जबलपुर। याचिकाकर्ता अनिल कुमार नामदेव की तरफ से दायर की गयी याचिका में हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी गयी थी कि जिसमें सिविल जज की परीक्षा के दौरान इंटरव्यू में न्यूतनत 40 प्रतिशत अंक की अनिर्वायता को सही ठहराया गया था. याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का उल्लेख किया कि मध्य प्रदेश ज्यूडिशिल सर्विस रूल्स 1994 की धारा 5 में इंटरव्यू में निर्धारित अंक की अनिवार्यता नहीं है.
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याचिका में ये तर्क दिए : हाईकोर्ट ने संविधान की धारा 234 के तहत प्रदान शक्तियों को उपयोग करते हुए उक्त अनिर्वायता निर्धारित की गयी है. याचिका में कहा गया था कि सिविल जज परीक्षा 2019 की मुख्य परीक्षा में अंतिम सूची में शामिल 115 अभियार्थियों को इंटरव्यू में 18.67 से 19.70 अंक दिए गए. निर्धारित 20 अंक प्राप्त नहीं करने के कारण वह चयन से वंचित हो गए. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने पक्ष रखा.