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धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ याचिका दायर, हो रहा मौलिक अधिकारों का हनन - धर्म स्वतंत्रता कानून

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लाए गए धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया कि यह कानून संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है. यह कानून संविधान के विभिन्न सिद्धांतों, व्यक्ति के धर्म परिवर्तन और धर्मनिरपेक्षता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है.

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धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ याचिका दायर
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Published : Mar 6, 2021, 10:51 PM IST

जबलपुर। प्रदेश सरकार के धर्म स्वतंत्रता कानून को अवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया था कि इस कानून से संविधान में प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. युगलपीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई के संबंध में दायर अन्य याचिकाओं के साथ करने के निर्देश जारी किए हैं.

धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ याचिका दायर


भोपाल निवासी आजम खान की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था. कि प्रदेश सरकार द्वारा लागू किया गया धर्म स्वतंत्रता कानून अवैधानिक है. यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 25 के सिद्धांतों, व्यक्ति के धर्म परिवर्तन और धर्मनिरपेक्षता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है. याचिका में कहा गया था. कि इस कानून में धारा 3, 4, 5, 6, 7, 10, 12 व 13 के प्रावधान संविधान में मिले मौलिक अधिकारों के विपरीत है.

स्कूल फ्रेंड पर बनाया धर्म परिवर्तन का दबाव, दो आरोपी गिरफ्तार

  • याचिकाकर्ता की दलील

याचिका में कहा गया था कि बालिग व्यक्तियों को संविधान में स्वैच्छा से शादी का अधिकार प्राप्त है. नये कानून में डराकर, धमकाकर और छुपाकर शादी करने पर तीन से दस साल की सजा का प्रावधान है. और अन्य व्यक्ति भी शिकायत कर सकता है. प्रदेश में दो प्रकरणों ऐसे दर्ज हुए है, जिनका विवाह 4 साल पहले हुआ था. विवाह के बाद विवाद होता है तो इस कानून के तहत कार्यवाही हो सकती है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और विधि विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सगुफ्ता सन्नो खान ने पैरवी की.

जबलपुर। प्रदेश सरकार के धर्म स्वतंत्रता कानून को अवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया था कि इस कानून से संविधान में प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. युगलपीठ ने उक्त याचिका की सुनवाई के संबंध में दायर अन्य याचिकाओं के साथ करने के निर्देश जारी किए हैं.

धर्म स्वतंत्रता कानून के खिलाफ याचिका दायर


भोपाल निवासी आजम खान की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था. कि प्रदेश सरकार द्वारा लागू किया गया धर्म स्वतंत्रता कानून अवैधानिक है. यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 25 के सिद्धांतों, व्यक्ति के धर्म परिवर्तन और धर्मनिरपेक्षता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है. याचिका में कहा गया था. कि इस कानून में धारा 3, 4, 5, 6, 7, 10, 12 व 13 के प्रावधान संविधान में मिले मौलिक अधिकारों के विपरीत है.

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  • याचिकाकर्ता की दलील

याचिका में कहा गया था कि बालिग व्यक्तियों को संविधान में स्वैच्छा से शादी का अधिकार प्राप्त है. नये कानून में डराकर, धमकाकर और छुपाकर शादी करने पर तीन से दस साल की सजा का प्रावधान है. और अन्य व्यक्ति भी शिकायत कर सकता है. प्रदेश में दो प्रकरणों ऐसे दर्ज हुए है, जिनका विवाह 4 साल पहले हुआ था. विवाह के बाद विवाद होता है तो इस कानून के तहत कार्यवाही हो सकती है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और विधि विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सगुफ्ता सन्नो खान ने पैरवी की.

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