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अगर आप भी कम लागत में लेना चाहते हैं फसलों का बंपर उत्पादन, तो हर 3 साल में जरूर करें ये काम

अगर आप भी कम लागत में लेना चाहते हैं फसलों का बंपर उत्पादन, तो हर तीन साल में जरूर ये काम करें जिससे की आपको खेती से लाभ मिलेगा.

shahdol farming good in nautapa season
नौतपा सीजन में शहडोल की खेती अच्छी होती है
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Published : May 30, 2023, 10:39 PM IST

नौतपा सीजन में शहडोल की खेती अच्छी होती है

शहडोल। बरसात के सीजन की शुरुआत में कुछ ही समय बचा है, नौतपा का समय चल रहा है. तापमान में भी काफी तेजी हो रही है, ऐसे में खेती किसानी से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है. अगर आप किसान हैं और हर 3 साल अपने खेतों में गहरी जुताई नहीं करवाते हैं, तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है. आखिर कैसे गहरी जुताई करवाकर कम लागत में बंपर उत्पादन ले सकते हैं पढ़िए पूरी खबर.

बेमौसम बरसात का ये एक फायदा: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "अप्रैल महीने में शहडोल जिले में जो बारिश हुई है उससे किसानों को फायदा हुआ है. जितने भी खरपतवार उनके खेत में थे, वो बेमौसम बरसात में जम गए थे. लेकिन अगर उन्हें पहले से ही खत्म कर दिया जाए तो वे खेती के समय फसल लगाते वक्त नहीं जमेंगे."

क्या है गहरी जुताई: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र बताते हैं कि "इस समय जो तापमान है वो बहुत ज्यादा है. सामान्य रूप से इस समय में यह टेंपरेचर होता भी है और यही बिल्कुल सही समय है गहरी जुताई के लिए जो 3 साल में एक बार की जाती है. गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले प्लाऊ मशीन से भी की जाती है. यह सबसे उपयुक्त समय होता है कि मिट्टी पलटते ही तेज धूप में सोलेराईजेशन हो जाता है. तेज धूप से सभी हानिकारक पदार्थ जैसे फंगस नष्ट हो जाते हैं."

खरपतवार में कैसे मिलेगा नियंत्रण: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह के मुताबिक "शहडोल जिले के हिसाब से देखा जाए तो यहां धान की खेती बड़े तादाद में प्रमुखता से की जाती है. धान की खेती के लिए छोटे मेढ़ वाले खेत बनाए जाते हैं. उसमें पानी भरा जाता है. लगातार एक ही तरह की फसल की खेती करने और उसमें लगातार पानी भरने से जो खेत की जमीन होती है वह एसिडिक हो जाती है. जब हम प्लाऊ से गहरी जुताई करते हैं तो उसके परत को तोड़ते हैं और परत टूटती है तो उसका पीएच भी संतुलित हो जाता है. यह सबसे सही समय होता है. इस समय में अगर हम गहरी जुताई करते हैं तो खरपतवार में नियंत्रण मिलेगा. एक तरह से कहा जाए तो कीट व्याधि रोग आदि से मुक्ति मिलेगी. यह क्रिया हर साल नहीं की जाती बल्कि 3 साल में एक बार की जाती है."

कुछ खबरें यहां पढ़ें

कम लागत में ले सकते हैं बंपर उत्पादन: शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. ज्यादातर किसान लगातार धान की खेती करते हैं. फसलों में रोटेशन नहीं अपनाते हैं. ऐसे में अगर आप कम लागत में बंपर उत्पादन लेना चाहते हैं तो अपने खेतों में हर 3 साल में गहरी जुताई जरूर करवाएं. गहरी जुताई कराने के इतने फायदे हैं कि उससे न केवल आपकी लागत भी बचेगी, बल्कि उत्पादन भी बेहतर होगा. क्योंकि गहरी जुताई करवाने से न तो आप के खेतों में रोग व्याधि कीट का प्रकोप होगा न खरपतवार का प्रकोप होगा और इन सभी की दवाइयों में लगने वाले पैसे की भी बचत होगी. इससे खेती में लागत भी कम आएगी और उत्पादन भी बेहतर होगा.

नौतपा सीजन में शहडोल की खेती अच्छी होती है

शहडोल। बरसात के सीजन की शुरुआत में कुछ ही समय बचा है, नौतपा का समय चल रहा है. तापमान में भी काफी तेजी हो रही है, ऐसे में खेती किसानी से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है. अगर आप किसान हैं और हर 3 साल अपने खेतों में गहरी जुताई नहीं करवाते हैं, तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए ही है. आखिर कैसे गहरी जुताई करवाकर कम लागत में बंपर उत्पादन ले सकते हैं पढ़िए पूरी खबर.

बेमौसम बरसात का ये एक फायदा: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि "अप्रैल महीने में शहडोल जिले में जो बारिश हुई है उससे किसानों को फायदा हुआ है. जितने भी खरपतवार उनके खेत में थे, वो बेमौसम बरसात में जम गए थे. लेकिन अगर उन्हें पहले से ही खत्म कर दिया जाए तो वे खेती के समय फसल लगाते वक्त नहीं जमेंगे."

क्या है गहरी जुताई: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र बताते हैं कि "इस समय जो तापमान है वो बहुत ज्यादा है. सामान्य रूप से इस समय में यह टेंपरेचर होता भी है और यही बिल्कुल सही समय है गहरी जुताई के लिए जो 3 साल में एक बार की जाती है. गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले प्लाऊ मशीन से भी की जाती है. यह सबसे उपयुक्त समय होता है कि मिट्टी पलटते ही तेज धूप में सोलेराईजेशन हो जाता है. तेज धूप से सभी हानिकारक पदार्थ जैसे फंगस नष्ट हो जाते हैं."

खरपतवार में कैसे मिलेगा नियंत्रण: कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह के मुताबिक "शहडोल जिले के हिसाब से देखा जाए तो यहां धान की खेती बड़े तादाद में प्रमुखता से की जाती है. धान की खेती के लिए छोटे मेढ़ वाले खेत बनाए जाते हैं. उसमें पानी भरा जाता है. लगातार एक ही तरह की फसल की खेती करने और उसमें लगातार पानी भरने से जो खेत की जमीन होती है वह एसिडिक हो जाती है. जब हम प्लाऊ से गहरी जुताई करते हैं तो उसके परत को तोड़ते हैं और परत टूटती है तो उसका पीएच भी संतुलित हो जाता है. यह सबसे सही समय होता है. इस समय में अगर हम गहरी जुताई करते हैं तो खरपतवार में नियंत्रण मिलेगा. एक तरह से कहा जाए तो कीट व्याधि रोग आदि से मुक्ति मिलेगी. यह क्रिया हर साल नहीं की जाती बल्कि 3 साल में एक बार की जाती है."

कुछ खबरें यहां पढ़ें

कम लागत में ले सकते हैं बंपर उत्पादन: शहडोल आदिवासी बाहुल्य जिला है. इस जिले में धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. ज्यादातर किसान लगातार धान की खेती करते हैं. फसलों में रोटेशन नहीं अपनाते हैं. ऐसे में अगर आप कम लागत में बंपर उत्पादन लेना चाहते हैं तो अपने खेतों में हर 3 साल में गहरी जुताई जरूर करवाएं. गहरी जुताई कराने के इतने फायदे हैं कि उससे न केवल आपकी लागत भी बचेगी, बल्कि उत्पादन भी बेहतर होगा. क्योंकि गहरी जुताई करवाने से न तो आप के खेतों में रोग व्याधि कीट का प्रकोप होगा न खरपतवार का प्रकोप होगा और इन सभी की दवाइयों में लगने वाले पैसे की भी बचत होगी. इससे खेती में लागत भी कम आएगी और उत्पादन भी बेहतर होगा.

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