जबलपुर। बिजली दर में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को चुनौती (MP Electricity Bill) देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसे हाईकोर्ट ने 6 जनवरी को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि सरकार के पॉलिसी मैटर में हस्तक्षेप करना न्यायसंगत नहीं है. जिस पर आवेदकों की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर की गई है, जिसमें राहत चाही गई है कि उनकी ओर से भेजे गये आवेदन पर निर्णय लिया जाये और कोरोना काल में बिजली के दाम न बढ़ाये जायें.
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कोरोना के दौर में बिजली बिल बढ़ाना गलत
पूर्व में एक जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे तथा रजत भार्गव की ओर से दायर की गयी थी, जिसमें कहा गया था कि नागरिक को संकट से उबारकर जीवन बिताने में सहायता प्रदान करना सरकार का संवैधानिक अधिकार है. केन्द्र सरकार आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कोरोना महामारी को नोटिफाइड आपदा घोषित की है. वर्तमान में ओमीक्रॉन वैरिएंट भी तेजी से फैल रहा है. कोरोना काल में लाखों परिवार आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं. याचिका में मांग की गयी है कि सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए विद्युत अधिनियम की धारा 108 का प्रयोग करे.
बिजली दर बढ़ने से पहले रोक की उम्मीद
इस संबंध में उन्होंने सरकार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था, जिस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. युगलपीठ ने मामले में कहा था कि आवेदन दिये कम समय हुआ है और वह सरकार की पॉलिसी मैटर में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. जिस पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई है, ताकि नियामक आयोग के बिजली दर (Electricity Rate Hike in MP) बढ़ाने से पूर्व उनके आवेदन पर निर्णय लिया जा सके. उक्त रिव्यू पिटीशन अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय के मार्फत दायर की गई है.