जबलपुर। पुलिस के सख्त तेवर और वर्दी की गुंडागर्दी जैसी खबरों को तो आपने सुर्खियां बनते अक्सर देखा होगा, लेकिन संकट के इस दौर में पुलिसवाले एक नई भूमिका भी निभा रहे हैं. कोरोना काल में पुलिस कई मौकों पर देवदूत बनी है. आज जब लोगों को इस भयानक महामारी में एकजुट रहने और मजबूत हौसले की जरूरत है तब वर्दीवाले भी लोगों के जान बचाने के लिए उनके उनपर आई मुसीबतों को न सिर्फ मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं बल्कि अपनी नेकी से नई मिसाल भी कायम कर रहे हैं. संकट के इस दौर में जहां कम संसाधनों, दवाओं,ऑक्सीजन के अभाव में जिंदगी हार मान रही है तब इन्हीं वर्दीवालों ने मौत को मात देकर कई जिंदगियों की सांसे लौटाई हैं.
केस नंबर -1 जबलपुर
जबलपुर के गोहलपुर थाने की पुलिस कोविड मरीजों के लिए देवदूत बन गई. यहां एक निजी अस्पताल गैलैक्सी में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा था, वहां अचानक रात के 3 बजे ऑक्सीजन खत्म हो गई. मरीजों के परिजनों को जब यह सूचना मिली तो अस्पताल में हड़कंप मच गया. अस्पताल में मरीजों के परिजनों के हंगामा करने की खबर पुलिस को दी गई. पुलिस की टीम इस हंगामे को शांत कराने अस्पताल पहुंची, लेकिन जब पुलिसवालों ने देखा कि कोविड मरीजों को दी जा रही ऑक्सीजन खत्म होने वाली है. ऐसे में यहां भर्ती कई मरीजों की जान जा सकती है. वहां मौजूद डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ को कुछ नहीं सूझ रहा था. हर कोई यही सोच रहा था कि इतनी जल्दी ऑक्सीजन का इंतजाम कैसे होगा, कहां से आएगी ऑक्सीजन. तब वर्दीवाले देवदूतों ने मोर्चा संभाला और आनन-फानन में ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में जुट गए.
कोरोना कहर के बीच पुलिस अधिकारियों ने बढ़ाए मदद के हाथ, सीएम ने की तारीफ
अस्पताल में भर्ती थे 50 से ज्यादा मरीज
हॉस्पिटल में जल्द से जल्द ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी है, बस पुलिस वाले निकल पड़े ऑक्सीजन की तलाश में इसी दौरान पुलिस टीम को सड़क पर ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाता एक मिनी ट्रक दिखाई दिया. पुलिसवालों ने इसे रोका और सीधे अस्पताल लेकर पहुंचे. वर्दी में ड्यूटी दे रहे पुलिसवालों ने तेजी से काम करते हुए खुद ही ऑक्सीजन सिलेंडर उठाए, कंधों पर लादे और अस्पताल के भीतर पहुंचाकर महज कुछ ही देर में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू करवाई और कई जिंदगियों को खत्म होने से बचा लिया. हालांकि इन देवदूतों को यह मलाल है कि 5 लोगों की जान इतनी देर में चली गई, हालांकि 50 से ज्यादा लोगों की जान बचा ली नहीं तो मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता था. पुलिसवालों की मदद का एक वीडियो भी शहर में काफी वायरल हो रहा है. लोग पुलिस की इस तत्परता की तारीफ कर रहे हैं.
केस नंबर-2
कोरोना के संकटकाल ने लोगों को एकजुटता की ताकत दिखा दी है. जिसमें पुलिस की भूमिका किसी संकटमोचक से कम नहीं रही है. देवदूत बने वर्दीवालों ने जबलपुर के चंडाल भाटा स्थित न्यू लाइफ ट्रामा हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन की व्यवस्था करते हुए कई मरीजों की जान बचाई. ट्रामा सेंटर में कई कोविट पॉजिटिव मरीज भर्ती थे,लेकिन यहां ऑक्सीजन खत्म हो चुकी थी. मरीजों की हालत गंभीर होने लगी ऐसे में पुलिस वाले एक बार फिर देवदूत की भूमिका में नजर आए. पुलिस को सूचना दी गई और आनन फानन में पुलिस के जवान पास के मेट्रो अस्पताल से ऑक्सीजन के 5 सिलेंडर अपनी गाड़ी में भरकर ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मरीजों की जान बचाने के लिए निकल पड़े. कुछ ही देर में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो गई. अच्छी बात यह रही कि इस दौरान किसी भी मरीज की स्थिति नहीं बिगड़ी.
यहीं नहीं रुके मददगार हाथ सिलसिला जारी है
ये सिर्फ दो मामले नहीं है पुलिसवालों के मददगार इस संकट काम में रुके नहीं है. जहां भी हो जिस तरह से हो पुलिसकर्मी और अधिकारी लोगों की मदद कर रहे हैं. कहीं अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचाना हो, जरूरतमंद को प्लाज्मा डोनेट करना हो या फिर अपने वेतन को मुख्यमंत्री सहायता कोष में दान देना वर्दी वालों की मदद का सिलसिला जारी है. जबलपुर के पुलिसकर्मी अपनी इंसानियत और मदद की इस भावना को लेकर अपने अफसरों और प्रदेश के मुखिया से भी शाबाशी ले चुके हैं.जिले ओमती थाने में पदस्थ आरक्षक अतुल राज ने एक मरीज की जान बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट किया तो ओमती थाने के थाना प्रभारी एसपी बघेल ने कोरोना काल में एक लाख रुपए की दवाइयां जबलपुर पुलिस को देने का फैसला किया है. वहीं गोहलपुर के सीएसपी अखिलेश गौर मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने एक माह का वेतन दे रहे हैं.