जबलपुर| इंदिरा सागर बांध विस्थापितों के मुआवजे संबंधी मामले की मप्र शासन की नीति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. नर्मदा बचाओ आंदोलन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि सरकार ने सभी को फैक्टर एक के तहत मुआवजा दिये जाने के आदेश दिये हैं, जो राईट टू फेयर कंपनसेशन का उल्लंघन है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्विवेदी युगलपीठ से सरकार ने जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है.
राईट टू फेयर कंपनसेशन एक्ट के तहत मिले मुआवजा
नर्मदा बचाओ आंदोलन की चित्तरूपा पालित की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि मप्र शासन की नवीन नीति के तहत मुआवजा वितरण में मनमानी की जा रही है. राईट टू फेयर कंपनसेशन एक्ट में फैक्टर एक तथा फैक्टर दो के बीच में मुआवजा देने का प्रावधान है. भूमि की स्थिति को देखते हुए फैक्टर एक के तहत वर्तमान मूल्य से लेकर फैक्टर दो के तहत दोगुनी राशि देने का प्रावधान है.
महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया था आदेश
याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी को फैक्टर एक के तहत वर्तमान मूल्य के हिसाब से मुआवजा देने का आदेश जारी किया गया है. जबकि उन्हें जमीन की उपयोग्यता को देखते हुए फैक्टर एक से दो के बीच मुआवजा मूल्य का निर्धारण करना था. इस तरह का आदेश पूर्व में महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किया गया था. जिसे मुम्बई हाईकोर्ट ने अवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था.
फसलों में आग लगने का मामला, सांसद बांटेंगे सहायता राशि का प्रमाणपत्र
याचिका में कहा गया था कि जिन लोगों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है, उन्हें अन्य किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिसकी वह पात्रता रखते हैं. सुनवाई के बाद न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से श्रेयस पंडित ने पैरवी की.