जबलपुर। एक खिलाड़ी को अपना रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए रोज अपना ही रिकॉर्ड तोड़ना पड़ता है. मैदान में अभ्यास के दौरान खिलाड़ी कई बार अपने रिकॉर्ड तोड़ चुका होता है, तब जाकर वो मुख्य प्रतियोगिता में रिकॉर्ड बना पाता है और जब मुकाबला अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो तो चुनौती और ज्यादा बढ़ जाती है. लॉकडाउन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के तीरंदाजी अभ्यास में विराम लगा दिया था. जबलपुर की तीरंदाज एकेडमी में ताला पड़ा हुआ था, तीरंदाजी का अभ्यास घर में नहीं किया जा सकता, लिहाजा तीरंदाज बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि उनकी एकेडमी खोल दी जाए. एशियन गेम्स में भारत को रजत पदक दिलवाने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मुस्कान किरार जबलपुर की रानीताल तीरंदाज एकेडमी में अपने कोच रिच पाल सिंह के साथ अभ्यास कर रही हैं.
आर्चरी में पहली बार ऑनलाइन का प्रयोग किया जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को टिप्स दिए जा रहे हैं. मुस्कान का कहना है कि गैप लंबा हो गया है, इसलिए उन्हें फिर से बेसिक्स से शुरू करना पड़ रहा है. हालांकि मुस्कान का कहना है कि उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा, लेकिन फिर भी दोबारा शुरू करना थोड़ी चुनौती भरा है.मुस्कान के साथ ही दूसरे कई राष्ट्रीय खिलाड़ी भी कोच रिच पाल सिंह से तीरंदाजी सीख रहे हैं. रिच पाल का कहना है स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया इन दिनों राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को ऑनलाइन कोचिंग दे रहा है. इसलिए सभी को तय समय पर एकेडमी में आना होता है, जहां वे अभ्यास करते हैं. खिलाड़ी और उनके कोच जोश और उत्साह से भरे हुए हैं. उनका कहना है कि अगली बार ओलंपिक में तीरंदाजी मुकाबले में वो भारत को सोना जरूर दिलाएंगे.
कोरोना वायरस ने लोगों को निराश और उत्साह हीन कर दिया है. समाज में कई बुरी खबरें भी सुनने को मिल रही हैं, वहीं मुस्कान किरार के जोश और जज्बे को देखकर लगता है कि समाज फिर वही रफ्तार पकड़ लेगा जो कोरोना वायरस के पहले छोड़ी थी. बस इस बार हमें इस रफ्तार में कोरोना वायरस से बचने का ध्यान रखना होगा.