिरते हैं. इन पत्थरों के सड़कों पर गिरने से कई बार बड़े हादसे भी हुए हैं और वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त भी हुए हैं. यही कारण है कि जब भी इस घाटी से लोग गुजरते हैं तो उनके मन में दहशत बनी रहती है.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सुरक्षा के लिहाज से पहाड़ों में लगाई है लोहे की जालियां

लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सुरक्षा के लिए पहाड़ों पर लोहे की भारी-भरकम जालियां भी लगाई हैं, लेकिन पत्थरों को रोकने के लिए ये जालियां नाकाफी साबित हुई हैं. करीब एक हजार मीटर लंबी नागा घाटी में एनएचएआई ने कुछ स्थानों पर लोहे की जालियां लगवा रखी हैं. ये सही है कि जिन स्थान पर लोहे की जालियां लगी हुई हैं वहां पत्थरों के गिरने की घटनाएं कम हो रही हैं, वहीं जिस जगह जालियां नहीं लगी हैं वहां घाटियों से पत्थर धसक कर सीधे सड़क पर गिरते हैं.

ईटीवी भारत ने दी पुलिस अधिकारियों को जानकारी

जबलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नागा घाटी में पत्थरों के भूस्खलन से हो रहे हादसों के बारे में ईटीवी भारत ने पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी. इस दौरान पुलिस अधिकारियों का कहना था कि जल्द ही एनएचएआई के अधिकारियों से मिलकर घाटियों में हो रहे हादसों को रोकने का उपाय तलाशा जाएगा. कहा जा सकता है कि अगर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इन घाटी को लेकर पहल नहीं की तो यहां पर हो रहे हादसों में काफी हद तक बढ़ोत्तरी हो जाएगी. अब देखना ये होगा कि क्या नागा घाटी को लेकर संबंधित विभाग और प्रशासन गंभीर होगा या नहीं.

तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि पलक झपकते ही इस ऊंची घाटी से बड़े पत्थर गिर कर सड़कों पर आ रहे हैं. जल्द ही अगर इस घाटी पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए तो हो सकता है कि आने वाले समय में एक बड़ा हादसा होने की खबर आपको सुनने को मिले. फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन जरूर दिया है कि इस घाटी से गिरने वाले पत्थरों के रोकथाम के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से बात की जाएगी.

जबलपुर। बारिश की शुरूआत होते ही कई जगहों पर खतरा बढ़ जाता है, इन्हीं में से एक है जबलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नागा घाटी. जो बारिश के दिनों में बहुत ही खतरनाक हो जाती है. यहीं वजह है कि इस घाटी से गुजरने वाले लोग हर पल दहशत में रहते हैं. करीब एक हजार मीटर लंबी नागा घाटी से हर समय बड़े-बड़े पत्थर नीचे गिरते रहते हैं. हर वाहन चालक इस घाटी से गुजरते हुए अपने आप को दहशत में महसूस करता है. जिसके बाद वर्तमान में नागा घाटी 'दहशत की घाटी' के नाम से मशहूर हो गई है.

दहशत की घाटी

योजना बनी, लेकिन अब तक नहीं हुआ काम

रायपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क को एमपीआरडीसी ने पहाड़ से काटकर चौड़ा तो कर दिया, लेकिन बारिश के दिनों में सड़क किनारे ये पहाड़ खतरनाक साबित हो रहे हैं. जो बारिश होने के बाद धंस कर सड़क पर गिरने लगते हैं. बता दें कि एमपीआरडीसी द्वारा तैयार किए गए इस हिस्से में दीवार या जाली लगाने की बात शामिल है, लेकिन विभाग ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है. जबकि छह साल पहले यहां बड़ा हादसा हो चुका है.

राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में बनी हुई है नागा घाटी

जबलपुर शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बरेला के आगे जाने पर नागा घाटी से आपको रूबरू होना पड़ेगा. रायपुर मंडला जाते वक्त अगर आप इस घाटी से गुजरते हैं तो जरा सावधान रहिएगा, क्योंकि हो सकता है कि आप इस घाटी से गुजर रहे हो और आपके वाहन के सामने अचानक ही बड़े-बड़े पत्थर आ गिरे. बारिश के समय ये घाटी और भी खतरनाक हो जाती है. नागा घाटी से लगे गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि इस घाटी में आए दिन हादसे होते रहते हैं. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर सड़कों पर आकर गिरते हैं. जिसके चलते कई बार वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल भी हुए हैं.

बारिश के समय बढ़ जाते हैं हादसे

स्थानीय लोगों का कहना है कि नागा घाटी में पत्थरों के सड़क पर गिरने से हादसे होते ही रहते हैं, लेकिन बारिश के समय इस घाटी से गिरने वाले पत्थर बहुत ही खतरनाक साबित होते हैं. अचानक ही इस घाटी से बड़े-बड़े पत्थर धसकने लगते हैं और सीधे सड़कों पर आकर गिरते हैं. इन पत्थरों के सड़कों पर गिरने से कई बार बड़े हादसे भी हुए हैं और वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त भी हुए हैं. यही कारण है कि जब भी इस घाटी से लोग गुजरते हैं तो उनके मन में दहशत बनी रहती है.

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सुरक्षा के लिहाज से पहाड़ों में लगाई है लोहे की जालियां

लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सुरक्षा के लिए पहाड़ों पर लोहे की भारी-भरकम जालियां भी लगाई हैं, लेकिन पत्थरों को रोकने के लिए ये जालियां नाकाफी साबित हुई हैं. करीब एक हजार मीटर लंबी नागा घाटी में एनएचएआई ने कुछ स्थानों पर लोहे की जालियां लगवा रखी हैं. ये सही है कि जिन स्थान पर लोहे की जालियां लगी हुई हैं वहां पत्थरों के गिरने की घटनाएं कम हो रही हैं, वहीं जिस जगह जालियां नहीं लगी हैं वहां घाटियों से पत्थर धसक कर सीधे सड़क पर गिरते हैं.

ईटीवी भारत ने दी पुलिस अधिकारियों को जानकारी

जबलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नागा घाटी में पत्थरों के भूस्खलन से हो रहे हादसों के बारे में ईटीवी भारत ने पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी. इस दौरान पुलिस अधिकारियों का कहना था कि जल्द ही एनएचएआई के अधिकारियों से मिलकर घाटियों में हो रहे हादसों को रोकने का उपाय तलाशा जाएगा. कहा जा सकता है कि अगर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इन घाटी को लेकर पहल नहीं की तो यहां पर हो रहे हादसों में काफी हद तक बढ़ोत्तरी हो जाएगी. अब देखना ये होगा कि क्या नागा घाटी को लेकर संबंधित विभाग और प्रशासन गंभीर होगा या नहीं.

तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि पलक झपकते ही इस ऊंची घाटी से बड़े पत्थर गिर कर सड़कों पर आ रहे हैं. जल्द ही अगर इस घाटी पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए तो हो सकता है कि आने वाले समय में एक बड़ा हादसा होने की खबर आपको सुनने को मिले. फिलहाल पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन जरूर दिया है कि इस घाटी से गिरने वाले पत्थरों के रोकथाम के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से बात की जाएगी.

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