जबलपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं, इसके साथ ही प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में पार्टियों की कैटफाइट भी शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के राजनेता अपने काम गिनाने के साथ-साथ एक-दूसरे पर आरोप भी लगा रहे हैं.
कांग्रेस का दावा, हमने विकास किया सबसे ज्यादा
प्रदेश की सत्ता से 15 साल तक बाहर रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता पर काबिज है. विधानसभा चुनावों 114 के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और सरकार बनाने के बाद कांग्रेस अब लोकसभा चुनावों में बाजी मारना चाहती है. इसके लिए कांग्रेस ने विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर ली है. प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोट का कहना है कि जबलपुर में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, हवाई अड्डा, शास्त्री ब्रिज, टेलीकॉम फैक्ट्री, वेटनरी कॉलेज, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, कछपुरा का ओवर ब्रिज और शहर के बड़े-बड़े गार्डन कांग्रेस ने बनवाए हैं. इसके साथ ही पहली बार जबलपुर में हुई कैबीनेट की बैठक को भी उन्होंने इस सूची में जोड़ लिया है. उनका कहना है कि जबलपुर में विकास कार्यों के लिए दो हजार करोड़ की घोषणा की गई है. इसमें वो कार्य शामिल हैं, जो बीजेपी सरकार के दौरान हाशिए पर थे.
वित्त मंत्री तरुण भनोट ने बीजेपी पर कई आरोप भी लगाए हैं. उनका कहना है कि बीजेपी की सरकार, शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी और वेटरनरी यूनिवर्सिटी को फंड नहीं दे रही थी. कांग्रेस ने दोनों यूनिवर्सिटीस को लगभग 350 करोड़ रूपये का फंड मुहैया करवाया हैं. साथ ही उन्होंने दावा किया है कि जबलपुर में स्किल सेंटर खोला जा रहा है, समें लगभग 25 हजार लोगों को रोजगार की ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही शास्त्री ब्रिज को चौड़ा करने के लिए दो सौ करोड़ रुपये मुहैया करवाए जा रहे हैं. बीते 4 महीनों में जितने काम छिंदवाड़ा में नहीं हुए उससे ज्यादा काम जबलपुर में हुए हैं. प्रदेश के लगभग 22 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है और अगर किसी को शक है, तो वह उनके कामों को सरकारी दस्तावेजों में चेक कर सकता है.
बीजेपी के बड़े-बड़े दावे, विकास में हम सबसे आगे
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और स्थानीय सांसद राकेश सिंह ने जबलपुर के विकास में बीजेपी के योगदान के बड़े-बड़े दावे किए हैं. उनका कहना है कि सेंट्रल गवर्नमेंट के सीआरएफ फंड से देश में यदि कहीं सबसे ज्यादा काम हुए हैं, तो वो जबलपुर में हुए हैं. नैरो गेज बीजेपी के कार्यकाल में ही शुरू हो सकी है. वहीं जबलपुर एयरपोर्ट पर चार सौ करोड़ की लागत से नया एयरपोर्ट बनाने की कोशिश की जा रही है. जबलपुर के बाहर लगभग 40 किलोमीटर लंबी रिंग रोड बनाई जा रही है. साथ ही शहर में प्रदेश का सबसे लंबा फ्लाईओवर बनाने के लिए टेंडर हो चुका है, जो लगभग साड़े सात सौ करोड़ का है. राकेश सिंह का दावा है कि जबलपुर में आईटी पार्क उनके प्रयासों से ही आया है.
लगातार हाशिए पर रहा है जबलपुर
देश को आजादी मिले सात दशक हो चुके हैं. जब हमें आजादी मिली थी, तब जबलपुर मध्य प्रदेश का सबसे व्यवस्थित और सबसे बड़ा शहर था. यही कारण था कि जबलपुर को राजधानी बनाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन स्वतंत्रता के बाद लगातार यह शहर विकास के मामले में पिछड़ता गया. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर यहां तक कि छोटा सा शहर छिंदवाड़ा भी विकास के मामले में जबलपुर से कहीं आगे निकल गए. पिछले पंद्रह साल बीजेपी प्रदेश की सत्ता में थी और उससे पहले दस साल कांग्रेस के दिग्विजय सिंह का शासन था. गलती किसने की ये तो लोकसभा चुनाव के नतीजे देखकर पता लग ही जाएगा. फिलहाल दोनों ही पार्टियां चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े दावे भी कर रही हैं और जनता को लुभाने के लिए वादे भी.