जबलपुर। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भाजपा की गलती का किस्सा ट्वीटर पर अपने अंदाज में जाहिर किया है. उनके निशाने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हैं, जिन्होंने ने महज 6 माह के भीतर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने आगे कहा है तीरथ सिंह रावत के वक्तव्य बहुत अजीबो गरीब होते थे. वह जब भी जनता या मीडिया के सामने आते थे उनके बोलने का अंदाज कुछ अजीब होता था.वह व्यक्तिगत रूप से निश्चित ही अच्छे होंगे पर उनके सार्वजनिक आचरण ने भारतीय जनता पार्टी को कमजोर किया है.राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर लिखा है कि तीरथ सिंह रावत के इस व्यवहार से आगामी चुनाव में भाजपा का विपक्ष में बैठना लगभग तय सा दिख रहा है.
तो कानूनी बाध्यता बनी वजह
पौड़ी से लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था. संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्त होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है. बशर्ते रिक्त पड़े स्थान से सम्बंधित सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो. यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई, क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है.