ETV Bharat / state

PM मोदी मिलेट्स बैंक चलाने वाली जिस महिला के हैं मुरीद, वन विभाग नहीं दे रहा 1 इंच भी जमीन! ये है मामला

अगर आप से पूछा जाए कि, क्या आप बिना जमीन के आनाज उगा सकते हैं..जवाब आएगा नहीं, लेकिन एमपी के आदिवासी क्षेत्र में ऐसा कमाल का काम हुआ है. यहां कि, लहरी बाई बैगा ने 60 से ज्यादा देसी किस्म के मोटे अनाज खोजे हैं. अब इस महिला की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के सीएम शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं. लहरी बाई बैगा अब किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है. जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में मोटे अनाजों की प्रदर्शनी के दौरान कई युवा कृषि वैज्ञानिकों ने लहरी बाई बैगा के साथ फोटो भी खिंचवाई है. पढ़िए रिपोर्ट...

PM Modi fan of Lahari Bai
पीएम मोदी हुए लहरी बाई के मुरीद
author img

By

Published : Mar 2, 2023, 6:45 PM IST

पीएम मोदी हुए लहरी बाई के मुरीद

जबलपुर। विलुप्त हो रहे मोटे अनाज की प्रजाति को बचाकर बीज बैंक बनाने के बाद चर्चा में आई बैगा क्षेत्र निवासी लहरी बाई ने वह काम करके दिखाया है, जो सरकार के बड़े-बड़े संस्थानों में करोड़ों रुपये खर्च करके करती है. हजारों लोग काम करते हैं लेकिन इन्हें कई बार सफलता नहीं मिलती. लहरी बाई ने बीते 15 सालों से जंगल में उगने वाले 60 से ज्यादा देसी किस्म के मोटे अनाज खोजे हैं. इनका एक बैंक बनाया है. इनको छोटे-छोटे जमीन के टुकड़ों पर बोया जाता है. इन्हें इकट्ठा करके सुरक्षित रखा जाता है. यह पूरी प्रक्रिया लहरी बाई बैगा बीते 10 सालों से कर रही हैं. लहरी बाई की वजह से आसपास के 24 गांव में इन देसी प्राकृतिक मोटे अनाज का उत्पादन होने लगा है.

मोटे अनाजों और इनके गुण: इन मोटे अनाजों में बैगा सल्हार, काटा सल्हार, एडी सल्हार, बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, छोटी कोदो, डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, सिताही कुटकी, बिरनी कुटकी, नागदावन कुटकी-बिदंदरी रवास, झुंझरू, सतरू, चारमडिया, लालमडिया, गोदपारी मडिया आदि शामिल हैं जो लहरी बैगा ने संरक्षित किए हुए हैं. इनको केवल इकट्ठा कर लेना बड़ी बात नहीं है. इनके आयुर्वेदिक गुण और इनको इस्तेमाल करने का तरीका भी बैगा आदिवासी का सदियों पुराना ज्ञान है जो लहरी वाई की वजह से समाज तक पहुंच रहा है.

यहां हुआ सम्मान: लहरी बाई बैगा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बधाई दी है. उनके इस काम को सम्मानित करने की बात कही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी मिलेट्स बैंक के काम को सराहा है. मध्य प्रदेश सरकार लहरी बाई बैगा के काम को अपनी उपलब्धि मानते हुए सरकारी वेबसाइट पर मध्य प्रदेश का गौरव नाम से प्रचारित प्रसारित कर रही है. बहुत जल्दी लहरी को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी मिलवाया जाएगा.

आदिवासी समुदाय से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

कहां हो गई चूक: लहरी बैगा को यह सम्मान बीजों की वजह से मिला है. किसी ने भी लहरी बाई बैगा से यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि वह इन बीजों को उगाती कहां है. क्या उसके पास कोई जमीन है. तो आपको जानकर हैरानी होगी कि, लहरी बाई बैगा के पास जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं है. बैगा आदिवासी जंगल की जमीन पर इन मोटे अनाजों को उगाते हैं. वहीं से लहरी बाई ने भी इन्हें इकट्ठा किया है.

वन अधिकार पट्टा: बैगा आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा दिलाने की कोशिश एक समाज सेवी नरेश विश्वास कर रहे हैं.वे बीते 25 सालों से बैगा चक इलाके में बैगा आदिवासियों के हकों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने इस मिनट्स बैंक की नीव लहरी बाई के पिता के सांथ डाली थी. नरेश विश्वास कहते हैं कि, बैगा आदिवासियों के साथ वन विभाग बहुत ही खराब व्यवहार करता है. बैगा आदिवासी जब जंगल की जमीन पर इन फसलों को बोते हैं तो वन विभाग इन की फसलें नष्ट कर देता है.

वन विभाग का सौतेला व्यवहार: यह सदियों से इसी इलाके में रहते आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग इन्हें वन अधिकार पट्टा नहीं दे रहा है. इनसे रिकॉर्ड मांगा जाता है. नरेश विश्वास का कहना है कि, पूरे बैगा क्षेत्र में किसी के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है. क्योंकि सरकार खुद मानती है कि बैगा पढ़े लिखे नहीं हैं ऐसे हालात में इनसे कागज मांगना कहां की समझदारी है. वन अधिकार पट्टा का कानून यह कहता है कि जब तक बीते सालों मैं वन भूमि पर लगातार कब्जे के जुर्माने की रसीद ना हो. तब तक वन अधिकार पट्टा नहीं दिया जा सकता. जानबूझकर इन लोगों की फसल तो खराब कर दी जाती है. इन्हें जुर्माने की रसीद नहीं दी जाती. इसलिए कानूनी तौर पर बैगा जमीन का अधिकार नहीं ले पा रहे हैं.

आदिवासी समुदाय से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

सरकार की जिम्मेवारी: जिस लहरी बाई बैगा ने इतना बड़ा काम किया है. क्या सरकार की जिम्मेवारी नहीं बनती की उसे कम से कम थोड़ी सी जमीन ही दे दे. उसे वन अधिकार पट्टा दे दे. इन मोटे अनाजों को उगाने के लिए एक व्यवस्थित कृषि भूमि उसके इलाके में विकसित कर दे. ताकि बैगा आदिवासियों के लिए एक रोजगार का बड़ा जरिया बन जाए और लोगों को अमृततुल्य अनाज मिलने लगे.

पीएम मोदी हुए लहरी बाई के मुरीद

जबलपुर। विलुप्त हो रहे मोटे अनाज की प्रजाति को बचाकर बीज बैंक बनाने के बाद चर्चा में आई बैगा क्षेत्र निवासी लहरी बाई ने वह काम करके दिखाया है, जो सरकार के बड़े-बड़े संस्थानों में करोड़ों रुपये खर्च करके करती है. हजारों लोग काम करते हैं लेकिन इन्हें कई बार सफलता नहीं मिलती. लहरी बाई ने बीते 15 सालों से जंगल में उगने वाले 60 से ज्यादा देसी किस्म के मोटे अनाज खोजे हैं. इनका एक बैंक बनाया है. इनको छोटे-छोटे जमीन के टुकड़ों पर बोया जाता है. इन्हें इकट्ठा करके सुरक्षित रखा जाता है. यह पूरी प्रक्रिया लहरी बाई बैगा बीते 10 सालों से कर रही हैं. लहरी बाई की वजह से आसपास के 24 गांव में इन देसी प्राकृतिक मोटे अनाज का उत्पादन होने लगा है.

मोटे अनाजों और इनके गुण: इन मोटे अनाजों में बैगा सल्हार, काटा सल्हार, एडी सल्हार, बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, छोटी कोदो, डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, सिताही कुटकी, बिरनी कुटकी, नागदावन कुटकी-बिदंदरी रवास, झुंझरू, सतरू, चारमडिया, लालमडिया, गोदपारी मडिया आदि शामिल हैं जो लहरी बैगा ने संरक्षित किए हुए हैं. इनको केवल इकट्ठा कर लेना बड़ी बात नहीं है. इनके आयुर्वेदिक गुण और इनको इस्तेमाल करने का तरीका भी बैगा आदिवासी का सदियों पुराना ज्ञान है जो लहरी वाई की वजह से समाज तक पहुंच रहा है.

यहां हुआ सम्मान: लहरी बाई बैगा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बधाई दी है. उनके इस काम को सम्मानित करने की बात कही है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी मिलेट्स बैंक के काम को सराहा है. मध्य प्रदेश सरकार लहरी बाई बैगा के काम को अपनी उपलब्धि मानते हुए सरकारी वेबसाइट पर मध्य प्रदेश का गौरव नाम से प्रचारित प्रसारित कर रही है. बहुत जल्दी लहरी को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी मिलवाया जाएगा.

आदिवासी समुदाय से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

कहां हो गई चूक: लहरी बैगा को यह सम्मान बीजों की वजह से मिला है. किसी ने भी लहरी बाई बैगा से यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि वह इन बीजों को उगाती कहां है. क्या उसके पास कोई जमीन है. तो आपको जानकर हैरानी होगी कि, लहरी बाई बैगा के पास जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं है. बैगा आदिवासी जंगल की जमीन पर इन मोटे अनाजों को उगाते हैं. वहीं से लहरी बाई ने भी इन्हें इकट्ठा किया है.

वन अधिकार पट्टा: बैगा आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा दिलाने की कोशिश एक समाज सेवी नरेश विश्वास कर रहे हैं.वे बीते 25 सालों से बैगा चक इलाके में बैगा आदिवासियों के हकों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने इस मिनट्स बैंक की नीव लहरी बाई के पिता के सांथ डाली थी. नरेश विश्वास कहते हैं कि, बैगा आदिवासियों के साथ वन विभाग बहुत ही खराब व्यवहार करता है. बैगा आदिवासी जब जंगल की जमीन पर इन फसलों को बोते हैं तो वन विभाग इन की फसलें नष्ट कर देता है.

वन विभाग का सौतेला व्यवहार: यह सदियों से इसी इलाके में रहते आ रहे हैं, लेकिन वन विभाग इन्हें वन अधिकार पट्टा नहीं दे रहा है. इनसे रिकॉर्ड मांगा जाता है. नरेश विश्वास का कहना है कि, पूरे बैगा क्षेत्र में किसी के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है. क्योंकि सरकार खुद मानती है कि बैगा पढ़े लिखे नहीं हैं ऐसे हालात में इनसे कागज मांगना कहां की समझदारी है. वन अधिकार पट्टा का कानून यह कहता है कि जब तक बीते सालों मैं वन भूमि पर लगातार कब्जे के जुर्माने की रसीद ना हो. तब तक वन अधिकार पट्टा नहीं दिया जा सकता. जानबूझकर इन लोगों की फसल तो खराब कर दी जाती है. इन्हें जुर्माने की रसीद नहीं दी जाती. इसलिए कानूनी तौर पर बैगा जमीन का अधिकार नहीं ले पा रहे हैं.

आदिवासी समुदाय से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

सरकार की जिम्मेवारी: जिस लहरी बाई बैगा ने इतना बड़ा काम किया है. क्या सरकार की जिम्मेवारी नहीं बनती की उसे कम से कम थोड़ी सी जमीन ही दे दे. उसे वन अधिकार पट्टा दे दे. इन मोटे अनाजों को उगाने के लिए एक व्यवस्थित कृषि भूमि उसके इलाके में विकसित कर दे. ताकि बैगा आदिवासियों के लिए एक रोजगार का बड़ा जरिया बन जाए और लोगों को अमृततुल्य अनाज मिलने लगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.