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भेड़ाघाट के मूर्तिकार हुए बेरोजगार, लॉकडाउन के चलते नहीं आ रहे पर्यटक - जबलपुर समाचार

भेड़ाघाट में पत्थर पर नाम लिखकर बेचने वाले सैकड़ों कलाकार हैं. पर्यटकों के नहीं आने से ये सभी बेरोजगार हो गए हैं और अपना ही खर्च उठाने का संकट इनके सामने है.

name on stone
पत्थर पर लिखा पर्यटकों का नाम
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Published : Apr 22, 2020, 11:25 AM IST

जबलपुर। लॉकडाउन के कारण भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों में भी कमी आयी है. जिसेक चलते मूर्तिकारों का रोजगार भी ठप है. यहां आने वाले पर्यटक इन मूर्तिकारों की कलकृतियां खरीद कर ले जाते थे. लेकिन अब इनके पास कोई और रोजगार भी नहीं है. जिससे मूर्तिकारों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है.

मूर्तिकार हुए बेरोजगार

पर्यटक निशानी के तौर पर सॉफ्ट मार्बल पर अपना नाम लिखवा कर ले जाते हैं. पत्थर पर नाम लिखकर बेचने वाले सैकड़ों कलाकार हैं. ये खुद ही दुकानें भी लगाते हैं और सॉफ्ट मार्बल की कई दूसरी शानदार चीजें बेचते हैं, ये कलाकृतियां ज्यादा महंगी नहीं होती. इसलिए भेड़ाघाट आने वाला लगभग हर पर्यटक इनको खरीद कर ले जाता है. लेकिन बीते लगभग डेढ़ महीने से एक भी कलाकृति नहीं बिकी है.

कलाकारों का कहना है कि वे इसके अलावा कोई दूसरा काम नहीं जानते और यदि कोरोना वायरस की वजह से इसी तरह लॉक डाउन चलता रहा तो उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी. मूर्तियों का कारोबार करने वाले मनोज जैन का कहना है बीते डेढ़ महीने में कई त्यौहार गुजर गए लेकिन एक भी मूर्ति नहीं बिकी. ऐसे में वे खर्च कैसे चलाएंगे और अपने कारीगरों को कैसे पैसा कहा से देंगे.

जबलपुर। लॉकडाउन के कारण भेड़ाघाट आने वाले पर्यटकों में भी कमी आयी है. जिसेक चलते मूर्तिकारों का रोजगार भी ठप है. यहां आने वाले पर्यटक इन मूर्तिकारों की कलकृतियां खरीद कर ले जाते थे. लेकिन अब इनके पास कोई और रोजगार भी नहीं है. जिससे मूर्तिकारों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है.

मूर्तिकार हुए बेरोजगार

पर्यटक निशानी के तौर पर सॉफ्ट मार्बल पर अपना नाम लिखवा कर ले जाते हैं. पत्थर पर नाम लिखकर बेचने वाले सैकड़ों कलाकार हैं. ये खुद ही दुकानें भी लगाते हैं और सॉफ्ट मार्बल की कई दूसरी शानदार चीजें बेचते हैं, ये कलाकृतियां ज्यादा महंगी नहीं होती. इसलिए भेड़ाघाट आने वाला लगभग हर पर्यटक इनको खरीद कर ले जाता है. लेकिन बीते लगभग डेढ़ महीने से एक भी कलाकृति नहीं बिकी है.

कलाकारों का कहना है कि वे इसके अलावा कोई दूसरा काम नहीं जानते और यदि कोरोना वायरस की वजह से इसी तरह लॉक डाउन चलता रहा तो उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी. मूर्तियों का कारोबार करने वाले मनोज जैन का कहना है बीते डेढ़ महीने में कई त्यौहार गुजर गए लेकिन एक भी मूर्ति नहीं बिकी. ऐसे में वे खर्च कैसे चलाएंगे और अपने कारीगरों को कैसे पैसा कहा से देंगे.

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