जबलपुर। साइबर पुलिस ने लोगों से सरकारी योजनाओं में फायदा दिलाने के नाम पर फिंगर प्रिंट और आधार कार्ड लेने के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर उनके फिंगर प्रिंट लेता था. पुलिस ने बायोमेट्रिक सबूतों के साथ दूसरे दस्तावेज और सात हजार से ज्यादा सिम कार्ड जब्त किए हैं. साइबर पुलिस ने आरोपियों द्वारा सिम के दुरुपयोग की जांच शुरु कर दी है. जबलपुर की साइबर पुलिस ने सागर के पास गौरझामर से नितेश रैकवार नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया है. साइबर पुलिस का कहना है कि नितेश रैकवार ने लगभग 7000 सिम को एक्टिवेट किया है और इन्हें जबलपुर से लेकर दिल्ली तक साइबर अपराध में लगे हुए लोगों को बेचा है.
भोले-भाले ग्रामीणों के साथ छलावा
नितेश रैकवार ने गौरझामर के पास कई गांव में कैंप लगाए और इन कैंपों में लोगों से सरकारी योजनाओं में फायदा दिलाने के नाम पर फिंगर प्रिंट लिए और आधार कार्ड लिए. इन्हीं फिंगरप्रिंट और आधार कार्ड के जरिए सिम को एक्टिवेट किया गया. इनमें ज्यादातर सिम आइडिया कंपनी के थे और फिर इन प्रि एक्टिवेटेड सिम को जबलपुर से लेकर दिल्ली तक साइबर अपराध में जुड़े हुए लोगों को बेच दिया गया. इन्हीं प्री-एक्टिवेटेड सिमों के जरिए साइबर अपराधी लोगों को ठग लेते हैं.
कैसे होती है सिम एक्टिवेट
सिम एक्टिवेशन एक कठिन प्रक्रिया है. इसमें जिस शख्स को सिम लेना है. उसके उंगलियों के निशान एक मशीन द्वारा दर्ज किए जाते हैं. जिस शख्स को सिम दी जा रही है उसकी फोटो ली जाती है और उसके पत्ते से जुड़े हुए कागज लिए जाते हैं.
इनमें आधार कार्ड, राशन कार्ड समग्र आईडी और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज लिए जाते हैं. जब सिम एक्टिवेट करने वाली कंपनी इन दस्तावेजों को सही ढंग से जांच लेती है. इसके बाद ही सिम एक्टिवेट होती है. लेकिन इस मामले में सात हजार से ज्यादा फर्जी सिम एक्टिवेट हुए और कंपनी ने इन्हें जांचने की जहमत नहीं उठाई. फर्जी तरीके से सिम एक्टिवेट करवाना एक साइबर अपराध है और ऐसी सिमों का इस्तेमाल करना भी गैर कानूनी है. इसलिए अनजाने में भी अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो बचे अन्यथा आप एक अपराध में फंस जाएंगे.