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संस्कारधानी अस्पताल का कारनामा, दिल के मरीज को भर्ती करने के बाद नहीं किया इलाज, 25000 रुपये भी वसूले

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Published : Sep 20, 2021, 7:22 AM IST

संस्कारधानी हॉस्पिटल (Sanskardhani Hospital) के संचालक ने हार्ट के बड़े डॉक्टर (Heart Doctor) के नाम पर दमोह से आई एक महिला को पहले भर्ती कर लिया और फिर महिला का इलाज नही किया. यही नहीं मरीज से 25 हजार रुपये भी ऐंठ लिये. जबकि मरीज आयुष्मान कार्ड धारक है.

Sanskardhani Hospital
संस्कारधानी अस्पताल

जबलपुर। मरीजों का इलाज कर रहे एक बड़े डॉक्टर के नाम पर जबलपुर में मरीजों को लूटा जा रहा है. संस्कारधानी हॉस्पिटल (Sanskardhani Hospital) के संचालक ने हार्ट के बड़े डॉक्टर (Heart Doctor) के नाम पर दमोह से आई एक महिला को पहले भर्ती करवा लिया. यही नहीं मरीज का आयुष्मान योजना का कार्ड (Aushman Scheme Card) होने के बाद भी मरीज के परिजनों से 20 से 25 हजार रुपये वसूले. दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रखने के बाद जब हार्ट के डॉक्टर ने इलाज नहीं किया, तो महिला के बेटे ने अपनी मां को संस्कारधानी अस्पताल से ले जाकर दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां अब मरीज की हालत बेहतर है.

कार्रवाई के बात कह रहे मरीज के परिजन.

एम्बुलेंस चालक ने की फर्जीवाड़े की शुरुआत
जानकारी के मुताबिक, दमोह निवासी किसानी करने वाले वीरेंद्र नायक की मां आजाद बाई को हार्ट संबधित बीमारी है. वीरेंद्र ने कुछ दिन तक अपनी मां का इलाज दमोह में करवाया. जब आराम नहीं मिला तो उसने अपनी मां का इलाज जबलपुर में करवाने के लिए एक एम्बुलेंस चालक से बात की. एम्बुलेंस चालक ब्रजेश शुक्ला ने वीरेंद्र की मां को दमोह से सीधे जबलपुर में संस्कारधानी हॉस्पिटल लाया और डॉक्टरों से मिलवा दिया. संस्कारधानी हॉस्पिटल संचालक (Hospital Manager) ने भी मरीज को बिना सोचे समझे भर्ती कर लिया.

दो दिन तक नहीं किया इलाज
वीरेंद्र नायक की मां को संस्कारधानी अस्पताल में भर्ती कर लिया गया. परिजनों ने पूछा कि इलाज कब होगा, तो अभी-अभी करते-करते दो दिन तक आजाद बाई को अस्पताल में ही रखा. इस दौरान कार्डियो डॉक्टर (Cardio Doctor) को नहीं बुलाया गया. इधर, आयुष्मान योजना कार्ड होने के बाद भी वीरेंद्र से करीब 25 हजार रुपये वसूल गए. जब कार्डियो डॉक्टर आया, तो वीरेंद्र अपनी मां को वहां से दूसरे अस्पताल में ले गया.

समय रहते नहीं होता इलाज तो जा सकती थी जान
दो दिन तक संस्कारधानी अस्पताल में भर्ती होने के बाद वीरेंद्र ने इलाज न होने पर अपनी मां को शहर के दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां उसकी मां का इलाज शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि अगर समय रहते कार्डियो डॉक्टर इलाज शुरू नहीं करते, तो उनकी जान को खतरा हो सकता था.

मोखा पर मेहरबानी क्यों, रासुका लगाने की कलेक्टर की कार्रवाई पर उठे सवाल

अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ परिजन कर रहे शिकायत की तैयारी
आयुष्मान योजना कार्ड होने के बाद भी वीरेंद्र से तुरन्त ही 10 हजार रुपये जमा करवा लिए गए. उसके बाद दवाई के लिए करीब 15 हजार रुपये लिए गए, जबकि आयुष्मान योजना में निःशुल्क इलाज होता है. फिलहाल परिजन अब संस्कारधानी अस्पताल के खिलाफ पुलिस से शिकायत की तैयारी में जुट गए हैं.

जबलपुर। मरीजों का इलाज कर रहे एक बड़े डॉक्टर के नाम पर जबलपुर में मरीजों को लूटा जा रहा है. संस्कारधानी हॉस्पिटल (Sanskardhani Hospital) के संचालक ने हार्ट के बड़े डॉक्टर (Heart Doctor) के नाम पर दमोह से आई एक महिला को पहले भर्ती करवा लिया. यही नहीं मरीज का आयुष्मान योजना का कार्ड (Aushman Scheme Card) होने के बाद भी मरीज के परिजनों से 20 से 25 हजार रुपये वसूले. दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रखने के बाद जब हार्ट के डॉक्टर ने इलाज नहीं किया, तो महिला के बेटे ने अपनी मां को संस्कारधानी अस्पताल से ले जाकर दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां अब मरीज की हालत बेहतर है.

कार्रवाई के बात कह रहे मरीज के परिजन.

एम्बुलेंस चालक ने की फर्जीवाड़े की शुरुआत
जानकारी के मुताबिक, दमोह निवासी किसानी करने वाले वीरेंद्र नायक की मां आजाद बाई को हार्ट संबधित बीमारी है. वीरेंद्र ने कुछ दिन तक अपनी मां का इलाज दमोह में करवाया. जब आराम नहीं मिला तो उसने अपनी मां का इलाज जबलपुर में करवाने के लिए एक एम्बुलेंस चालक से बात की. एम्बुलेंस चालक ब्रजेश शुक्ला ने वीरेंद्र की मां को दमोह से सीधे जबलपुर में संस्कारधानी हॉस्पिटल लाया और डॉक्टरों से मिलवा दिया. संस्कारधानी हॉस्पिटल संचालक (Hospital Manager) ने भी मरीज को बिना सोचे समझे भर्ती कर लिया.

दो दिन तक नहीं किया इलाज
वीरेंद्र नायक की मां को संस्कारधानी अस्पताल में भर्ती कर लिया गया. परिजनों ने पूछा कि इलाज कब होगा, तो अभी-अभी करते-करते दो दिन तक आजाद बाई को अस्पताल में ही रखा. इस दौरान कार्डियो डॉक्टर (Cardio Doctor) को नहीं बुलाया गया. इधर, आयुष्मान योजना कार्ड होने के बाद भी वीरेंद्र से करीब 25 हजार रुपये वसूल गए. जब कार्डियो डॉक्टर आया, तो वीरेंद्र अपनी मां को वहां से दूसरे अस्पताल में ले गया.

समय रहते नहीं होता इलाज तो जा सकती थी जान
दो दिन तक संस्कारधानी अस्पताल में भर्ती होने के बाद वीरेंद्र ने इलाज न होने पर अपनी मां को शहर के दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां उसकी मां का इलाज शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि अगर समय रहते कार्डियो डॉक्टर इलाज शुरू नहीं करते, तो उनकी जान को खतरा हो सकता था.

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आयुष्मान योजना कार्ड होने के बाद भी वीरेंद्र से तुरन्त ही 10 हजार रुपये जमा करवा लिए गए. उसके बाद दवाई के लिए करीब 15 हजार रुपये लिए गए, जबकि आयुष्मान योजना में निःशुल्क इलाज होता है. फिलहाल परिजन अब संस्कारधानी अस्पताल के खिलाफ पुलिस से शिकायत की तैयारी में जुट गए हैं.

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