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कुपोषण के कारण बच्चे की मौत के बाद हाई कोर्ट पहुंचा मामला, 20 लाख मुआवजे की मांग

याचिका में मांग की गई थी कि आंगनबाड़ी और कुपोषण पुनर्वास केंद्रों में पोषक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जाए. इसकी निगरानी के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की जाए. बच्चे की मौत पर पीड़ित मां को 20 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए.

High Court
हाईकोर्ट
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Published : Jun 29, 2021, 9:57 PM IST

जबलपुर। कुपोषण के कारण मौत को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि प्रदेश में 70 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे हैं. मिड-डे और रेडी-टू-फूड प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रो में नियमित उपलब्ध नहीं रहते हैं. याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

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  • आदिवासी बाहुल्य उमरिया का मामला

यह याचिका आदिवासी बाहुल्य जिला उमरिया निवासी रमंती बैग (34) की तरफ से दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि महिला एव बाल विकास विभाग ने जनवरी माह में एक सर्वे रिपोर्ट जारी की थी. जिसके अनुसार प्रदेश में लगभग 70 हजार बच्चे कुपोषित हैं. इनकी उम्र 0 से 6 साल के बीच है. 6 हजार बच्चे कुपोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती है. याचिका में आगे कहा गया कि उसका डेढ़ साल का बच्चा भी कुपोषण का शिकार था. जिसके कारण उसे जिला पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया गया था. वहां उसे भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था और डाॅक्टर भी नियमित तौर पर नहीं आते थे. जिस कारण वह 21 मार्च को बच्चे को अपने साथ वापस घर ले आई और एक माह बाद उसकी मौत हो गई. डेढ़ साल के बच्चे का वजन मात्र डेढ़ किलो था.

  • 20 लाख मुआवजे की मांग

याचिका में कहा गया कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्र में नियमित रूप से मिड-डे और रेडी-टू-फूड उपलब्ध नहीं रहता. केंद्र में जो बच्चों को भोजन दिया जाता है उसमें पर्याप्त पोषक तत्व नहीं रहते. इस योजना के तहत हरी सब्जी, दूध, अंडे और पनीर आदि नहीं दिया जाता है. याचिका में मांग की गई थी कि आंगनबाड़ी और कुपोषण पुनर्वास केंद्रों में पोषक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जाए. इसकी निगरानी के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की जाए. बच्चे की मौत पर पीड़ित मां को 20 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए.

जबलपुर। कुपोषण के कारण मौत को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि प्रदेश में 70 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे हैं. मिड-डे और रेडी-टू-फूड प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रो में नियमित उपलब्ध नहीं रहते हैं. याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.

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  • आदिवासी बाहुल्य उमरिया का मामला

यह याचिका आदिवासी बाहुल्य जिला उमरिया निवासी रमंती बैग (34) की तरफ से दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि महिला एव बाल विकास विभाग ने जनवरी माह में एक सर्वे रिपोर्ट जारी की थी. जिसके अनुसार प्रदेश में लगभग 70 हजार बच्चे कुपोषित हैं. इनकी उम्र 0 से 6 साल के बीच है. 6 हजार बच्चे कुपोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती है. याचिका में आगे कहा गया कि उसका डेढ़ साल का बच्चा भी कुपोषण का शिकार था. जिसके कारण उसे जिला पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया गया था. वहां उसे भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था और डाॅक्टर भी नियमित तौर पर नहीं आते थे. जिस कारण वह 21 मार्च को बच्चे को अपने साथ वापस घर ले आई और एक माह बाद उसकी मौत हो गई. डेढ़ साल के बच्चे का वजन मात्र डेढ़ किलो था.

  • 20 लाख मुआवजे की मांग

याचिका में कहा गया कि प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्र में नियमित रूप से मिड-डे और रेडी-टू-फूड उपलब्ध नहीं रहता. केंद्र में जो बच्चों को भोजन दिया जाता है उसमें पर्याप्त पोषक तत्व नहीं रहते. इस योजना के तहत हरी सब्जी, दूध, अंडे और पनीर आदि नहीं दिया जाता है. याचिका में मांग की गई थी कि आंगनबाड़ी और कुपोषण पुनर्वास केंद्रों में पोषक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करवाई जाए. इसकी निगरानी के लिए जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की जाए. बच्चे की मौत पर पीड़ित मां को 20 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाए.

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