जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने एक जनहित याचिका लगाई है. इस जनहित याचिका में राज्य सरकार के सरकारी संपत्ति बेचने के फैसले को चुनौती दी गई है.
राज्य सरकार का खजाना खाली
मध्य प्रदेश सरकार की माली हालत खस्ता है. राज्य सरकार का खजाना खाली है और स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि अब सरकार अपनी संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. बीते दिनों राज्य सरकार में सड़क परिवहन निगम की कई बड़ी संपत्तियों की नीलामी के टेंडर सार्वजनिक किए गए. इसमें प्रदेश के बड़े शहरों के अलावा कई छोटे शहरों की संपत्तियां में शामिल हैं.
राज्य सरकार से मांगा जवाब
राज्य सरकार के इसी फैसले के खिलाफ जबलपुर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई है. इस याचिका में सरकार के सार्वजनिक संपत्ति बेचने के नियम को चुनौती दी गई है और तर्क दिया गया है कि खजाना भरने के लिए संपत्ति बेचना सही फैसला नहीं है. राज्य सरकार को राजस्व बढ़ाना है, तो इन संपत्तियों का सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इन संपित्तयों को पीपीपी मोड पर किराए पर दे देनी चाहिए. ऐसा करने से भी सरकार का राजस्व बढ़ेगा. इसके साथ ही कई सरकारी कार्यालय जो निजी इमारतों में किराए से चल रहे हैं, उन्हें इन संपत्तियों पर ट्रांसफर कर देना चाहिए. इससे भी रजिस्ट्री की बचत होगी, लेकिन इसको बेचना सही नहीं है. जनहित याचिका की सुनवाई के बाद राज्य सरकार से इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है.
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एक तरफ राज्य सरकार अपनी फालतू योजनाओं में करोड़ों अरबों रुपये बर्बाद कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. सरकार की कार्यप्रणाली आम जनता के समझ में नहीं आ रही है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोर्ट के अलावा कोई दूसरा जरिया आम आदमी के पास नहीं है. अब देखना यह होगा कि क्या कोर्ट के दखल के बाद इन संपत्तियों का विक्रय रुक पाएगा.