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मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी दूसरा 'व्यापमं'! पैसे लेकर छात्रों को पास करने के लगे आरोप - व्यापमं भोपाल

जबलपुर से संचालित मध्य प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी की आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. आरोप हैं कि यूनिवर्सिटी में पैसे लेकर छात्रों को पास या फेल किया जा रहा था. RTI एक्टिविस्ट ने मामले का खुलासा किया है.

Medical University becomes second 'Vyapam'!
मेडिकल यूनिवर्सिटी बनीं दूसरा 'व्यापमं'!
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Published : Jun 10, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Jun 10, 2021, 7:27 PM IST

जबलपुर। संस्कारधानी में मेडिकल छात्र-छात्राओं से पैसा लेकर पास और फेल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दावा किया जा रहा है कि ये घोटाला व्यापमं कांड की तरह बड़ा हो सकता है. इसे लेकर जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि मामले का खुलासा होने के बाद रिजल्ट तैयार करने वाली कंपनी भी डेटा लेकर भाग गई है.

आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में गड़बड़ी के आरोप

मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी पर एक बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं. आरोपों की जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि चिकित्सा शिक्षा से जुड़े हजारों छात्रों से पैसा लेकर पास और फेल करने का खेल आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में खेला जा रहा था. इस मामले में आईरटीआई लगाने वाले एक्टिविस्ट अखिलेश त्रिपाठी ने दावा किया है कि इस मामले का खुलासा होने पर अरबों रुपए का घोटाला सामने आएगा.

यूनिवर्सिटी में घोटाला होने के आरोप

पूरे प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा का नियंत्रण

मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज फिर वो सरकारी हो और निजी नर्सिंग पैरामेडिकल कॉलेज, सभी कॉलेजों को मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत जोड़ दिया गया है. मेडिकल चिकित्सा से जुड़े हुए सभी छात्र इसी यूनिवर्सिटी से संबंध रखते हैं, यही मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की परीक्षा भी लेती है. इसके बाद यूनिवर्सिटी माइंड लॉजिक नाम की कंपनी को पूरा डेटा भेजती है और ये कंपनी मार्कशीट बनाती है.

परीक्षा नियंत्रण विभाग पर लगे आरोप

इस मामले में यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के कुछ कर्मचारियों पर भी आरोप लगे हैं. RTI एक्टिविस्ट ने आरोप लगाए हैं कि टेबुलेशन के बाद छात्रों के पास या फेल होने की जानकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के पास आती है, तो परीक्षा नियंत्रण करने वाले विभाग के कर्मचारी छात्रों और कॉलेजों से संपर्क करते हैं. इसके बाद पैसों का लेनदेन करके छात्रों को पास किया जाता था. बताया जा रहा है कि एमबीबीएस के मामले में यह पैसा लाखों में होता है.

RTI एक्टिविस्ट ने लगाए आरोप

BJP सांसद के गोद लिए गांव में नहीं है Vaccine के प्रति जागरुकता, ग्रामीणों ने मेडिकल स्टाफ के साथ की अभद्रता

गड़बड़ी में निजी कंपनी का हाथ होने के शक

RTI एक्टिविस्ट ने बताया कि दूसरे स्तर पर यूनिवर्सिटी से डेटा माइंड लॉजिक नाम की एक कंपनी के पास पहुंचता है, आरोप है कि कंपनी अपने स्तर पर फेल होने वाले छात्रों से सीधे या कॉलेज के माध्यम से संपर्क करती है और पैसे लेकर छात्रों को पास कर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि मामले का खुलासा होने के बाद कंपनी जांच टीम को डेटा नहीं सौंप रही है.

RTI एक्टिविस्ट के पास हैं सबूत

इस मामले में जबलपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट ने भोपाल की नर्सिंग कॉलेज की कुछ छात्राओं के सात मिलकर सबूतों के साथ शिकायत की थी. आरटीआई एक्टिविस्ट और छात्राओं के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि पैसे के लेनदेन के बाद कुछ कुछ ऐसे छात्रों को भी पास कर दिया गया जो दरअसल परीक्षा में बैठे ही नहीं थे.

सागर: उफनती नदी में चट्टान पर फंसे 4 बच्चे, रेस्क्यू कर बचाया गया

निजी कंपनी नहीं दे रही डेटा

इस मामले की जानकारी जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को दी गई तो तीन डाक्टर और इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के दो आईटी प्रोफेशनल की एक कमेटी बनाई गई है. इसमें विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस काटे और लेखा अधिकारी राकेश चौधरी को सदस्य बनाया गया है. बताया जा रहा है कि माइंड लॉजिक कंपनी छानबीन समिति को डेटा उपलब्ध नहीं करवा रही. इसके पहले भी मेडिकल यूनिवर्सिटी का डेटा न्यासा नाम की एक कंपनी लेकर भाग गई थी. फिलहाल इस मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

जबलपुर। संस्कारधानी में मेडिकल छात्र-छात्राओं से पैसा लेकर पास और फेल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दावा किया जा रहा है कि ये घोटाला व्यापमं कांड की तरह बड़ा हो सकता है. इसे लेकर जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि मामले का खुलासा होने के बाद रिजल्ट तैयार करने वाली कंपनी भी डेटा लेकर भाग गई है.

आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में गड़बड़ी के आरोप

मध्य प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी पर एक बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं. आरोपों की जांच भी शुरू हो गई है. आरोप है कि चिकित्सा शिक्षा से जुड़े हजारों छात्रों से पैसा लेकर पास और फेल करने का खेल आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में खेला जा रहा था. इस मामले में आईरटीआई लगाने वाले एक्टिविस्ट अखिलेश त्रिपाठी ने दावा किया है कि इस मामले का खुलासा होने पर अरबों रुपए का घोटाला सामने आएगा.

यूनिवर्सिटी में घोटाला होने के आरोप

पूरे प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा का नियंत्रण

मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज फिर वो सरकारी हो और निजी नर्सिंग पैरामेडिकल कॉलेज, सभी कॉलेजों को मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत जोड़ दिया गया है. मेडिकल चिकित्सा से जुड़े हुए सभी छात्र इसी यूनिवर्सिटी से संबंध रखते हैं, यही मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की परीक्षा भी लेती है. इसके बाद यूनिवर्सिटी माइंड लॉजिक नाम की कंपनी को पूरा डेटा भेजती है और ये कंपनी मार्कशीट बनाती है.

परीक्षा नियंत्रण विभाग पर लगे आरोप

इस मामले में यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के कुछ कर्मचारियों पर भी आरोप लगे हैं. RTI एक्टिविस्ट ने आरोप लगाए हैं कि टेबुलेशन के बाद छात्रों के पास या फेल होने की जानकारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के पास आती है, तो परीक्षा नियंत्रण करने वाले विभाग के कर्मचारी छात्रों और कॉलेजों से संपर्क करते हैं. इसके बाद पैसों का लेनदेन करके छात्रों को पास किया जाता था. बताया जा रहा है कि एमबीबीएस के मामले में यह पैसा लाखों में होता है.

RTI एक्टिविस्ट ने लगाए आरोप

BJP सांसद के गोद लिए गांव में नहीं है Vaccine के प्रति जागरुकता, ग्रामीणों ने मेडिकल स्टाफ के साथ की अभद्रता

गड़बड़ी में निजी कंपनी का हाथ होने के शक

RTI एक्टिविस्ट ने बताया कि दूसरे स्तर पर यूनिवर्सिटी से डेटा माइंड लॉजिक नाम की एक कंपनी के पास पहुंचता है, आरोप है कि कंपनी अपने स्तर पर फेल होने वाले छात्रों से सीधे या कॉलेज के माध्यम से संपर्क करती है और पैसे लेकर छात्रों को पास कर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि मामले का खुलासा होने के बाद कंपनी जांच टीम को डेटा नहीं सौंप रही है.

RTI एक्टिविस्ट के पास हैं सबूत

इस मामले में जबलपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट ने भोपाल की नर्सिंग कॉलेज की कुछ छात्राओं के सात मिलकर सबूतों के साथ शिकायत की थी. आरटीआई एक्टिविस्ट और छात्राओं के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि पैसे के लेनदेन के बाद कुछ कुछ ऐसे छात्रों को भी पास कर दिया गया जो दरअसल परीक्षा में बैठे ही नहीं थे.

सागर: उफनती नदी में चट्टान पर फंसे 4 बच्चे, रेस्क्यू कर बचाया गया

निजी कंपनी नहीं दे रही डेटा

इस मामले की जानकारी जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को दी गई तो तीन डाक्टर और इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के दो आईटी प्रोफेशनल की एक कमेटी बनाई गई है. इसमें विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस काटे और लेखा अधिकारी राकेश चौधरी को सदस्य बनाया गया है. बताया जा रहा है कि माइंड लॉजिक कंपनी छानबीन समिति को डेटा उपलब्ध नहीं करवा रही. इसके पहले भी मेडिकल यूनिवर्सिटी का डेटा न्यासा नाम की एक कंपनी लेकर भाग गई थी. फिलहाल इस मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

Last Updated : Jun 10, 2021, 7:27 PM IST
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