जबलपुर। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्रश्न का सही जवाब दिये जाने के बावजूद भी अंक न दिये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने दोनों अभ्यार्थियों को अंतिम राहत देते हुए 21 मार्च को होने वाली पीएससी मुख्य परीक्षा में शामिल होने की राहत प्रदान की है. शासकीय कर्मी रीवा मऊगंज के रहने वाले विक्रम सिंह और अमित मिश्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि साल 2020 में हुई लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिये उन्होंने आवेदन किया था.
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दो अंकों से वंचित किया
परीक्षा के प्रश्न क्रमांक-57 में पूछा गया था कि मप्र से कौन सा नेशनल हाइवे नहीं गुजरता है. जिस पर पीएससी की ओर से डी आंसर जिस पर उल्लेखित था कि नेशनल हाइवे-8 मप्र से नहीं गुजरता है. वहीं याचिकाकर्ता ने अपने आंसर में नेशनल हाइवे-3 और 8 दोनों के न गुजरने को सही अंकित किया था. इसके बावजूद भी उसे उक्त प्रश्न के अंक नहीं दिये गये और वह दो अंकों से आगे की परीक्षा के लिये वंचित हो गये.
24 अप्रैल को अगली सुनवाई
आवेदक का कहना है कि नेशनल हाइवे-8 असम-त्रिपुरा से गुजरता है और नेशनल हाइवे-3 पंजाब-जम्मू की ओर जाती है. दोनों ही हाइवे मप्र से नहीं गुजरते है. आवेदक की ओर से कहा गया है कि नियमानुसार दो जबाव सही होने पर दोनों में अंक दिया जाना चाहिये, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने आवेदकों को उक्त अंतरिम राहत देते हुए मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा.