जबलपुर। हाल ही में सारंग और धनुष तोपों के सफल परीक्षण जबलपुर के खमरिया स्थित लॉन्ग प्रूफ रेंज में हुए और एमयुनेशन की टेस्टिंग भी हुई. जिसके बाद से अब जबलपुर का लांग प्रूफ रेंज एमयुनेशनद टेस्टिंग के लिए मुफीद का ठिकाना बन गया है. एलपीआर में परीक्षण होने के बाद अब सेना को हर साल करीब 100 करोड़ रुपए की बचत होगी. सेना ने आने वाले समय में इस रेंज को वर्ल्ड क्लास बनाने की योजना भी बनाई है. साथ ही एलपीआर को रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए निजी क्षेत्रों के लिए भी देने का विचार चल रहा है.
जबलपुर की धरती पर एक नया इतिहास रचा
21 फरवरी 2020 को जबलपुर की धरती पर एक नया इतिहास रचा है. यह पहला मौका था जब जबलपुर में खमरिया की लॉन्ग प्रूफ रेंज में एक साथ 2 तोपों का परीक्षण किया गया. 39 किलोमीटर मारक क्षमता वाली सारंग और 40 किलोमीटर मारक क्षमता वाली धनुष तोप ने जब यहां अपनी ताकत दिखाई तो देखने वालों को जबलपुर की इस लॉन्ग प्रूफ रेंज की क्षमताओं का भी एहसास हो गया.
अत्याधुनिक तोपों का सफल परीक्षण
155 एमएम और 45 कैलिबर क्षमता वाली इन दोनों अत्याधुनिक तोपों के सफल परीक्षण के बाद जबलपुर की लॉन्ग प्रूफ रेंज खमरिया अब एमयुनेशन की टेस्टिंग के लिए मुफीद जगह बन गई है. वह इसलिए भी है, क्योंकि जबलपुर में बनने वाले वेपन और एम्युनेशन की टेस्टिंग जबलपुर में ही हो जाएगी तो सेना को हर साल करीब 100 करोड़ रु की बचत होगी.
रेंज को आधुनिक एम्युनेशन बनाने के निर्देश
भारतीय सेना के पास जबलपुर के एलपीआर के अलावा इटारसी और ओडिशा के बालासोर में ही लॉन्ग प्रूफ रेंज है. अक्सर सेना को आर्म्स एंड एम्युनिशन की टेस्टिंग के लिए बालासोर ले जाना पड़ता था, जिससे वक्त और पैसा दोनों ज्यादा ही खर्च होता था. अब जबकि शारंग और धनुष तोप के अलग-अलग एंगल से हुए सफल परीक्षण से जबलपुर की एलपीआर की क्षमताएं साबित हो गई हैं तो सेना इस रेंज को विस्तार देकर वर्ल्ड क्लास बनाना चाहती है. सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी इंश्योरेंस लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान ने जबलपुर एलपीआर प्रबंधन को यह निर्देश भी दिए हैं कि वह इस रेंज को आधुनिक एम्युनेशन के लिए भी तैयार करें.